माँ भवानी को छिन्दवाड़ा में कहते हैं बड़ी माता
आस्था और चेतना का केन्द्र श्री बड़ी माता का मंदिर

चार सौ साल पुराना मंदिर
नगर शक्ति पीठ की है मान्यता
मुकुंद सोनी –
छिन्दवाड़ा-
छिन्दवाड़ा शहर के छोटा बाजार में स्थित श्री बड़ी माता का मंदिर ना केवल शहर बल्कि पूरे जिले की धार्मिक आस्था और चेतना का केंद्र बिंदु है इस मंदिर का इतिहास उतना ही पुराना है जितना कि छिन्दवाड़ा के बसने का है शहर के बसने के साथ ही माता की मड़िया के रूप में श्री बड़ी माता मंदिर का अस्तित्व माता के चमत्कारों के साथ स्थापित था श्री बड़ी माता मंदिर का स्थल स्वयं सिद्ध है श्री बड़ी माता मन्दिर आने वाले हर श्रद्धालु की मनोकामना की पूर्ति करती है माँ भवानी को यहां श्री बड़ी माता कहा जाता है
माना जाता है कि छिन्दवाड़ा शहर की बसाहट सोलहवीं शताब्दी में शुरू हुई थी तब से लेकर अब तक यह शहर छिन्दवाड़ा अब भी विस्तार पा रहा है और मध्यप्रदेश के एक बड़े शहर के रूप में अपनी पहचान बना रहा है सोलहवीं शताब्दी में देवगढ़ के गवलि राजाओ को हाथी, घोड़ा,ऊँट और शस्त्र की आपूर्ति के लिए देश के उत्तरी क्षेत्रों से यहां लोगो का आना-जाना शुरू हुआ था और उनके यहां बसने के साथ ही शहर के बसने की शुरआत हुई थी
रघुवंशीपुरा के साथ ही छिन्दवाड़ा शहर की वसीकत की शुरुआत मानी जाती है इतिहास में आज भी रघुवंशीपुरा को शहर का सबसे पुराना और पहला मोहल्ला माना जाता है यह मोहल्ला कहीं और नही बल्कि शहर का छोटा बाजार क्षेत्र ही है जहां श्री बड़ी माता विराजमान हैं
छिंदवाड़ा शहर का साक्षी है मंदिर..
बुजुर्गों ने बताया था कि श्री बड़ी माता मंदिर के स्थल पर पहले खुले आसमान के नीचे प्राकृतिक रूप से ही माता विराजमान थी उस समय स्थल पर प्रकृति प्रदत्त सफेद पत्थरो का एक बड़ा समूह यहां था इन पत्थरों पर देवियो की आकृति थी बिना किसी मूर्तियों के यहां माता की प्राकृतिक मूर्तिया बनी हुई थी जो आज भी मन्दिर में है शहर वासियों ने यहां माता की मड़िया बनाई थी और नगर रक्षा देवी के रूप में देवी की आराधना शुरू कर यहां स्थापित देवी को श्री बड़ी माता का नाम दिया था उस समय शहर छोटी बाजार तक सीमित था बाद में अन्य मोहल्ले और बस्तियां बसी है सन 1861 में ब्रिटिश शासन ने जब जिले की सीमा का निर्धारण किया तब शहर की आबादी वाला क्षेत्र भी श्री बड़ी माता मंदिर का क्षेत्र था शहर के बसने के श्री गणेश और विस्तार के साथ ही शहर की संस्कृति और उत्सवों का यह मंदिर साक्षी है
स्थानीय सुनारों ने बनाई थी माता की अष्ट धातु की मूर्ति….
शहर में आने वाली हर विपत्ति का श्री बड़ी माता हरण करती है श्री बड़ी माता के प्रति शहर वासियों की आस्था प्रगाढ़ है करीब एक सदी पहले शहर में वर्ष 1920 जब हैजा -प्लेग जैसी बीमारी फैली महामारी में अनेक लोग काल-कवलित हो गए थे लेकिन एक साथतब श्री बड़ी माता के प्रताप से ही शहर में महामारी फैलने से रुकी थी और हजारो लोगो की जान बची थी उस समय महामारी ने कई गांव और शहरों को वीरान कर दिया था इस चमत्कार के बाद ही लोगो की आस्था से माता की मड़िया से यहां मन्दिर बनाया गया था मन्दिर में पहले यहां मौजूद मूर्तिया ही थी मन्दिर विस्तार पर शहर के सुनारों ने ही अष्ट धातु से माता की मूर्ति बनाई थी इस मूर्ति का तेज और आभा इतनी है कि श्रद्धालु बड़ी माता का दर्शन कर हौसला पाते हैं और मनोकामना पूरी होने पर परिवार सहित आकर माता के दरबार मे अपनी आस्था को परिलक्षित करते हैं मन्दिर में माता शीतला मा अन्नपूर्णा की भी प्रतिमाएँ है
शहर के धीरे- धीरे विस्तार के साथ ही मन्दिर विस्तार का क्रम भी चल रहा है समय के साथ मन्दिर में अनेक निर्माण हुए हैं अब श्री बड़ी माता मंदिर ट्रस्ट मन्दिर की व्यवस्थाओं का संचालन करता है और ट्रस्ट ने मन्दिर से लगी मिशन स्कूल की प्रॉपर्टी भी खरीद ली है जिससे मन्दिर विस्तार की नई योजना को नए आयाम भविष्य में मिलेंगे श्री बड़ी माता का भव्य विशाल मन्दिर विस्तार के साथ और बड़ा स्वरूप लेने की दिशा में कदम बढ़ाएगा
नवरात्र पर्व होता है विशेष..
श्री बड़ी माता मंदिर के लिए माता की आराधना का नवरात्र पर्व विशेष होता है मन्दिर में साल में दो बार नवरात्र पर्व मनाया जाता है शारदेय नवरात्र पर प्रतिमा सहित हजारो की संख्या मे मनोकामना कलश रखे जाते है नवरात्र समापन पर रथ पर श्री बड़ी माता की शोभायात्रा के साथ कलश विसर्जन यात्रा आकर्षण का केन्द्र होती है हजारो की संख्या में श्रद्धालु इसमें शामिल होते हैं वही चैत्र नवरात्र पर भी मन्दिर में श्रद्धालुओं की मनोकामना के हजारों कलशों में मन्दिर में 9 दिन तक अखंड ज्योत जगमगाती है प्रतिदिन नियमित सुबह -शाम पूजन आरती के नियम में भी रोज बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं मन्दिर का भुजलिया उत्सव पूरे भारत देश मे अपनी अलग पहचान रखता है इसके साथ ही गणेश उत्सव,तीजा उत्सव और आल्हा गायन भी अनोखा है
माता ने पूरी की खुशियां..
श्री बड़ी माता ने श्रद्धालुओं की खुशियों को बढ़ा दिया है मन्दिर ट्रस्ट ने मन्दिर से लगी मिशन स्कूल की जमीन खरीद ली है माता के भक्तों शहर के दान दाताओ और समाजसेवियों का इसमें योगदान है खास बात यह है कि मिशन स्कूल भी करीब 120 साल पुराना है जिसमे क्षेत्र की कई पीढ़ियों ने प्राथमिक शिक्षा ग्रहण की है अब स्कूल की जमीन भी मन्दिर का हिस्सा बन चुकी है भविष्य में बेहतर विकास की मन्दिर ट्रस्ट की योजना है