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नागद्वारी : 36 पहाड़ी सवा लाख झाड़ी, साल भर में केवल सावन मास में होती है यात्रा

1 से 10 अगस्त तक मेला , आर टी ओ ने किया यात्री किराया का निर्धारण

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♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश-

सतपुड़ा की वादियों में  पचमढ़ी के धूपगढ़ के आगे सघन वन और पहाड़ियों के बीच केवल पैदल मार्ग वाले तीर्थ  “नागद्वारी” की यात्रा रहस्य और धार्मिक चेतना की महायात्रा है। हर साल केवल श्रावण मास में यह यात्रा  होती है। “नागपंचमी”नागद्वारी के लिए विशेष है। इस दिन यहां लाखो की संख्या में श्रद्धालु होते है। इसके बाद फिर साल भर यह क्षेत्र यात्रा के लिए बंद रहता है। नागद्वारी की यात्रा अकेले नही होती है। श्रद्धालु यहां समूह बनाकर जाते है।

इस बार मेला 1 से 10 अगस्त तक रहेगा। आर टी ओ मनोज तिहनगुरिया  ने मेला रूट पचमढ़ी, भुराभगत, कुआबादला से लेकर  नागपुर, पांढुर्ना, सौसर के लिए यात्री किराया की दर निर्धारित कर दी है। यात्री वाहनों के संचालकों के लिए उन्होंने आदेश जारी कर दिए है कि मेला रूट पर पूरी सुरक्षा के साथ वाहन चलाए। किसी भी यात्री से निर्धारित दर के अतिरिक्त किराया ना ले।पार्किंग निर्धारित स्थल पर ही करे। यातायात के नियमो का पालन करे। उलंघन करने वालो के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। मार्ग पर चेकिंग के लिए उड़नदस्ते गठित कर दिए गए है।

होशंगाबाद के पचमढ़ी के धूपगढ़ से घने सघन वनों के बीच से तीर्थ का केवल पैदल मार्ग है। पचमढी तक यात्री वाहनों से पहुंचते है फिर धूपगढ़ से यात्रा शुरू करते है।  सात पर्वतों की श्रखंला वाले  सतपुड़ा पर्वत पर यह स्थित है। नागद्वारी का रहस्य हमे विधाता की लोक रचना से जोड़ता है। यह रचना समस्त लोकों के स्वामी भगवान भोलेनाथ की महिमा का साक्षात प्रमाण है। सतपुड़ा पर्वत श्रखंला में ही होशंगाबाद, छिन्दवाड़ा नागपुर जैसे शहर बसे है।इन शहरों की पहचान सतपुड़ा पर्वत के रहस्यों से जुड़ी है।जो  शहरों को धार्मिक आस्था और चेतना का केंद्र बिंदु बनाती है।

नागद्वारी मामूली नही है। सृष्टि में आकाश लोक,मृत्यु लोक और पाताल लोक है। आकाश लोक में देवता मृत्यु लोक में मानव और पाताल लोक में नागों का वास है। नागद्वारी को  पाताललोक जाने का रास्ता माना जाता है। नागद्वारी में 36 पहाड़िया और सवा लाख झाड़ियां है। यहा हर पहाड़ी का रंग अलग-अलग है। सवा लाख झाड़िया भी अलग-अलग किस्मो की है। पहाड़ियों में अनेक गुफाएं कन्दराएँ है। जिनका रहस्य आज यक कोई नही जान पाया है। यहां नागों की पूजा होती है। मान्यता और मनोति में हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते है।

कहते है कि नागों की करीब 230 प्रजातियां इस क्षेत्र में है। सपेरों के लिए नागद्वारी की दुनिया किसी चमत्कार से कम नही है।  नागद्वारी की यात्रा पचमढ़ी के धूपगढ़ से पैदल शुरू होती है। आदि अनंत की यह यात्रा आपकी क्षमता पर निर्भर है कि आप कहा तक जा सकते है। यहां एक विशाल पर्वत शेषनाग का आकार लिए हुए है। जिसके फन आकार के बीच इतनी जगह है कि यहां एक लाख से ज्यादा श्रद्धालू खड़े हो सकते है। श्रद्धालु इस शेषनाग पहाड़ी तक ही यात्रा करते है।  धूपगढ़ के अलावा बैतूल, दमुआ जुनारदेव से भी नागद्वारी जाने का रास्ता है। लेकिन यात्रा में पैदल के अलावा कोई विकल्प नही है।गिरिजा माई, चित्रशाला माई, गोरखनाथ मछन्दर नाथ काजलवानी सहित अनेक पूज्य स्थल नागद्वारी यात्रा के तीर्थ है अत्यधिक कठिन यात्रा के कारण ही यहां अनेक सेवा मंडल भक्तो के लिए भोजन पानी चिकित्सा का इंतजाम भी करते है। इस क्षेत्र में दस गांव है जो केवल यात्रा के समय ही आबाद होते है। नागपुर और नागद्वारी का संबंध भी उत्पति का है। यहां आने वाले लाखों श्रद्धालु महाराष्ट्र के होते है। शासन यहां श्रद्धालुओं के लिए कोई सुविधा दुर्गमता के कारण विकसित नही कर पाया है। श्रावण मास में हर साल यात्रा का यह दौर सदियों से है।

यह रहेगा यात्री किराया ..

आर टी ओ छिन्दवाड़ा मनोज तिहनगुरिया ने बताया कि बस ऑपरेटर्स के साथ बैठक के बाद नागद्वारी मेला के लिए यात्री किराया निर्धारित किया गया है। इसमे छिन्दवाड़ा से भुराभगत के लिए 104 रुपए ,नागपुर से पचमढ़ी 330,पांढुर्ना से पचमढ़ी 295,सौसर से पचमढ़ी 244, छिन्दवाड़ा से पचमढ़ी 174, मटकुली से पचमढ़ी 37 और भुराभगत से पचमढ़ी का किराया 22 रुपए निर्धारित किया गया है। बस ऑपरेटर्स यातायात नियमों का सख्ती से पालन करते हुए सुरक्षित यातायात से ही यात्री आना – जाना सुगम बनाएंगे।  यात्रा के दौरान कोई भी यात्री वाहन यदि क्षमता से ज्यादा सवारी बैठाता है तो उसका परमिट तत्काल निरस्त कर दिया जाएगा। गौरतलब है कि मेले के लिए प्रतिदिन 100 से डेढ़ सौ बसों के अलावा बड़ी संख्या में निजी वाहनों से यात्री पचमढ़ी से नागद्वारी जाते है।


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