छिन्दवाडा में रिश्वतखोर : तामिया बी ई ओ कार्यालय के बाबू को लोकायुक्त ने किया ट्रेप, जी पी एफ निकालने शिक्षक से ले रहा था दस हजार
शिक्षक का जी पी एफ निकालने मांगे थे तीस हजार
♦छिन्दवाडा मध्यप्रदेश –
जिले का आदिवासी विकास विभाग घोषित भृष्ट है।विभाग भ्र्ष्टाचार में आकंठ डूबा है। विभाग का जिला कार्यालय हो या बी ई ओ या फिर स्कूल छात्रावास कोई इससे मुक्त नही है। लोकायुक्त ने शुक्रवार को विभाग के तामिया बी ई ओ कार्यालय में लिपिक सतीश तिवारी को शिक्षक बलिराम भारती से जी पी एफ की राशि निकालने के लिए दस हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथों ट्रेप किया है। विभाग ने शिक्षको के वेतन से लेकर जी पी एफ सहित अन्य राशि निकालने का अधिकार बी ई ओ को दे रखा है। इस अधिकार का बेजा फायदा उठाया जा रहा है। हाल ही में जुन्नारदेव बी ई ओ कार्यालय में डेढ़ करोड़ से ज्यादा की राशि मृत शिक्षको के खाते से गबन करने का कांड भी सामने आया था।
जानकारी के अनुसार तामिया बी ई ओ कार्यालय के लिपिक सतीश तिवारी ने बम्हनी प्राइमरी स्कूल के शिक्षक बलिराम भारती से उनकी जी पी एफ की राशि 8 लाख 85 हजार रुपए निकालने के लिए 30 हजार रुपए की डिमांड की थी। रिश्वत ना देने पर वह शिक्षक को झूला रहा था। परेशान शिक्षक ने 24 सितम्बर को लोकायुक्त से शिकायत की थी कि बाबू रिश्वत मांग रहा है।
लोकायुक्त ने यहां अपनी टीम को भेजा और फिर शिक्षक भारती को दस हजार नगद देकर बाबू के पास भेजा। बाबू प्रथम किश्त में दस हजार लेकर जी पी एफ निकालने तैयार हो गया। लेकिन उसे मालूम नही था कि लोकायुक्त टीम उसके रिश्वत लेने का ही राह तक रही है। बाबू ने जैसे ही रिश्वत की रकम हाथ मे ली लोकायुक्त ने बाबू को रंगे हाथों ट्रेप कर लिया।
लोकायुक्त की टीम में डी एस पी दिलीप झरबड़े, निरीक्षक कमल सिंग,नरेश बहेरा सहित स्टाफ शामिल था। लोकायुक्त ने लिपिक सतीश तिवारी के खिलाफ भ्र्ष्टाचार निषिद्ध अधिनियम में अपराध दर्ज किया है। इसके पहले लोकायुक्त ने आदिवासी विकास के जिला मुख्यालय स्थित कार्यालय में भी एक महिला लिपिक को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा था। जिसका प्रकरण अभी न्यायालय में चल रहा है।
यह तो तामिया बी ई ओ कार्यालय का लिपिक था जो एक शिक्षक मात्र से जी पी एफ निकालने के मामले में तीस हजार के रहा था। विभाग में तो चार बी ई ओ कार्यालय तामिया ,बिछुआ, जुन्नारदेव, अमरवाड़ा है। इन ब्लाकों के स्कुलो में शिक्षको की संख्या 12 सौ से ज्यादा है तो फिर अंदाजा लगाया जा सकता है कि वेतन, भत्ता और फण्ड निकालने का धंधा कैसा चल रहा है। सरकार के वेतन और फंड के बजट को बाप की बपौती समझकर बी ई ओ और बाबू काली कमाई करने में लगे हैं।