सौसर और रंगारी में शराब दुकान का विरोध, तहसील में महिलाओं ने फेंकी चूड़ियां, नही आए एस डी एम
विधायक भी भड़के, कहा हल्के में ना ले प्रशासन

♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश –
सौसर के रंगारी में नई शराब दुकान और सौसर शहर में छिन्दवाड़ा रोड पर शराब दुकान शिफ्टिंग का जमकर विरोध हो रहा है। आबकारी विभाग की मनमानी यहां चरम पर है। विभाग के अधिकारी लगातार आंदोलन के बाद भी जनता की सुनने को तैयार नही है। विभाग के अनीतिगत फ़ैसले यहां जिला प्रशासन के लिए गले की फांस बन रहे हैं। छिन्दवाड़ा जिला मुख्यालय में भी कुंडीपूरा थाना के सामने पदम् काम्प्लेक्स की शराब दुकान शिफ्ट करने के विरोध में 50 दिनों से आंदोलन चल रहा है। मामला हाई कोर्ट तक पहुंच गया है। इसके बावजूद अब तक जिला प्रशासन ने दुकान अनुमति रद्द की है ना ही आबकारी अधिकारी से जवाब तलब किया है। लग रहा है कि आबकारी विभाग में बड़ी गड़बड़ी चल रही है। अधिकारी ठेकेदारों के साथ खड़े दिख रहे हैं।
इस मामले में तो सोमवार को रंगारी के लोगो ने सौसर तहसील पहुंचकर जमकर प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में सौसर के विधायक अजय चौरे भी शामिल हुए। जब ग्रामीण तहसील कार्यालय पहुंचे तब ग्रामीणों ने एस डी एम से बात करनी चाही लेकिन एस डी एम खबर के बाद भी नही आए। इस मामले में विधायक ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है।
प्रदर्शन के दौरान बड़ी संख्या में गांव की महिलाएं भी आई थी जो प्रशासन को रंगारी में शराब दुकान खोलने की अनुमति देने के खिलाफ चूड़ियां भेंट करने आई थी किन्तु महिलाओं की नारेबाजी और विरोध के चलते अधिकारी ज्ञापन लेने ही नही आए। ऐसे में महिलाओं ने तहसील परिसर में चूड़ियां फेंककर अपना विरोध दर्ज कराया है। अधिकारियों के ना आने पर विधायक विजय चौरे भी जमकर भड़के। उन्होंने कहा कि अधिकारी मामले को हल्के में ना ले। बिना कोई जंन सहमति के शराब दुकान खोलने और शिफ्ट कर्म करने की अनुमति देने के निर्णय का वे विरोध करते हैं और जनता के साथ आंदोलन में खड़े हैं। मौके पर एस डी एम मुर्दाबाद के नारे भी लगे। इस दौरान आबकारी का भी कोई अधिकारी स्थिति स्पष्ट करने मौके पर नही आया था। दरअसल मध्यप्रदेश सरकार ने पांढुर्ना जिला जरूर बना दिया है मगर अभी पांढुर्ना में आबकारी विभाग का गठन नही हुआ है। विभाग का जिला मुख्यालय अभी छिन्दवाड़ा ही है। इस मामले में अधिकारी सही जवाब ना देकर गुमराह करने की भूमिका में है लेकिन यह जन आंदोलन ऐसे ही थमने वाला नही है। इसकी धमक चुनाव परिणाम के बाद ऊपर तक जाएगी और बड़ी बात नही कि इस मुद्दे पर बड़े अफसर भी निपट सकते हैं।