32 करोड़ का बजट मिलने के बाद भी छिन्दवाड़ा यूनिवर्सिटी ने नही बनाया डिजिटल एजुकेशन सेंटर
बजट की राशि कुलपति ने एक प्राइवेट बैंक में कर दी एफ डी
मुकुन्द सोनी छिन्दवाड़ा – छिन्दवाड़ा यूनिवर्सिटी 6 माह बाद भी एच डी एफ सी बैंक से अपने 32 करोड़ वापस नही ले पाई है यह राशि यूनिवर्सिटी को डिजिटल एजुकेशन उच्च शिक्षा के लिए छिन्दवाड़ा में सेंटर बनाने के लिए दी गई थी बजट यूनिवर्सिटी को दिया गया औऱ यूनिवर्सिटी के कुलपति ने यह राशि एच डी एफ सी बैंक की छिन्दवाड़ा शाखा में बतौर एफ डी जमा करा दी थी कि जब सेंटर बनने का टेंडर लगेगा तब क्रमशः भुगतान के लिए निर्माण एजेंसी को भुगतान किया जाएगा वास्तविकता यह है कि अब तक डिजिटल सेंटर को जिला प्रशासन ने जमीन का आंवटन भी नही किया है ना ही सेंटर का नक्शा ही बना है कि वह किस आकार -प्रकार और सुविधा वाला होगा इससे पहले यह मामला बैंक और यूनिवर्सिटी के बीच लेन – देन पर उलझ गया है
कुलपति डॉ एम के श्री वास्तव ने प्रक्रिया की शुरुआत सेंटर का ब्लूप्रिंट तैयार कर करना चाहा कुछ भुगतान के लिए सेंटर मद की राशि बैंक से मांगी तब बैंक ने यह कहकर मना कर दिया कि राशि एफ डी में है एफ डी की समय अवधि पूरी होने पर ही भुगतान हो सकेगा इसको लेकर यूनिवर्सिटी के कुलपति औऱ बैंक प्रबंधन के बीच विवाद भी हुए कुलपति ने पुलिस को भी रिपोर्ट किया किन्तु मामला सुलझने की जगह उलझ गया यह मामला अब बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के पास पहुंच गया है औऱ बोर्ड ऑफ डायरेक्टर का भी 6 माह में कोई फैसला सामने नही आया यूनिवर्सिटी कुलपति ने बैंक से पूरे 32 करोड़ मय ब्याज सहित मांगे है
यूनिवर्सिटी का प्राइवेट बैंक में खाता क्यो.?
यदि राशि की एफ डी ना की जाती तो अब तक सेंटर संभवतः बन चुका होता शासन भी इस मामले में कम लापरवाह नही है बजट देने के बाद इंक़वारी भी नही कर रहा कि बजट दिया था सेंटर बना या नही और ना ही एफ डी मामले की जांच कर रहा है कि यह राशि प्राइवेट बैंक में एफ डी क्यो की गई शासन की राशि को केवल राष्ट्रीय कृत बैंक में रखा जा सकता है फिर यूनिवर्सिटी जैसी सबसे बड़ी उच्च शिक्षा संस्था का प्राइवेट बैंक में खाता क्यो .
उच्च शिक्षा के फायदे से वंचित हैं विद्यार्थी ..
छिन्दवाड़ा यूनिवर्सिटी से जुड़े चार जिलों छिन्दवाड़ा ,बैतूल ,सिवनी और बालाघाट के 132 कालेज के स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के हजारो छात्र – छात्राएं आज के दौर के डिजिटल एज्यूकेशन से वंचित हैं यदि यह सेंटर बनता तो प्रदेश का सबसे बड़ा डिजिटल सेंटर होता डिजिटल सेंटर मतलब डिजिटल लायब्रेरी जिसमे किताबो का डिजिटल संस्करण होता और पढ़ाई के लिए एक हजार से अधिक डेस्कटॉप के साथ ही लेपटॉप सुविधा उपलब्ध होती विद्यार्थियों को अध्ययन के लिए सेंटर में ना केवल प्रदेश ,देश बल्कि विश्व स्तर की किताबें बगैर खरीदे या कालेज लायब्रेरी के डिजिटल माध्यम में उपलब्ध होती बल्कि विद्यार्थी अपने मोबाइल ,लैप टॉप ,डेस्कटॉप के साथ नेट का उपयोग भी बेहतर ढंग से कर उच्च शिक्षा के उच्च मानदंड पर अपने आप को तैयार कर पाते इसके अलावा विद्यार्थियों को निर्धारित विषयो में ही स्नातक या स्नातकोत्तर करने की जरूरत नही होती बल्कि अनेक विषयों की सुविधा और मिल सकती थी मगर छिन्दवाड़ा का भला करेगा कौन यह सवाल भी इस सवाल के साथ जवाब मांग रहा है कि आखिर यूनिवर्सिटी कब तक पी जी कालेज के कमरों के सहारे रहेगी ?