ठेकेदारों की इज्जत उछाल रहा नगर निगम छिन्दवाड़ा का वित्तीय संकट , 6 माह से नही मिला पेमेंट, 30 करोड़ से ज्यादा बकाया
ठेकेदारों ने बकाया भुगतान को लेकर खोला मोर्चा, जल्द व्यवस्था नही तो भोपाल जाकर करेंगे धरना - प्रदर्शन

♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश-
नगर निगम का वित्तीय संकटअब ठेकेदारों की इज्जत उछालने लगा है। पिछले 6 माह से यहां ठेकेदारों का 30 करोड़ से ज्यादा का भुगतान अटका है और नगर निगम से आश्वासन के अलावा कुछ नही मिल रहा है। परेशान ठेकेदारों ने बुधवार को महापौर विक्रम अहके, निगम के प्रभारी कमिश्नर के सी बोपचे और कार्यपालन यंत्री ईश्वर चंदेली से मुलाकात कर भुगतान करने की मांग रखी है। ये वे ठेकेदार है जिन्होंने नगर निगम के टेंडर और आदेश पर नगर के विविध वार्डो में विविध निर्माण कार्य के साथ ही सामग्री की सप्लाई की है। इनमे निर्माण ठेकेदारों की संख्या करीब 35 और सप्लायर 60 से ज्यादा है। ठेकेदारों ने नगर निगम का नया काम लेना और पुराना काम भी बंद कर रखा है।
नगर निगम को शासन से बजट ना मिलने के कारण ये हालात हैं। निगम पिछले तीन माह से अपने अधिकारियों और कर्मचारियों का वेतन भुगतान भी नही कर पाया है। स्ट्रीट लाइट सहित जल आवर्धन का बिजली बिल का बकाया भी यहां लाखो में है। यही हाल पेट्रोल – डीजल भुगतान का भी है। अब तो हालात ये बन रहे हैं कि कुछ दिनों में यदि नगर निगम को बजट नही मिला तो शहर में कचरा वाहन दौड़ना भी बंद हो सकते हैं।
ठेकेदारों ने निगम कमिश्नर को बताया कि भुगतान ना होने से ठेकेदारों की हालत खराब है। लोहा, सीमेंट, रेत, ईंट सहित अन्य मटेरियल के सप्लायर भुगतान के लिए उनके चक्कर ही नही काट रहे बल्कि अल्टीमेटम देकर जा रहे हैं। ठेकेदार मजदूरों सहित अपने मातहत कर्मियों का भी भुगतान नही कर पा रहे हैं। बैंक लोन की किश्त भी ड्यू हो रही है। कुछ ठेकेदारों का तो कहना यहां तक था कि उन्होंने ऐसे विषम हालात कभी देखे नही है कि घर – गृहस्थी चलाने में समस्या हो और वे अपने बच्चों की स्कूल – कालेज को फीस भी ना भर पाए।
नगर निगम में स्थानीय टेक्स की वसूली से किसी तरह प्रतिदिन का कार्य निपटाया जा रहा है। वसूली इतनी नही है कि कर्मचारियों का वेतन और ठेकेदारो का भुगतान किया जा सके।। यहां तो मुख्यमंत्री अधोसरंचना विकास से लेकर कायाकल्प तक के कार्य बजट मिलने की आशा में करा लिए गए हैं और इन मदो का भी भुगतान अटका पड़ा है। यहां निगम कमिश्नर राहुल सिंह का 24 जनवरी को तबादला कर दिया गया है।। उनके बाद कोई कमिश्नर की भी पदस्थापना नही की गई है। कामचलाऊ तौर पर ए डी एम के सी बोपचे को पूर्व कलेक्टर मनोज पुष्प ने चार्ज दिया था किंतु ए डी एम के पास जिला प्रशासन के ही दर्जनों प्रभार है ऐसे में निगम की बागडोर संभाल पाना उनके लिए भी मुश्किल हो रहा है। शासन जल्द यहां पूर्ण कालिक कमिश्नर की नियुक्ति नही कर पा रहा है। बताया गया कि वित्तीय संकट के चलते कोई अफसर यहां आने को तैयार नही है।
ठेकेदारों का कहना है कि यदि निगम ने एक सप्ताह में भुगतान नही किया तो ठेकेदार भोपाल जाकर विधानसभा नगरीय प्रशासन मंत्रालय के सामने धरना – प्रदर्शन करेंगे। इस दौरान यदि किसी ठेकेदार के साथ अप्रिय स्थिति का निर्माण होता है तो इसका जवाबदार नगर निगम प्रशासन होगा। ठेकेदारों ने यह भी कहा कि जबलपुर और सागर नगर निगम में भुगतान के अभाव में दो ठेकेदारों ने तनाव में आत्महत्या कर ली है।