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Chhindwara Politics : छिन्दवाडा में कमलनाथ के डेमेज कंट्रोल के प्रयासों को फिर झटका, कमलकुंज में बैठक के बाद परासिया विधायक और जिला पंचायत अध्यक्ष में खुलेआम झगड़ा

कमलकुंज में परासिया विधानसभा क्षेत्र के नेताओ की बैठक के बाद हंगामा

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♦छिन्दवाडा मध्यप्रदेश –

छिन्दवाडा लोकसभा और अमरवाड़ा विधानसभा गंवाने के बाद डिप्रेशन में आई कांग्रेस को नई ऊर्जा देने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व सांसद नकुलनाथ के डेमेज कंट्रोल के प्रयास एक बार फिर नाकाम हो गए हैं। करीब दो माह बाद  तीन दिन के छिन्दवाडा दौरे पर आकर  पार्टी की  अगली रणनीति को लेकर दोनों नेता कमलकुंज में विधानसभा क्षेत्रवार बैठक ले रहे हैं। बैठक में चुनाव के हार के कारणों से लेकर संगठन की कमियों और मूल्यांकन के आधार पर फ़ेरबदल के फैसले हो रहे हैं। आज कमलकुंज में परासिया विधानसभा क्षेत्र की बैठक थी। बैठक के बाद कमलकुंज में ही कुछ ऐसा हो गया कि  परासिया में कांग्रेस  नेताओ के बीच मनमुटाव,  दूरिया और रंजिश की पोल खुल गई। यहां परासिया के विधायक सोहन वाल्मीक और जिला पंचायत अध्यक्ष संजय पुन्हार के बीच जमकर विवाद ही नही  हाथापाई तक हो गई है। वहां  मौजूद पार्टी कार्यकर्ताओं ने किसी तरह  दोनों को अलग किया और विवाद शांत कराया। बाद में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी  अपने कमरे में दोनों से अलग – अलग बात की। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और सांसद नकुलनाथ किसान न्याय यात्रा में शामिल हुए। जिसमे  दोनो नेता नजर नही आए।

यहां गौर तलब बात है कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ  को भी सबकुछ मालूम है। वे किसी तरह  डेमेज कंट्रोल कर समन्वय बनाकर छिन्दवाडा में  पटरी से उतरी कांग्रेस को वापस पटरी पर लाने की कवायद में है। ताकि भविष्य में ऐसे दिन ना देखने पड़े। किंतु कांग्रेसी ही एक होने को तैयार नही दिखते है। सबको अपने भविष्य की चिंता है। जिसके आधार पर वे पार्टी को छोड़ केवल अपने भविष्य के ताने – बाने का ही मूवमेंट चलाते हैं कि उनके रास्ते मे कोई कांटा ना हो।

परासिया में चल रही जिला पंचायत अध्यक्ष संजय पुन्हार की  राजनीतिक गतिविधि से  विधायक सोहन वाल्मीक को अपने भविष्य पर खतरा नजर आने लगा है। पुन्हार भी अनुसूचित जाति से है। इसी कोटे से जिला पंचायत के अध्यक्ष बने हैं। परासिया विधानसभा सीट भी इसी वर्ग के लिए आरक्षित कोटे में है। पिछले  विधानसभा चुनाव में संजय पुन्हार विधायक पद के दावेदार थे लेकिन टिकट वापस सोहन वाल्मीक को ही दिया गया था।  इसके बाद से सोहन वाल्मीक ने संजय पुन्हार को अपना प्रतिद्वंदी मान लिया और उनकी छवि खराब करने के कोई मौके नही छोड़ रहे हैं।

आज  शिकारपुर में परासिया विधानसभा क्षेत्र की बैठक के बाद विधायक ने   संजय पुन्हार को ना केवल भला – बुरा कहा बल्कि देख लेने तक की धमकी दे डाली है। सोहन वाल्मीक वर्तमान में लगातार तीसरी बार परासिया के विधायक है लेकिन पिछले दो चुनाव में उनकी भाजपा के प्रत्याशी से हार- जीत का अंतर बता रहा है कि अब अगले चुनाव में उनकी विदाई तय है।  संजय पुन्हार ने जिला पंचायत अध्यक्ष बतौर गांव – गांव का दौरा कर अपनी अलग साख तैयार की है। वे परासिया का नया पावर सेंटर बनकर उभरे हैं। ऐसे में संजय पुन्हार विधायक की आंखों का शूल बन गए हैं। किसी न किसी बात से उनकी छवि खराब करने का वे षड्यंत्र कर रहे हैं। दोनो ही नेता कमलकुंज में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व सांसद नकुलनाथ के समक्ष बैठक में थे। विधायक बैठक में बात रखने की जगह बैठक के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष से यह कहकर भड़ास निकालते नजर आए कि भाजपा में जाने की जुगत में ही तो फिर तुम्हारा यहां क्या काम है। बैठक में  जैसे विधायक को बुलाया गया था वैसे ही जिला पंचायत अध्यक्ष को भी  बुलाया गया था। विधायक का कार्यक्षेत्र अलग है जिला पंचायत अध्यक्ष का अलग फिर  भी विधायक संजय पुन्हार के बढ़ते कद से डरे हुए हैं। आज के झगड़े ने तो इस बात पर मुहर ही लगा दी है।

