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देश मे तीन नए स्वदेशी कानून : न्याय ,सुरक्षा और साक्ष्य में बड़ा बदलाव , न्याय प्रक्रिया को किया डिजिटल

पहली बार ई-एफआईआर का प्रावधान, हफ्तेभर में फैसला होगा आन लाइन

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♦ छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश –

केंद्र सरकार ने 1 जुलाई से  देश मे  तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनयम लागू कर दिए गए हैं। ये कानून पूरी तरह से स्वदेशी है। इनके लागू होने से अंग्रेजों के जमाने से चले आए रहे कानून समाप्त हो गए हैं।  भारतीय  दंड संहिता (IPC), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) और पुराने भारतीय साक्ष्य अधिनयम की जगह लेंगे। केंद्र सरकार ने  12 दिसंबर, 2023 को  इन तीन कानूनों में बदलाव का बिल लोकसभा में प्रस्तावित किया गया था। 20 दिसंबर, 2023 को लोकसभा और 21 दिसंबर, 2023 को राज्यसभा से ये बिल  पारित हुए थे।  25 दिसंबर, 2023 को महामहिम राष्ट्रपति  ने तीन विधेयकों को अपनी मंजूरी दी थी । इसके बाद  24 फरवरी, 2024 को केंद्र सरकार ने इसका नोटिफिकेशन जारी किया और अब एक जुलाई 2024 से ये तीनो नए कानून देश मे लागू हो गए हैं।

तीन नए आपराधिक कानून लागू होने के बाद भारतीय दंड विधान में   175 धाराओं में बदलाव किया गया है।  धोखाधड़ी और ठगी करने वालों के खिलाफ अब 420 की जगह धारा-318 लागू होगी. अब किसी ठग को 420 नही कहा जा सकेगा।हत्या, रेप, डकैती, चोरी समेत हर धारा का नंबर भारतीय न्याय संहिता में बदल चुका है। भारतीय न्याय संहिता में आई पी सी  की दफा 302 बदलकर धारा 103 कर दी गई है। इंडियन पैनल कोर्ट   की जगह भारतीय न्याय संहिता बी एन एस,  CRPC की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और IEA की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम हो गया है।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) में बदलाव किए गया है।  भारतीय न्याय संहिता (BNS) में भी बदलाव किए गए हैं। अब तक इंडियन एविडेंस एक्ट में 167 धाराएं थीं अब नए कानून के अनुसार  भारतीय साक्ष्य अधिनियम में कुल 170 धाराएं हैं। नए कानून में 6 धाराएं समाप्त कर दी गई हैं।  अधिनियम में दो नई धाराएं और 6 उप धाराएं जोड़ी गई हैं।.नए कानून में गवाहों की सुरक्षा के लिए भी प्रावधान किए गए है। डॉक्युमेंट्स की तरह इलेक्ट्रॉनिक सबूत भी कोर्ट में मान्य किए जाएंगे। जिसमें ई-मेल, मोबाइल फोन, इंटरनेट आदि से मिलने वाले साक्ष्य शामिल किए गए हैं।
तीनो नए  कानूनों में अत्याधुनिकतम तकनीकों को शामिल किया गया है। इसमें पहली बार ई-एफआईआर का प्रावधान किया भी गया है और हफ्तेभर में फैसला ऑनलाइन उपलब्ध कराना जरूरी किया गया है।  इनमे  कानूनी प्रक्रियाओं को डिजिटलाइज करने का प्रावधान इन कानूनों में किया गया है। दस्तावेजों की परिभाषा का विस्तार कर इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड्स, ई-मेल, सर्वर लॉग्स, कम्प्यूटर, स्मार्ट फोन, लैपटॉप्स, एसएमएस, वेबसाइट, लोकेशनल साक्ष्य, डिवाइस पर उपलब्ध मेल और मैसेजेस को कानूनी वैधता दी गई है।  इससे अदालतों में लगने वाले कागजों के अंबार से मुक्ति मिलेगी।

♦ प्रक्रिया को डिजिटलाइज किया

कानूनी प्रक्रिया में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और वीडियोग्राफी का विस्तार किया गया है। एफआईआर से केस डायरी, केस डायरी से चार्जशीट और चार्जशीट से जजमेंट तक की सारी प्रक्रिया को डिजिटलाइज किया गया है।  अभी सिर्फ आरोपी की पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हो सकती है। लेकिन अब पूरा ट्रायल, क्रॉस क्वेश्चनिंग सहित, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से होगा। शिकायतकर्ता और गवाहों का परीक्षण, जांच-पड़ताल और मुकदमे में साक्ष्यों की रिकॉर्डिंग और उच्च न्यायालय के मुकदमे और पूरी अपीलीय कार्यवाही भी अब डिजिटली संभव होगी।

