परासिया- जुन्नारदेव की तीन कोयला खदानों को बंन्द कर रहा वेकोलि, आदेश के विरोध में कलेक्ट्रेट में संयुक्त मोर्चा का प्रदर्शन
पेंच- कन्हान कोयला अंचल के अस्तित्व पर लग रहा प्रश्न चिन्ह, पहले भी बंद की जा चुकी है तीन खदानें
♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश-
छिन्दवाड़ा जिले के कोयला अंचल “परासिया” और “जुन्नारदेव” की तीन चलती कोयला खदानों महादेवपुरी, तानसी और मुआरी को “वेस्टर्न कोल फील्ड लिमिटेड” बंद कर रहा है। इसके आदेश जारी हो चुके हैं और खदानों से कोयला उत्पादन बंद कर दिया गया है। खदानों में कार्यरत करीब दो हजार से ज्यादा कर्मियो को अन्य खदानों में शिफ्ट करने की तैयारी है। इन खदानों के बंद होने से जिले के कोयला अंचल “पेंच- कन्हान” का “अस्तित्व” ही समाप्त हो जाएगा साथ ही यहां की कोयला आधारित “अर्थव्यवस्था” का ढांचा ही चरमरा जाएगा। तीनो खदानों के “घाटे” में होने के कारण वेकोलि ने यह फैसला लिया है ।
इसके पहले वेकोलि यहां पांच साल पहले गणपति, विष्णुपुरी और भवानी खदान को भी “घाटे” के चलते बंद कर चुका है। क्षेत्र में नई खदान खुल नही रही और पुरानी खदान बंन्द की जा रही है। ऐसे में यहां सियासत गरमा रही है। खदानों को बंन्द ना कर कोयला उत्पादन शुरू करने की मांग को लेकर गुरुवार को संयुक्त मोर्चा के बैनर तले वे. को.लि. पेंच -कन्हान के श्रमिक यूनियन बी.एम.एस., इण्टक, एच.एम.एस., एटक और सीटू ने “कलेक्ट्रेट” में धरना- प्रदर्शन कर “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी” के नाम ज्ञापन जिला प्रशासन को दिया है।
संयुक्त मोर्चा ने ज्ञापन में कहा कि वेकोलि ने वन एवं पर्यावरण विभाग की अनापत्ति नहीं
मिलने के कारण महादेवपुरी, तानसी, मोआरी माईन को बंद कर दिया है। इन खदानों में 1800 स्थायी कर्मचारी और लगभग 800 अस्थाई कामगार कार्यरत है । तीनो खदान के बंद होने से कामगारों के साथ-साथ करीब पांच हजार छोटे-बड़े व्यापारी भी प्रभावित होंगे।
इससे क्षेत्र में उपज रहे “आक्रोश” से आने वाले “चुनाव” भी प्रभावित हो सकते हैं। संयुक्त मोर्चा का कहना है कि कामगार खदान से वेकोलि के लक्ष्य के अनुरूप उत्पादन कर रहे है। खदानों में अभी पर्याप्त कोयला है और इन्हें वर्षो तक चलाया जा सकता है।
मोआरी खदान में अभी 16 लाख टन कोयला है। महादेवपुरी खदान में 35 लाख टन और तानसी खदान में 40 लाख टन कोयला रिजर्व है। इसके बावज “वेकोलि” अचानक फारेस्ट विभाग की “एन ओ सी” का बहाना लेकर खदानें बंद कर रहा है। मोर्चा परासिया के विधायक सोहन वाल्मीकि के नेतृत्व में कलेक्ट्रेट पहुंचा था। मोर्चा ने मांग रखी है कि खदानों को तत्काल “एन ओ सी” दी जाए और कोयला का उत्पादन शुरू किया जाए ताकि क्षेत्र को उजड़ने से बचाया जा सके और छोटे-बड़े व्यापारियों, असंगठित क्षेत्र में कार्यरत मजदूरों को विस्थापन से बचाया जा सके। प्रदर्शन में “श्रमिक यूनियन” के पदाधिकारी सहित बड़ी संख्या में खदानों के कामगार शामिल थे।