छिन्दवाड़ा के ट्राइबल विभाग में नटवरलाल – तीन शिक्षको ने स्कूल में पढ़ाने रखा था निजी नौकर
निरीक्षण के बाद दस दिन में सात कर्मी सस्पेंड, तीन को नोटिस, तीन की रोकी वेतनवृद्धि

♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश –
छिन्दवाड़ा के जनजातीय कार्य विभाग में नटवरलालों की कमी नही है। विभाग के अकेले तामिया ब्लाक के तीन स्कूलो में तीन ऐसे शिक्षक पकड़े गए हैं। जो स्वयं स्कूल नही जाते बल्कि अपनी नौकरी करने के लिए उन्होंने नौकर रखा हुआ था। स्कूलो के निरीक्षण करने पर यह पोल खुली जब इन शिक्षकों के स्थान पर उनके नियुक्त नौकर स्कूल में बच्चों को पढ़ाते मिले। विभाग ने ऐसे एक शिक्षक को तो तत्काल निलंबित कर दिया है और अन्य दो शिक्षको को नोटिस देकर जवाब मांगा है। इन दो शिक्षको को भी निलंबित करने की तैयारी है वही यदि कलेक्टर के आदेश मिले तो तीनों शिक्षको को नौकरी से बर्खास्त भी किया जा सकता है।
जानकरI के अनुसार छिन्दवाड़ा जिले का तामिया ब्लाक आदिवासी ब्लाक घोषित है। यहां के गांवो में स्कूल और छात्रावास का संचालन जनजातीय कार्य विभाग करता है। ब्लाक के गांव जैतपुर के स्कूल में जब निरीक्षण टीम पहुंची तो पता चला कि स्कूल में पदस्थ सहायक शिक्षक प्रह्लाद धुर्वे स्कूल ही नही आते हैं लेकिन रजिस्टर में उनकी हाजरी पूरी है। जब हाजरी रजिस्टर के आधार पर ड्यूटी शिक्षक को तलब किया गया तो यह भेद खुला कि सहायक शिक्षक प्रह्लाद धुर्वे ने चार हजार रुपया महीना में एक युवक को एवजदार रखा था जो स्कूल आ रहा था।
इसी तरह तामिया ब्लाक के ही मरकाखेड़ा गांव के स्कूल में भी सहायक शिक्षक सुमर सिंह भारती के स्थान पर उनका एवजदार बच्चो को पढ़ाने स्कूल आता था और सुमर सिंह कभी – कभार स्कूल आकर हाजरी रजिस्टर में हस्ताक्षर कर जाते थे। तामिया ब्लाक में ही इसी तरह का तीसरा बड़ा मामला भी मिला जिसमे पिता के स्थान पर पुत्र ड्यूटी कर रहा था।
ब्लाक के भरदागड गांव के स्कूल में सहायक शिक्षक मनोहर धुर्वे के स्थान पर उनका पुत्र देवेंद्र धुर्वे स्कूल आ रहा था। यहां जांच टीम को यह भी शिकायत मिली कि मनोहर शराब का आदि है। शराब पीने के लिए वह यहां संजीवनी महिला समूह जो बच्चों को मध्यान भोज देता है कि महिलाओं को धमकाकर शराब के लिए रुपये मांगता था।
तीन स्कूल के तीन शिक्षको के इस कारनामे पर विभाग के सहायक आयुक्त सत्येंद्र मरकाम ने शिक्षक मनोहर धुर्वे को तत्काल निलंबित कर दिया है वही अन्य दो शिक्षको को कारण बताओ नोटिस देकर जवाब मांगा है। सहायक आयुक्त का कहना है कि तीनों शिक्षको को बर्खास्त करने की भी कार्रवाई की जा सकती है। विभाग के छात्रावासो और आश्रम में अधीक्षकों के ना रहने के साथ ही भोजन और साफ – सफाई की शिकायतें आम है। यहां बच्चे ही छात्रावासो में झाड़ू लगाते मिल जाते हैं।
दस दिन में ट्राइबल के सात कर्मी निलंबित….
