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छिन्दवाड़ा का भ्रष्ट नगर निगम : 2अरब 82 करोड़ के बजट में बचाएगा 10 हजार, पार्षदो ने बैठक में खोली कार्यप्रणाली की पोल पोल

बजट को छोड़ पार्षदो ने की अन्य मुद्दों पर गरमगरम बहस

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♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश –

करीब ढाई लाख की आबादी और 48 वार्डो वाले नगर निगम में  शासन दो महीने में एक कमिश्नर की पदस्थापना भी नही कर पाया है जबकि भोपाल से रोज जमाने भर के अधिकारियों की तबादला सूची जारी हो रही है। कमिश्नर का काम है कि वह हर दो माह में निगम परिषद की बैठक बुलाए मगर यहाँ तो साल में एक बार केवल बजट के लिए ही परिषद की बैठक जबरदस्ती बुलाई जाती है। शुक्रवार 15 मार्च को बजट के लिए ही परिषद की बैठक बुलाई गई थी। बैठक में बजट तो रखा गया मगर इससे पहले प्रभारी कमिश्नर के सी बोपचे  के सामने अनेक मुद्दे रखते हुए खुद पार्षदो ने ही बता दिया कि छिन्दवाड़ा का नगर निगम घोषित भ्रष्ट है। बैठक में निगम महापौर विक्रम अहके, निगम अध्यक्ष सोनू मांगो, नेता प्रतिपक्ष विजय पांडेय , सभापति सहित कांग्रेस – भाजपा के पार्षद और अधिकारी मौजूद थे।

परिषद की बैठक में निगम ने अगले वित्तीय वर्ष के लिए 2 अरब 82 करोड़ 94 लाख 50 हजार  का बजट पेश कर 2 अरब 82 करोड़ 94 लाख 40 हजार का व्यय बताकर 10 हजार बचाने की बात कही है। इस बचे हुए 10 हजार का निगम  करेगा क्या यह नही बताया है।  बजट तो कागजो में उकेरे अंकों का  खेल था बिना किसी बहस के पास भी हो गया है।  बजट के लिए बुलाई बैठक में बजट को छोड़कर अन्य मुद्दे ही यहां हावी नजर आए। जिसमे कहा गया कि  नगर निगम में  बजट ना होने का फर्जी हल्ला मचाया जा रहा है। पार्षद कांग्रेस के हो या भाजपा के भ्रष्टचार के मामले में दोनो के सुर एक ही थे। बैठक में निगम के अधिकांश पार्षदो ने कहा कि निगम के अधिकारी मनमानी पर उतारू है।  किसी की नही सुनते हैं। वर्षों से यहां जमे है तबादला करा दो तो भी सेटिंग कर वापस यही आ जाते हैं। यहां भ्र्ष्टाचार कर अकूत धन –  संपत्ति बना रखी है  जिनकी ना जांच होती है ना ही कार्रवाई ।पार्षदो का  साफ तौर पर कहना था  कि नगर निगम में एकाउंट , स्वास्थ्य, लीज , हॉर्डिंग्स, निर्माण कार्य , सप्लाई, , विद्युत, सीवर सहित अन्य शाखाएं भ्र्ष्टाचार की गिरफ्त में है। निर्माण कार्यो में इंजीनियर भी मोटा कमीशन बना रहे हैं। यहां हजार के कार्य लाख में लाख के कार्य करोड़ो में हो रहे हैं। फर्जीवाड़ा कर मालामाल होने का अड्डा नगर निगम बना हुआ है ।

नगर निगम का सालाना बजट 285 करोड़ का है। एवरेज 24 करोड़ हर महीने की  बात है।बजट में  56 प्रतिशत केवल शहर के विकास कार्यो के लिए होता है।  बजट अनुपात में 120 करोड़ के विकास कार्य सालाना शहर में  होने चाहिए लेकिन होता कुछ नही है  तो फिर राजस्व जाता कहा है। बजट के साथ परिषद में पिछले वित्तीय वर्ष का प्रतिवेदन भी होना चाहिए था कि कितनी आय हुई और कहा – कहा खर्च हुई। शासन से किस मद में कितना – कितना बजट मिला। चुंगी क्षतिपूर्ति की कितनी राशि मिली और कहा व्यय हुई और निगम का वर्तमान स्टेटस क्या है जो बैठक में रखा ही नही गया।