खास बात यह है कि दोनों ही नेता वैधानिक है। सरकार ने जिला पंचायत के अध्यक्ष को भी विधायक के बराबर ही सुविधा दे रखी है। जिला पंचायत अध्यक्ष को तो जिला मुख्यालय में बंगला भी मिला हुआ है। गाड़ी, स्टाफ सहित अन्य सुविधा भी है। जिला पंचायत के अध्यक्ष अपने कार्य क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं। अधिकारियों से क्या मंत्रियों और मुख्यमंत्री से भी मिलते हैं।

छिन्दवाडा में कांग्रेस की हालत के हालात तो यही कह रहे हैं कि कांग्रेस को अब नए नेताओ की जरूरत है। नही तो भाजपा आज नही तो कल  कब्जा जमा ही लेगी। अभी भाजपा के पास सांसद और एक विधायक है। यही हाल रहा तो अगली बार शेष पांच विधायक भी भाजपा के ही होने में देर ना लगेगी । विधायक सोहन वाल्मीक का जिला पंचायत के अध्यक्ष संजय पुन्हार पर आरोप है कि वे भाजपा में शामिल होने की कोशिश में लगे हैं। मंत्री और मुख्यमंत्री से मिल कर आ चुके हैं। तो क्या छिंदवाड़ा से भाजपा में शामिल होने की कोशिश  किस – किसने ने नही की यह बताने की जरूरत नही है। पब्लिक सब जानती है।

खुद विधायक सोहन वाल्मीक ने भी प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से मुलाकात की थी। तो क्या भाजपा नेताओं से मुलाकात अब छिन्दवाडा में  कांग्रेस में कलह की नई वजह बन गई है। कांग्रेस से जो नेता भाजपा में गए हैं। मालूम होने के बाद भी  पार्टी उन्हें रोक  नही पाई थी। और  ना ही अब तक ही  इस मामले में कांग्रेस की कोई पालिसी सामने आई है।

दरअसल प्रदेश के मुख्य मंत्री डॉ मोहन यादव  से  छिन्दवाडा के कांग्रेस के नेताओ की मुलाकात के बाद राजनीतिक गलियारे में तरह – तरह की चर्चाओं का दौर बना रहता है। भाजपा ने कांग्रेस के नेताओ के लिए लोकसभा चुनाव के दौरान ही एंट्री गेट खोला था। चुनाव बाद से यह गेट बंद है। कहने का मतलब है कि भाजपा ने चुनाव  जीतने बाद किसी कांग्रेस नेता को एंट्री नही दी है। छिन्दवाडा से ही अभी दर्जनों नेता अब भी  कतार में है कि उन्हें भाजपा में एंट्री मिल जाए। मगर कांग्रेस नेताओं की एंट्री से भाजपा को ही खतरा हो जाने का डर है।

शिकरपुर में घटित इस  अप्रत्याशित घटना की  राजनीतिक गलियारों में जमकर चर्चा है। परासिया विधायक की राजनीति 25 साल से ज्यादा की है। महज दो साल से  संजय पुन्हार   जिला पंचायत के  अध्यक्ष  है  फिर भी  भी बार – बार परासिया विधायक   इतना असहज महसूस करते है ? क्या परासिया विधानसभा में संजय पुन्हार भारी पड़ने लगे है ? क्या कारण है जिससे इतनी बौखलाहट निकल कर आ रही है ? इस मामले में जिला  पंचायत अध्यक्ष संजय  पुन्हार का कहना है कि विधायक का मतभेद खुलकर सामने आ गया है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ मेरे आइडियल है मैंने उनके समक्ष अपनी बात रख दी है।

 


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