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छिन्दवाड़ा ट्राइबल में घोटाले बाज निकले बी ई ओ और बाबू ,जुन्नारदेव कार्यालय में पकड़ा 1 करोड़ 32 लाख का गबन

सात दिनों तक की जबलपुर वित्त विभाग की टीम ने जांच

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♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश –

छिन्दवाड़ा का जनजातीय विभाग वित्तीय घोटालों का बड़ा गढ़ है। भ्रष्ट अफसरों बी ई  ओ  और बाबुओं से लेकर संकुल  केंद्र प्रभारी सहित छात्रावासो के अधीक्षक यहां आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे पड़े हैं। आदिवासियों का  उत्थान  तो जिले में हुआ नही मगर उनके नाम पर विभाग के अफसरों  से लेकर कर्मियों का अजब – गजब का उत्थान चल रहा है। सरकार अकेले वेतन में ही यहां सालाना करोड़ो का बजट खर्च कर  रही है। इसके बावजूद विभाग में हर मामले में घोटाले और सिर्फ घोटाले भरे पड़े हैं।  चाहे वह स्कूल और छात्रावासों की सामग्री हो भोजन हो , रजाई –  गद्दे ,पलंग ,फर्नीचर, टी वी, कम्प्यूटर की खरीदी हो या फिर अतिथि शिक्षकों की भर्ती या फिर विभाग में ही कार्यरत कर्मियों के वेतन, भत्ते ,ग्रेज्युटी, या फिर पेंशन प्रकरण का भुगतान। हर मामले में भृष्ट कार्यप्रणाली विभाग की पहचान बन गई है। विभाग में चार बी ई ओ जुन्नारदेव,  हर्रई, तामिया और बिछुआ सहित चार एकलव्य विद्यालय को भुगतान का अधिकार है। अब तो जुन्नारदेव का यह प्रमाणित घोटाला सामने आने के बाद वित्त विभाग को विभाग की हर संस्था में ऑडिटर बिठाकर जांच करानी चाहिए ताकि विभाग की कार्यप्रणाली की वास्तविकता जनता के सामने आ सके कि विभाग में अफसरी झाड़ने वाले अफसर आखिर करते क्या है।

ताजा मामला विभाग के सबसे बड़े जुन्नारदेव विकासखंड  का है। यहां के बी ई ओ और बाबू ने मिलकर मृत शिक्षकों तक को नही बक्शा है। उनके परिजनों को मिलने वाली राशि अपने निजी खातों में लेकर उड़ा दी है। यह राशि कोई दस – बीस हजार की नही बल्कि 1 करोड़ 32 लाख की है। विभाग ने बी ई ओ को वेतन, पेंशन सहित कर्मियों के अन्य भुगतान का अधिकार दे रखा है। इस अधिकार का ही बी ई ओ और बाबू ने बेजा फायदा उठाया है।

यह प्रमाणित घोटाला किसी और ने नही बल्कि शासन के वित्त विभाग ने ही पकड़ा है। खास बात यह है कि घोटाला लंबे समय से चल रहा था और विभाग के जिला  अफसरों  को इसकी भनक तक नही थी। तो क्या विभाग के सहायक आयुक्त और क्षेत्र संयोजक से लेकर मण्डल संयोजक निरीक्षण के नाम पर आलू छीलने जाते थे। इतना ही नही शिकायतों के बावजूद विभाग ने ना मामलों की जांच कराई ना ही अपने ही विभाग के कर्मियों के साथ न्याय कर सका तो यह विभाग आदिवासियों का उत्थान क्या खाक करेगा।

जबलपुर वित्त विभाग से जांच के लिए आई टीम ने लगातार सात दिनों तक जुन्नारदेव बी ई ओ कार्यालय के वित्तीय रिकार्ड खंगाले है। टीम के अफसर संयुक्त संचालक रोहित सिंह कौशल ने बताया कि विभाग को आडिट में  21 खातों में  गड़बड़ी मिली थी। इन्ही खातों की जांच की गई तब 12 खातों में 1 करोड़ 32 लाख का गबन पाया गया है। इस मामले में दोषी बी ई ओ एम आई खान और लिपिक तौसीफ खान के खिलाफ एफ़ आई आर की जा रही है। उन्होंने बताया कि जुन्नारदेव बी ई ओ कार्यालय से भुगतान के नाम पर कर्मियों को छोड़ निजी खातों में यह राशि ट्रांसफर की गई है।

