सलकनपुर देवी लोक : एम पी सरकार का उज्जैन महाकाल के बाद दूसरा बड़ा प्रोजेक्ट
2025 तक बनकर होगा तैयार , श्रद्धालुओं के लिए मंदिर सहित अनेक सुविधाओ का विस्तार
♦भोपाल मध्यप्रदेश-
उज्जैन महाकाल लोक के बाद अब सीहोर जिले के सलकनपुर में देवी लोक का निर्माण किया जा रहा है आगामी 31 मई को मुख्य मंदिर क्षेत्र में भूमि-पूजन एवं शिला-पूजन कार्यक्रम होगा। देवी लोक के निर्माण में जन-जन के योगदान के लिए ईंट- शिला संकलन भी किया जाएगा। इसके लिए रथ यात्राएं निकाली जाएगी।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने देवी लोक महोत्सव के पूर्व ग्रामों से शिलाएँ एकत्र करने के लिए मुख्यमंत्री निवास में आयोजित मंदिर समिति की बैठक के बाद रथ यात्रा रवाना की है। उन्होने सिर पर देवी की चरण पादुका रख कर रथ यात्रा के वाहन को सौंपी। श्रीमती साधना सिंह ने भी यात्रा के लिए चरण पादुकाएँ प्रदान की। इस अवसर ओर देवी लोक महोत्सव की डीपी और पोस्टर का अनावरण भी किया गया साथ ही लघु फिल्म के माध्यम से देवी लोक निर्माण के प्रकल्प का विवरण दिया गया।
बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में सलकनपुर में निर्मित होने वाले देवी लोक का धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन की दृष्टि से विशेष महत्व रहेगा। राजधानी भोपाल से नजदीक होने से इस प्रमुख आराधना स्थल में पहुँचने वालों की संख्या लाखों में होती है। अनेक जिलों से श्रद्धालु पद यात्रा करते हुए प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण स्थान सलकनपुर पहुँचते हैं। यहाँ अनेक पर्यटक सुविधाएँ विकसित की गई हैं। देवी लोक के निर्माण से इन सुविधाओं में वृद्धि होगी और श्रद्धालु मैया के दर्शन के साथ ही विभिन्न सुविधाओं का उपयोग करते हुए यहाँ कुछ समय व्यतीत कर सकेंगे। इस आस्था केन्द्र तक पहुँचने के लिए सीढ़ियों का मार्ग, सड़क मार्ग, रोप-वे आदि उपलब्ध है। देवी लोक के निर्माण के बाद श्रद्धालुओं के निवास, खान-पान से जुड़ी सुविधाओं में वृद्धि होगी। देवी लोक निर्माण में सलकनपुर में मूल मंदिर यथावत रहेगा। मैया के नवरूप भी रहेंगे। यही नहीं 64 योगिनी और दुकानों के निर्माण के साथ अन्य व्यवस्थाओं से इस क्षेत्र का महत्व बढ़ेगा। यह मध्यप्रदेश ही नही देश की आस्था का केंद्र होगा ।
देवी लोक महोत्सव में 28, 29 एवं 30 मई ग्रामों में शिला एवं चुनरी यात्रा निकाली जाएंगी। ‘जिसमे मेरी घर की मिट्टी माँ के चरणों में अर्पित’ करने प्रत्येक घर से ईंट – शिला के संकलन का कार्य होगा। सोमवार-29 मई को रंगोली प्रतियोगिताएँ होंगी। 31 मई को मुख्य कार्यक्रम में भूमि-पूजन एवं शिला-पूजन के साथ धर्मगुरूओं तथा कथावाचकों का सम्मान होगा।
सलकनपुर में देवी मंदिर का निर्माण 300 साल पहले किया गया था। मंदिर निर्माण और प्रतिमा मिलने की कथा के अनुसार पशुओं का व्यापार करने वाले बंजारो को यहां देवी ने दर्शन दिए थे कहा जाता है कि इस स्थान पर विश्राम और चारे के लिए रूके बंजारों के पशु अचानक ही अदृष्य हो गए थे। जब बंजारे पशुओं को ढूंडने के लिए निकले, तो उनमें से एक बृद्ध बंजारे को एक बालिका मिली थी । बालिका ने कहा की आप यहां देवी के स्थान पर पूजा-अर्चना कर अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकते हैं। बंजारे ने कहा कि हमें नही पता है कि मां भगवति का स्थान कहां