छिन्दवाड़ा के पुस्तक मेले में विवाद, कमीशन और छूट के नाम पर भड़के स्टेशनर्स
शिकायत थी कि स्टेशनर्स नही दे रहे हैं खरीदी पर छूट
♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश –
मेला लगा लो चाहे ठेला दुकानदार को जो करना है वो वही करेगा। कुछ ऐसा ही नजारा छिन्दवाड़ा के एम एल बी स्कूल में शिक्षा विभाग के लगाए गए पुस्तक मेले में सामने आया है। यहां शहर के एक स्टेशनर्स और अभिभावक संघ के जिला अध्यक्ष के बीच जमकर कहा सुनी हो गई। बात पहले मेले में खरीदी पर दी जाने वाले छूट की थी। फिर बिल पर आ गई और देखते हो देखते गाली – गलौज तक पहुंच गईं थी। किसी तरह विवाद को शांत कराया गया है।
कहने को तो मेले में 29 से ज्यादा स्टेशनर्स आए थे लेकिन गौर करने वाली बात यह थी कि स्कूल विशेष को किताबे केवल एक ही स्टेशनर्स के काउंटर पर थी। ऐसे में वही से किताबे खरीदने की मजबूरी तो बनी ही रही। और अभिवावकों को दाम भी उतने ही चुकाने पड़े जितने किताब के प्रिंट रेट में थे। तब मेले का क्या मतलब निकला। मेले के हर काउंटर पर उपलब्धता बनाने की जगह यहां जो काम बाजार में वो ही काम मेले में वाला आलम था। तो फिर मेले का इतना झमेला करने की क्या जरूरत थी।
बताया गया कि मेले में कौशल बुक डिपो के संचालक संजय कौशल और अभिभावक संघ के जिला अध्यक्ष राजेश जैन के बीच विवाद हुआ। राजेश जैन ने कुछ किताबें खरीदी उन्हें छूट तो मिली नही मगर स्टेशनर्स ने छूट गालियां जरूर दे दी। दरअसल ये किताब एक निजी स्कूल की थी जो पूरे मेले में केवल एक ही काउंटर पर थी। सवाल यह है कि जब जिला प्रशासन की पहल पर मेला लगाया गया है तब भी हालात बाजार की तरह ही रहे तो फिर मेले का औचित्य क्या?
दरअसल स्टेशनर्स का यह गुस्सा मेले में फूट पड़ा क्योंकि अभिभावक संघ जिला प्रशासन से लगातार शिकायत करते आया है कि शहर में निजी स्कूल के संचालक और एक स्टेशनर्स का टाइअप है जिससे किताबे केवल एक ही स्टेशनर्स में मिलती है। दूसरे स्टेशनर्स केवल मुह ताकते रह जाते हैं। यही हाल स्कूल ड्रेस का भी है। बात यह भी थी कि पुस्तक मेले में काउंटर कौशल बुक डिपो का था लेकिन बिल चौकसे स्टेशनर्स का दिया जा रहा था। बिल भी बिना जी एस टी का बताया गया है।