छिन्दवाड़ा में लव जिहाद : सूरज बनकर हनीफ ने की थी हिन्दू युवती सीता से शादी, धर्म परिवर्तन ना करने पर बच्चे सहित छोड़ा लावारिस, रचा ली दूसरी शादी
एस पी मनीष खत्री के आदेश पर मामला दर्ज कर पुलिस ने आरोपी को भेजा जेल
♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश –
मोहम्मद हनीफ ने हिन्दू युवक बनकर अपना नाम रखा “सूरज” और एक हिदू युवती “सीता कहार” को अपने प्रेम जाल में फंसाकर शादी कर ली। युवती को मालूम नही था कि वह मुस्लिम है। जब ससुराल जाना हुआ तब पता चला कि वह सूरज नही बल्कि मोहम्मद हनीफ है। तो भी उसने शादी निभाई उसका तीन साल का एक बेटा भी है। हनीफ यही नही रुका हिन्दू युवती से धोखाधड़ी करने के बाद वह सीता को मुस्लिम बनने के लिए प्रताड़ित करने लगा और तीन साल के बेटे का “खतना” कराने का दवाब डालने लगा। इतना ही नही शादी के 6 साल बाद उसने चुपके से एक मुस्लिम युवती से दूसरी शादी भी कर ली और सीता को बच्चे सहित उसके हाल पर छोड़कर फरार हो गया।
मामला छिन्दवाड़ा जिले के परासिया के शिवपुरी थाना क्षेत्र का है। यहां रहने वाली सीता कहार से 2016 में हनीफ ने सूरज बनकर शादी की थी। शादी के स्टाम्प पेपर में हनीफ का नाम सूरज लिखा है। धर्म परिवर्तन के लिए तैयार ना होने पर हनीफ ने एक अन्य मुस्लिम युवती से शादी कर ली और सीता को उसके बच्चे सहित लावारिस छोड़ दिया है। परेशान सीता किसी तरह अकेले अपने बच्चे को पाल रही थी। उसने पुलिस थाना में शिकायत भी की लेकिन कोई सुनवाई नही हुई। समय बीतता रहा करीब दो साल हो गए थे।। सीता को कही न्याय नही मिला। तब वह छिन्दवाड़ा आकर हिंदूवादी संगठन के नेता हिमाचल ठाकुर से मिली। हिमाचल ने महिला को सीधे एस पी मनीष खत्री के सामने पेश किया। पीड़िता ने अपनी पूरी कहानी एस पी मनीष खत्री को सुनाई तब उनके आदेश पर शिवपुरी पुलिस ने हनीफ के खिलाफ लव जिहाद के विरुद्ध बने कानून मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता कानून 2021 सहित 49 बी में अपराध दर्ज कर उसे गिरफ्तार किया और न्यायालय में पेश किया। न्यायालय ने आरोपी हनीफ को जिला जेल भेज दिया है।
सीता ने बताया कि हनीफ ने अपनी पहचान हिन्दू युवक सूरज के रूप में बताई थी और स्टाम्प पेपर पर लिखा – पढ़ी कर मुझसे विवाह किया था। विवाह के बाद जब मैं उसके परिवार से मिली तब मुझे पता चला कि सूरज हिन्दू नही बल्कि मुस्लिम हनीफ है। विवाह के 6 साल बाद उसने दूसरा विवाह भी कर लिया था। मुझे बेसहारा छोड़ दिया अब मैं अपने परिवार में भी वापस जाने की स्थिति में नही हूँ। दो साल से मैं न्याय के लिए दर – दर की ठोकरें खा रही थी।