जनजातीय कार्य विभाग में मात्र दस दिन में सात कर्मियों को निलंबित किया जा चुका है। तीन कर्मियों की वेतनवृद्धि रोकी गई है और तीन कर्मियों को कारण बताओ नोटिस दिए गए हैं। इनमे लापरवाही पर कन्या छात्रावास रातेड़ की अधीक्षिका डारकस जोसेफ, न्यूटन छात्रावास अधीक्षक गीता डेहरिया,तामिया विद्यालय के लेखापाल हेमंत अयोधी, भरदागड स्कूल के शिक्षक मनोहर धुर्वे, बटकाखापा में अधीक्षक चतुर्भुज साहू, एम डी एम प्रभारी पुष्पा बारासिया, भृत्य कुँवर उइके को निलंबित किया जा चुका है। खास बात यह है कि बटकाखापा बालक छात्रावास का तो स्वयं कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह ने निरीक्षण किया था। इस दौरान उन्हें बड़ी लापरवाही मिली थी।
सहायक आयुक्त के निरीक्षण में भी मिली लापरवाही..
इसी तरह स्वयं सहायक आयुक्त सत्येंद्र मरकाम ने भी अचानक सीनियर बालक छात्रावास उमरानाला और भण्डारकुण्ड का निरीक्षण किया तो अधीक्षक ही अनुपस्थित पाए गए साथ ही छात्रावासो के केशबूक मेनटेन थी ना ही सफाई व्यवस्था और भोजन की भी शिकायते मिली जिस पर अधीक्षक एम एस डोंगरे, छाया कुमरे और नीलिका खापरे को कारण बताओ नोटिस के साथ ही वेतनवृद्धि रोकने के आदेश दिए गए हैं। इसके अलावा अधीक्षक प्रहलाद धुर्वे,सुमर भारती, और तामिया के ही सीतापुर छात्रावास के अधीक्षक को अनुपस्थित रहने पर नोटिस देकर जांच बिठाई गई है। विभाग में ये लापरवाही लगातार बनी हुई है जिसने विभाग की ग्रेडिंग जिला प्रशासन के सभी विभागों में लो प्रोफ़ाइल बना रखी है।
छात्रावास में फांसी कांड के बाद तत्काल बदला आदेश क्यो ..?
छिन्दवाड़ा के कन्या परिसर के छात्रावास में कक्षा नवमी की एक छात्रा के फांसी लगाकर आत्महत्या कर लेने के प्रकरण में तो शासन ने सहायक आयुक्त सत्येंद्र मरकाम को ही निलंबित कर जबलपुर अटैच कर दिया था। वे हाई कोर्ट से स्टे लेकर वापस आ गए हैं। इस मामले में तो तत्कालीन क्षेत्र संयोजक रवि कनोजिया को निलंबित किया जाना चाहिए था जो उस समय अकेले जिले भर के छात्रावासो के प्रभारी थे। जबकि विभाग में एक अन्य क्षेत्र संयोजक और दो मण्डल संयोजकों के पास कोई प्रभार ना था। यह क्षेत्र संयोजक उस समय अकेले ही पूरे जिले का प्रभारी बने बैठा था। उनका एक मात्र कार्य छात्रावासो के निरीक्षण का था। इस कांड के बाद तो भोपाल से जांच टीम आने की भनक लगते ही क्षेत्र संयोजक ने सहायक आयुक्त से ही फर्जी आदेश निकलवाकर अपने आपको छिन्दवाड़ा ब्लाक के प्रभार से अलग कर लिया था। ताकि जांच में कही उनका नाम ही ना आए ।विभाग को इस नटवरलाल की नटवरगिरी को पकड़कर उसकी भी जांच करनी होगी तब शायद विभाग में चल रही लापरवाही थम सके क्योंकि इसके कारण अनेक नही एक है कि विभाग में अधीक्षकों से वसूली का धंधा भी चलता है जिसके चलते अधीक्षक बच्चो का राशन तक बाजार में बेच देते हैं।मुख्यालय में नही रहते फर्जी हाजरी भरकर वेतन लेने के मामलों से तो विभाग भरा पड़ा लगता है। कन्या परिसर में ही यह क्षेत्र संयोजक हर माह अधीक्षको की बैठक बुलाता था जिसे विभाग में वसूली की बैठक कहा जाता है। विभाग के पास जिले में 1200 से ज्यादा स्कूल और 150 से ज्यादा छात्रावास – आश्रम में दो हजार से ज्यादा का स्टाफ है जो आदिवासी कल्याण के नाम पर जिले में खुद का ही कल्याण कर रहा है।