है। तब बालिका ने संकेत स्थान पर एक पत्थर फेंका। जिस स्थान पर पत्थर फेंका वहां मां भगवति के दर्शन हुए थे । बंजारी ने माँ भगवति की पूजा-अर्चना की और कुछ ही क्षण बाद उनके खोए पशु मिल गए थे । मन्नत पूरी होने पर बंजारों ने यहां मंदिर का निर्माण करवाया था । यह घटना बंजारों द्वारा बताये जाने पर यहां लोगों का आना शुरू हो गया और वे भी अपनी मन्नत लेकर आने लगे। अब तो सलकनपुर धाम में प्रतिदिन ही लाखो की संख्या में भक्त आते हैं यह बहुत प्राचीन मंदिर है, विंध्यवासनी बीजासन देवी का यह पवित्र सिद्धपीठ देवी “दुर्गा” रेहटी तहसील मुख्यालय के पास सलकनपुर गाँव में एक 800 फुट ऊँची पहाड़ी पर है, यह भोपाल से 70 किमी की दुरी पर स्थित है। प्रत्येक नवरात्री को यहाँ मेला आयोजित किया जाता है। माना जाता है कि यह ही वह स्थल है जहां माता ने रक्त बीज नाम के राक्षस का वध किया था।
मंदिर में धुने की स्थापना भी है।कहा जाता है कि हिंसक जानवरों, चौसठ योग-योगिनियों का स्थान होने से कुछ लोग यहां पर आने में संकोच करते थे। तब स्वामी भद्रानंद ने यहां तपस्या कर चौसठ योग-योगिनियों के लिए एक स्थान स्थापित किया। तथा मंदिर के समीप ही एक धुने की स्थापना की। और इस स्थान को चैतन्य किया है। तथा धुने में एक अभिमंत्रित चिमटा, जिसे तंत्र शक्ति से अभिमंत्रित कर तली में स्थापित किया गया है। आज भी इस धुने की भवूत को ही मुख्य प्रसाद के रूप में भक्तगणों को वितरित किया जाता है।
सीहोर स्थित लाखो लोगो की आस्था के केंद्र इस सलकनपुर देवी धाम में पर्यटको को नई सुविधाओ के लिए तेजी से निर्माण कार्यो को पूरा किया जा रहा है । यह देवी लोक 2025 तक नए भव्य स्वरूप में पूरी तरह बनकर तैयार जो जाएगा। यहां 70 करोड़ की लागत से बन रहे नए रोपवे से हर 1 घंटे में 1500 श्रद्धालु आसानी से पहाड़ी की सीढ़ियां चढ़े बिना मंदिर पहुंच सकेंगे। यहां देवी लोक के मुख्य मंदिर और मंदिर काॅम्प्लेक्स के पुनर्निर्माण में ही 15 करोड़ से अधिक की राशि खर्च होगी। राज्य सरकार ने यहां 97 करोड़ से अधिक की राशि से चौसठ योगिनी प्लाजा और नवदुर्गा कॉरिडोर सहित तमाम पर्यटक सुविधाओं का निर्माण कर रही है इसके अलावा विभिन्न पर्यटन सुविधाएं विजिटर काॅम्प्लेक्स, मंदिर-सीढ़ी मार्ग के कार्य, पार्किंग जनसुविधा, सामुदायिक काॅम्प्लेक्स और पैदल यात्रियों के लिए पाथ-वे भी बन रहे हैं। फाउंटेन ऑफ लाइट का निर्माण भी हो रहा है।
यहां मुख्य मंदिर परिसर में मुख्य मंदिर का लाल पत्थरों से सौंदर्यीकरण होगा और नवीन देवी लोक में सप्त मातृका, महाविद्या थीम पर महाकाली, तारा, छिन्नमस्ता, सुंदरी, बगला, मातंगी, भुवनेश्वरी, सिद्ध विद्या, भैरवी और धूमावती की झांकियों का प्रदर्शन भी होगा। फाउंटेन प्लाजा और भक्ति मार्ग के रूप में एक प्लाजा का निर्माण होगा। पर्याप्त प्रकाश की व्यवस्था और सुरक्षा की दृष्टि से पब्लिक एड्रेस सिस्टम और सीसीटीवी लगेगा। सभी कार्य अप्रैल 2025 तक पूरे होंगे। देवी लोक में बन रहे नवीन रोप – वे में तीन स्ट्रेशन होंगे । इसके अलावा टॉयलेट ब्लॉक, ड्राइवर डोरमेटरी, प्रवेश द्वार, पहाड़ी के नीचे 102 दुकानें, पाथ-वे, रेलिंग और फेंसिंग जैसे निर्माण भी चल रहे हैं। इमरजेंसी रोड, इमरजेंसी पार्किंग, ईवी चार्जिंग पॉइंट, वाहनों के लिए ड्रॉपिंग पॉइंट, कतार में लगने के लिए हॉल आदि भी विकसित किए जा रहे हैं।