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छिन्दवाड़ा के संत कनक बिहारी महाराज ने अयोध्या श्री राम जन्म भूमि मन्दिर के लिए दिया था 1 करोड़ 11 लाख का दान, 9 हजार 9 कुंडीय यज्ञ का लिया था संकल्प

अब उनके शिष्य श्यामदास महाराज 10 से 18 फरवरी तक अयोध्या में करेंगे 2121 कुंडीय यज्ञ

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♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश-

श्री राम जन्म भूमि अयोध्या के राम मंदिर निर्माण को लेकर छिन्दवाड़ा से सबसे बड़ा दान यज्ञ सम्राट महामण्डलेश्ववर रघुवंश शिरोमणि  कनक बिहारी महाराज ने दिया था। उन्होंने श्री राम मंदिर निर्माण के लिए श्री राम जन्म भूमि न्यास को 1 करोड़ 11 लाख रुपए दान दिए थे। इतना ही नही कनक बिहारी महाराज ने अयोध्या मन्दिर निर्माण के लिए अयोध्या में ही 9  हजार 9  कुंडीय महायज्ञ का  संकल्प भी  लिया था। इसके आयोजन की रूपरेखा उन्होंने तैयार कर ली थी। इसको लेकर वे कई बार अयोध्या भी गए थे। छिन्दवाड़ा की चौरई तहसील में चांद के पास लोनिकला गांव में उनका आश्रम भी है। यहां उन्होंने श्री राम मंदिर का निर्माण भी कराया है। जिसे कनक भवन का नाम दिया है।

महामंडलेश्वर महाराज को रघुवंश शिरोमणि  कहा जाता था। श्री राम जन्म भूमि अयोध्या में श्री राम मंदिर निर्माण को लेकर वे पूरे देश का ही भ्रमण करते थे। देश के रघुवंशियो से उनका कहना था कि इस देश के हर रंघुवंशी का श्री राम मंदिर निर्माण में योगदान होना चाहिए। अयोध्या में होने वाले 9 हजार 9 कुंडीय महायज्ञ में वे रंघुवंशी परिवार को ही यजमान बनाना चाहते थे। रंघुवंशी भगवान श्री राम के कुल रघुकुल के  है। भगवान श्री राम के पूर्वज राजा रघु के वंशज ही रंघुवंशी कहलाते हैं।

यज्ञ सम्राट छिन्दवाड़ा के कनक बिहारी महाराज का एक आश्रम विदिशा के खैराई गांव में भी है। बताया गया कि महाराज श्री ने जब यहां 108 कुंडीय महायज्ञ करवाया था तब पूरे देश के साधु संत यहां पहुंचे थे। तब महाराज श्री ने साधु – संतों को सोने के नोट विदाई में दिए थे।

कनक बिहारी महाराज श्री राम मंदिर निर्माण से पहले ही ब्रम्हलीन हो गए लेकिन इस दिव्य पुरुष और दिव्य आत्मा का संकल्प हर कोई याद करता है।   17  अप्रैल 2023 को  की सुबह नरसिंहपुर के पास सड़क दुर्घटना में  उनका अचानक निधन  हो गया । कनक बिहारी महाराज प्रयागराज से  लौटते समय हादसे का शिकार हुए जिसमे उनके साथ एक शिष्य विश्राम रघुवंशी  भी ब्रम्हलीन हुए हैं।

देश मे श्री राम नाम की अलख जगाने और जगह- जगह  यज्ञ के आयोजन के चलते ही उन्हें यज्ञ सम्राट की उपाधि दी गई थी। प्रयागराज के जूना अखाड़ा ने उन्हें यज्ञ सम्राट के साथ ही महामंडलेश्वर की यह  उपाधि  दी थी।  कनक बिहारी महाराज  सनातन धर्म की एक बड़ी हस्ती थे। उनसे मिलने देश भर के साधु- संत  छिन्दवाड़ा के लोनिकला स्थित आश्रम आते थे।

महाराज श्री प्रयागराज के साथ ही श्री राम जन्म भूमि न्यास के गोविन्ददेव गिरी महाराज, महंत नृत्य गोपालदास,चमपत राय सहित अन्य सदस्यों से सीधे जुड़े थे। 1 करोड़ 11 लाख की राशि का चेक भी उन्होंने अपने हाथों से न्यास को दिया था। लोनिकला गांव में उनका आश्रम  करीब 30 एकड़ में है। इस आश्रम  में वे अपने शिष्यों को यज्ञ शास्त्र में पारंगत करते थे।

अब श्री राम जन्म भूमि में भगवान श्री राम के मन्दिर निर्माण के बाद उनके शिष्य और उत्तराधिकारी  श्यामदास महाराज ने 9 हजार 9 कुंडीय यज्ञ का संकल्प पूरा करने का बीड़ा उठाया है। श्यामदास महाराज ने बताया कि श्री राम जन्म भूमि अयोध्या के  बड़ी परिक्रमा मार्ग  में यह यज्ञ होगा। जिसमे  भगवान श्री राम के वंशज रघुवंशी शामिल होंगे। 9 हजार 9 कुंडीय यज्ञ के स्थान पर यह यज्ञ 2121 कुंड का होगा। 9 हजार 9 कुंडीय महायज्ञ को केवल महामंडलेश्वर यज्ञ सम्राट ही करा सकते हैं। यह योग्यता और दर्जा केवल  हमारे गुरु कनक बिहारी महाराज के पास ही था। यह यज्ञ  10 फरवरी से 18 फरवरी तक होगा। यह यज्ञ भव्य और दिव्य होगा। इसकी तैयारी पूरी कर ली गई है।


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