छिन्दवाड़ामध्यप्रदेश

छिन्दवाड़ा में 52 साल पहले मात्र 90 हजार में बना था नेताजी सुभाष चंद्र बोस का स्मारक

छोटा तालाब के टापू में स्थित स्मारक है शहर का लेण्डमार्क

Metro City Media

छिन्दवाड़ा के छोटा तालाब का टापू जहाँ है नेताजी सुभाषचंद्र बोस का स्मारक

पुलिस और एस ए एफ का प्लाटून देता है सलामी

मुकुन्द सोनी  छिन्दवाड़ा – नेताजी  सुभाष चंद्र बोस का  देश की आजादी में इतना बड़ा योगदान था कि आजादी से पहले ही नेताजी के विरोधी और सत्ता के लोलुप उसे छिपाने में ऐसे लग गए  की आज तक उनकी मौत का भी राज नही खुल पाया है छिन्दवाड़ा शहर  के छोटा तालाब के टापू पर बना उनका  स्मारक ना केवल शहर बल्कि पूरे जिले   एक मात्र स्मारक है इस स्मारक को बने 52 साल हो गए हैं उस समय इसे बनाने के लिए 90 हजार रुपए खर्च किए गए थे ये रुपए किसी संस्था ने या सरकारी खजाने के नही थे बल्कि आम जनता से चंदा लेकर एकत्र किए गए थे छिन्दवाड़ा के लोगो मे भी नेताजी के प्रति गज़ब की आस्था और विश्वास था हालांकि नेताजी का कभी छिन्दवाड़ा आगमन तो नही हुआ था लेकिन उनकी आजाद हिन्द  फ़ौज में शामिल होने की इच्छा रखने वाले हजारों युवा शहर में थे नेताजी की बनाई गई पार्टी अखिल भारतीय फारवर्ड ब्लाक की जिला शाखा भी छिन्दवाड़ा में थी  जिसके जिला महामंत्री थे आर के हलदुलकर वे नेताजी की सोच के साथ एक साप्ताहिक अखबार इंकलाब भी निकाला करते थे उनकी पहल पर ही छोटा तालाब के टापू पर 52 साल पहले यह स्मारक बन पाया था जो आज शहर का लैंडमार्क है  शहर में छोटा तालाब का टापू नेताजी स्मारक के  नाम से ही जाना जाता है 15 अप्रैल 1970 को टापू पर यह प्रतिमा स्थापित की गई थी तब से हर साल नेताजी जयंती पर यहाँ उनकी स्मृति में कार्यक्रम होता है   जयंती कार्यक्रम में पुलिस औऱ एस ए एफ की टुकड़ी भी नेताजी  को सलामी देने आती थी यह क्रम कई सालों तक रहा है

 जयपुर से लाई गई थी मूर्ति ..

छोटा तालाब के टापू में स्थापित मूर्ति जयपुर से छिन्दवाड़ा लाई गई थी इसे जयपुर के मूर्तिकार  गोपी चंद मिश्रा ने बनाई  थी जो रख – रखाव के साथ  आज तक यथावत है शहर में अन्य नेताओं के भी स्मारक है   जिन्हें बनाने नही बल्कि कायाकल्प के नाम पर ही इतना रुपया फूंक दिया गया है कि आप विश्वास नही कर पाएंगे शहर के फव्वारा चौक में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के स्मारक के कायाकल्प में नगर निगम का 30 लाख रुपया खर्च हुआ है इसी तरह जेल तिराहे पर पूर्व प्रधानमंत्री का स्मारक 40 लाख की लागत से बना और खजरी चौक के रानी दुर्गावती स्मारक के कायाकल्प पर भी नगर निगम ने 35 लाख रुपया लगाया है किन्तु छोटा तालाब के टापू पर बने नेताजी स्मारक के कायाकल्प के लिए कोई योजना ही नही बनाई है यहां पार्क के विकास के बजट में ही नेताजी स्मारक में भी थोड़ा बहुत कार्य कर दिया गया है

समीति में थे  शहर के दिग्गज

नेताजी स्मारक समीति में उस समय के शहर के दिग्गज शामिल थे इनमे रूप चंद राय अध्यक्ष शोभा चंद साव हाजी नूर मोहम्मद उपाध्यक्ष ,महामंत्री आर के हलदुलकर और सदस्य भगवानदीन राय ,केदार प्रसाद शुक्ला ,डालचंद चौरसिया ,वकील कुबेर सिंह चौधरी ,डी सी चरनागर थे  समीति ने शहर को यह स्मारक देकर नेताजी के गौरव से शहर को एक पहचान दी जो अब शहर में  नेताजी का प्रेरणा स्थल है

 जांच आयोग भी नही बता पाए सच्चाई ..

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस अपने समय मे किसी ना किसी साजिश के शिकार हुए हैं भारतीय जन मानस यह बात मानता है ताइवान में एक  प्लेन क्रैश में उनकी मौत होने की बात कही जाती है किंतु ताइवान के रिकार्ड में प्लेन क्रैश का कोई रिकार्ड ही नही है सरकारे जांच के लिए आयोग पर आयोग बनाती गई किन्तु कोई भी आयोग सही रिपोर्ट औऱ जांच पेश कर पाया हो लगता नही है  अब भी नेताजी की गईमौत का रहस्य कायम ही है नेताजी भले ही दुनिया मे नही किंतु उनका व्यक्तित्व और कृतित्त्व भारत के जन -जन के मानस पटल पर अंकित है तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा का उनका नारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से लेकर देश की आजादी में कुर्बान हर उस व्यक्ति की याद ताजा करता है जिन्हें देश की आजादी के बाद  सत्ता में काबिज कर्णधारों ने साजिश रचकर भुला दिया है


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