♦बनेगी नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी

केंद्र सरकार के अनुसार, नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी और इस विषय के देशभर के विद्वानों और तकनीकी एक्सपर्ट्स के साथ चर्चा कर इसे बनाया गया है। सर्च और जब्ती के वक्त वीडियोग्राफी को आवश्यक कर दिया गया है। जो केस का हिस्सा होगी और इससे निर्दोष नागरिकों को फंसाया नहीं जा सकेगा। पुलिस द्वारा ऐसी रिकॉर्डिंग के बिना कोई भी चार्जशीट वैध नहीं होगी। फॉरेंसिक साइंस का अधिकतम इस्तेमाल होगा। सरकार ने नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी बनाने का निर्णय भी लिया है। इससे  तीन साल के बाद हर साल 33 हजार फॉरेंसिक  एक्सपर्ट्स और साइंटिस्ट्स देश को मिलेंगे।

इस कानून से  दोष सिद्धि के प्रमाण (Conviction Ratio) को 90 प्रतिशत से ऊपर ले जाने के लक्ष्य है। इसके लिए एक महत्वपूर्ण प्रावधान किया गया है कि सात वर्ष या इससे अधिक सजा वाले अपराधों के क्राइम सीन पर फॉरेंसिक टीम का दौरा आवश्यक किया गया है। इसके माध्यम से पुलिस के पास एक वैज्ञानिक साक्ष्य होगा जिसके बाद कोर्ट में दोषियों के बरी होने की संभावना बहुत कम हो जाएगी।

♦मोबाइल एफएसएल की सुविधा

मोबाइल फॉरेंसिक वैन का उपयोग भी अपराधों के अनुसंधान में किया जाएगा।।  इसके लिए मोबाइल एफएसएल के कॉन्सेप्ट को लॉन्च किया गया है। इसमे  हर  जिले में तीन मोबाइल एफएसएल रहेंगी और अपराध स्थल पर जाएंगी।

♦ई-एफआईआर का प्रावधान:

नागरिकों की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए  इन कानूनों में पहली बार जीरो एफआईआर की शुरुआत होगी। अपराध कहीं भी हुआ हो उसे अपने थाना क्षेत्र के बाहर भी रजिस्टर किया जा सकेगा। अपराध रजिस्टर होने के 15 दिनों के अंदर संबंधित थाने को भेजना होगा। पहली बार ई-एफआईआर का प्रावधान जोड़ा गया है। हर जिले और पुलिस थाने में एक ऐसा पुलिस अधिकारी नामित किया जाएगा जो गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के परिवार को उसकी गिरफ्तारी के बारे में ऑनलाइन और व्यक्तिगत रूप से सूचना देगा।

♦ बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग आवश्यक

यौन हिंसा के मामले में पीड़ित का बयान आवश्यक कर दिया गया है। यौन उत्पीड़न के मामले में बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग भी अब आवश्यक कर दी गई है। पुलिस को 90 दिनों में शिकायत का स्टेटस और उसके बाद हर 15 दिनों में फरियादी को स्टेटस देना आवश्यक होगा। पीड़ित को सुने बिना कोई भी सरकार 7 वर्ष या उससे अधिक के कारावास का केस वापस नहीं ले सकेगी। इससे नागरिकों के अधिकारों की रक्षा होगी।

♦हफ्तेभर में फैसला

सरकार ने 2027 से पहले देश की सभी अदालतों को कंप्यूटराइज्ड करने का लक्ष्य रखा गया है। नए कानूनों में आरोप पत्र दाखिल करने के लिए 90 दिनों की समयसीमा तय कर दी गई है। परिस्थिति देखकर अदालत आगे 90 दिनों की परमीशन और दे सकेंगी। इस प्रकार 180 दिनों के अंदर जांच समाप्त कर ट्रायल के लिए भेज देना होगा। कोर्ट अब आरोपित व्यक्ति को आरोप तय करने का नोटिस 60 दिनों में देने के लिए बाध्य होंगे। बहस पूरी होने के 30 दिनों के अंदर न्यायाधीश को फैसला देना होगा। इससे सालों तक निर्णय पेंडिंग नहीं रहेगा और फैसला 7 दिनों के अंदर ऑनलाइन उपलब्ध कराना होगा।


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