बैठक में तो पार्षदो ने स्वास्थ्य अधिकारी अनिल मालवी, लेखा अधिकारी प्रमोद जोशी, विद्युत शाखा में लियाकत खान,पेट्रोल – डीजल में मंगेश पवार का नाम लेते हुए कहा कि ये अधिकारी भृष्ट है। बिना किसी कमीशन और लेनदेन के कोई काम ही नही करते इन्हें निगम से बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिए।ये अधिकारी वर्षों से निगम में जमे है। इसी तरह कुछ इंजीनियर को भी निशाने पर लिया है। परिषद की बैठक तो एक मात्र बजट प्रस्ताव के लिए बुलाई गई थी मगर पार्षद यहां कमिश्नर के सी बोपचे के सामने निगम की कार्यप्रणाली की पोल खोलते नजर आए। वैसे इसी डर के कारण नगर निगम में परिषद की बैठक बुलाई ही नही जाती है कि बैठक में ना जाने किस की पोल खुल जाए भरोसा नही।

बैठक में बजट तो पास कर दिया गया मगर बैठक में अनेक विवादित मुद्दे उठाए गए। पार्षद संदीप चौहान ने तो सीवरेज कंपनी का पेमेंट रोकने और बर्मन भूमि से कचरा घर हटाने की मांग रख दी। वही राहुल मालवी ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अनिल मालवी और मंगेश पवार को भृष्ट बताकर उनकी संपत्ति की जांच और तबादला करने तक की बात कह दी। अधिकांश पार्षदो ने विद्युत शाखा के लिकायत खान और लेखा शाखा के प्रमोद जोशी की भी खुली शिकायत की है। नेता प्रतिपक्ष विजय पांडेय ने नगर निगम में शामिल पंचायत कर्मियों के वेतन सहित अनेक मामले उठाए। उनका साफ कहना था कि कांग्रेस से नगर निगम चल नही पा रहा है हर काम ठप्प है  नगर की जनता परेशान हैं। स्वछता में साढ़े सात करोड़ का बजट मिलने के बाद भी नगर निगम 14 वी रेंक से 56 वी में पहंच गया है। इसके जवाबदार महापौर विक्रम अहके है जो महापौर के साथ स्वयं स्वास्थ्य विभाग के सभापति है।

बैठक में शहर में हॉर्डिंग्स के नाम पर चल रहे भ्र्ष्टाचार के  खेल को भी उजागर किया गया कि कैसे यहां ठेके की राशि जमा किए बगैर ही धंधा चल रहा है।पेट्रोल – डीजल के मामले में तो कहा गया कि यहां कांग्रेस और भाजपा नेताओ से लेकर अधिकारियों तक के वाहनो में इतना पेट्रोल – डीजल डल रहा है कि इतना तो कचरा संकलन  के 100 से ज्यादा वाहनो में भी नही दकता है।  पेट्रोल – डीजल के नाम पर भी निगम में बड़ा घोटाला है। साल का चार करोड़ केवल पेट्रोल – डीजल पर ही जा रहा है। हॉर्डिंग्स से लेकर लीज नामान्तरण के नाम पर भी बड़ा खेल चल रहा है। अधिकारी – नेता  मालामाल हो रहे हैं और निगम को कंगाल बता रहे हैं। नगर निगम नगर की जनता से मिलने वाले टेक्स – शुल्क से चलता है। यहां जनता की गाड़ी कमाई को दोनो हाथो से लुटा जा रहा है। हर पार्षद यहां अपना एक ठेकेदार लिए बैठा नजर आता हैं। यह ठेकेदार ही उनकी कमाई का जरिया कहा जाता है।

बैठक में  ठेकेदारों के लंबित भुगतान का मुद्दा भी उठा और पांच सौ से ज्यादा फाइल पेंडिंग बताई गई जिस पर कमिश्नर के सी बोपचे ने हर वार्ड की पांच फाइल एक सप्ताह के भीतर भुगतान के लिए भेजने और बैठक में उठाए गए मामलों को जांच में लेकर बाल की भी खाल निकालने कहा है।उन्होंने यह भी कहा कि कमिश्नर का प्रभार लेने के बाद से सतत कार्य कर रहा हूँ। यहाँ अधिकारी और कर्मचारियों का तीन माह का रुका वेतन भुगतान कराया जा चुका है। सामान्य मेंटनेंस चल रहा है। निर्माण कार्यो में ठेकेदारों को भी भुगतान किया जा रहा है।


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