इनमे लिपिक तौसीफ खान ने बी ई ओ एम आई खान और की लॉगिन आई डी और पासवर्ड से ब्लाक के कर्मियों के अवकाश नगदीकरण, भत्ते सहित अतिथि शिक्षकों और मृत कर्मियों के खाते की राशि अपनी पत्नी सबीना, बहन साहिबा खान सहित अन्य रिश्तेदारों के खातों में ट्रांसफर कर गबन किया है। कार्यालय से एक मृत कर्मचारी पुरुषोत्तम विश्वकर्मा की पत्नी कुसुम विष्वकर्मा को मिलने वाली राशि गैर व्यक्ति शोएब खान को 1 लाख 82 हजार और इमरान खान को 1 लाख 67 हजार ट्रांन्सफार किए गए हैं।इस प्रकार के 21 खातों में से 12 खातों में करीब 1 करोड़ 32 लाख की राशि ट्रांन्सफार कर महाघोटाले को अंजाम दिया गया है। इसमे पेंशन, ग्रेज्युटी, सहित पी एफ़ ,डी ए,एरियर्स के अलावा  अतिथि शिक्षकों के वेतन की भी राशि है। अभी अन्य खातों की भी जांच चल रही है। इस मामले में बी ई ओ एम आई खान और लिपिक तौसीफ खान के विरुद्ध जुन्नारदेव थाना में एफ़ आई आर दर्ज कराई जा रही है।

बिछुआ बी ई ओ  भी 26 लाख के घोटालेबाज..

जनजातीय कार्य विभाग के बिछुआ बी ई ओ रमेश गाजरे भी घोटालेबाज है। बैतूल जिले के घोड़ाडोंगरी से शासन ने उनका तबादला बिछुआ किया था किंतु उनके खिलाफ घोड़ाडोंगरी बी ई ओ कार्यालय  में इसी तरह 26 लाख का गबन प्रमाणित  होने पर  शासन ने उन्हें निलंबित कर दिया है। वित्त विभाग ने बैतूल में उनके खिलाफ एफ़ आई आर भी दर्ज कराई है। उनके स्थान पर अब प्राचार्य  लक्ष्मीकांत मिश्र को बी ई ओ का  चार्ज दिया गया है।

शिक्षा विभाग में 65 लाख का घोटाला..

इस तरह के घोटाले में शिक्षा विभाग भी पीछे नही है। कुछ  माह पहले ही वित्त विभाग की टीम ने विभाग मे 65 लाख से ज्यादा  का घोटाला पकड़ा था। इस मामले में दो बी ई ओ सहित आठ कर्मियों के खिलाफ एफ़ आई आर की गई थी।

शिक्षा विभाग के इस घोटाले के मामले में बी ई ओ आईएम भीमनबार छिन्दवाड़ा मनोहर भलावी बी ई ओ, मोहखेड सहित दो बाबू अनिल कुडापे और किशोर जगदले सहित  शामराव नागवंशी प्राथमिक शिक्षक , संतोष उइके सहायक अध्यापक   कमलेश कुमार गढ़ैवाल भृत्य विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय छिंदवाड़ा,  उपेन्द्र  कुमार भारती सहायक कोषालय अधिकारी छिंदवाड़ा एवं  रामेश्वर सिंह बैस लिपिक जिला कोषालय छिंदवाड़ा के खिलाफ एफ़ आईआर के साथ ही उन्हें  निलंबित किया गया था। साथ ही  जिला कोषालय अधिकारी छिंदवाड़ा अरुण वर्मा  को कारण बताओं नोटिस देकर जांच के बाद हटा दिया गया था।


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