छिन्दवाड़ा में पोला पर्व: पोला मैदान में लगा बैल जोड़ियों का मेला, बरारीपुरा से निकाली “गुड़ी यात्रा”
बैल जोड़ियों को सजाकर किसान खुशी- खुशी पहुंचे पोला मैदान
♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश-
कृषि धन पूजन का महोत्सव “पोला” छिन्दवाड़ा शहर के “पोला” मैदान में गुरुवार को धूमधाम से मनाया गया। सैकड़ो की संख्या में किसान यहां “बैल जोड़ियों” को सजाकर पहुंचे। लोगो ने “बैल जोड़ियों” की पूजा अर्चना की और उन्हें घर के बने “पकवान” खिलाए। इस अवसर पर “बरारीपुरा” से “गुड़ी यात्रा” भी निकाली गई। जिसमें भारतीय संस्कृति के इस महापर्व की परम्परा में “बैल जोड़ियों” की सामूहिक शोभायात्रा डी जे ,बैंडबाजा और लोक नृत्यों की टोलियों के साथ निकाली गई।
गुड़ी यात्रा में ढोल नगाड़े, बाजे गाजे,डीजे के साथ सिवनी का अखाड़ा,नृत्य करते राधा कृष्ण के साथ,नंदी पर विराजमान सजीव महाकाल और आदिवासी नृत्य टोली भी आकर्षण का केंद्र रहे। शोभा यात्रा में किसानों के साथ ही समीति के सदस्यों ने जमकर नाच गाना किया। शहर पोला पर्व की परंपरा को जीवंत रखने वाली पोला उत्सव समिति ने मैदान में “बैल जोड़ियां” लेकर आए सभी किसानों का अभिनंदन किया। किसानों को इस अवसर पर “श्री फल” भेंट किए गए। पीढ़ी दर पीढ़ी गुड़ी यात्रा को लेकर पोला ग्राउंड पहुंचने वाले “क्पाले परिवार” के सदस्यों का शाल श्रीफल से सम्मान करने के साथ ही मैदान में हष्ट-पुष्ट और सुंदर साज सजा वाली “बैल जोड़ियां” को लाने वाले किसानों को नगद राशि 3100, 2100, और 1100 की नगद राशि के साथ ही दो सांत्वना पुरस्कार में शील्ड और प्रमाण पत्र प्रदान किए गए।मेला में आए सभी किसानों की बैलजोड़ियों का पूजन कर किसानों को शाल श्रीफल से सम्मानित किया गया।
शहर में पोला पर्व परंपरागत रूप से सदियों से पोला ग्राउंड में ही मनाया जाता है। इस पर्व के कारण मैदान का नाम भी “पोला मैदान” है। महोत्सव में पोला उत्सव समिति के अध्यक्ष विजय पांडे ने अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर पूर्व कैबिनेट मंत्री चौधरी चंद्रभान सिंह जिला भाजपा अध्यक्ष विवेक बंटी साहू पूर्व विधायक चौधरी गंभीर सिंह पूर्व जिला भाजपा अध्यक्ष रमेश पोफली हरि ओम सोनी सहित बड़ी संख्या में किसानों और आमजनों की उपस्थिति में बैल जोड़ियां की पूजा कर “तोरण तोड़ने” की परंपरा भी निभाई गई। इसके बाद अतिथियों ने पुरुस्कार बांटने के साथ ही कपाले परिवार और समीति के सदस्यों का सम्मान किया।
महोत्सव को सफल बमाने में समीति के संयोजक विजय पांडेय सहित राकेश कपाले ,विक्की कपाले , प्रवीण कपाल विजय कपाल बापू गायकवाड आशीष राय शिखर पांडे गोलू ठाकरे चिंटू भाकरे, रुपेश खिरेकर, तेजस खिरेकर, सारंग खिरेकर, संजय टोंगे सहित क्षेत्रवासियों का योगदान रहा।
यह है पोला पर्व का महत्व..
पोला पर्व भारतीय संस्कृति में कृषि धन के महत्व को प्रतिपादित करता है। आज के दौर में कृषि एक बार फिर “आधुनिक” संसाधनों के सफर के बाद वायस “प्राकृतिक” खेती की तरफ लौट रही है। पहले कृषि पशुधन पर आधारित थी। बिना “बैल जोड़ी” के किसान खेतों में कृषि कार्य नही कर सकता था। हर किसान के पास खेत मे ” मवेशी” का ” कोठा” होता था जिसमे पशुधन को पाला जाता था। पोला के दिन किसान अपने खेत की फसल काटकर उसे ” बैल गाड़ी” में लादकर गांव में अपने घर ले जाता है। घर पहुंचने पर परिवार जंन किसान का सम्मान करते हैं। बैल जोड़ियों की पूजा करते हैं। इस खुशी में “गृहणी” घर मे पकवान बनाती है। इन पकवानों को “बैल जोड़ियों” को खिलाया जाता है। इस पर्व पर घर- घर मे बैल जोड़ियों की पूजा की जाती है।