लापरवाही : सीजर से डिलेवरी के बाद महिला की मौत, परिजनों ने किया जिला अस्पताल में हंगामा
सिविल सर्जन ने नोटिस तक नही दिया, कैसे सुधरेगी व्यवस्था

♦छिंदवाड़ा मध्यप्रदेश –
करोड़ो का बजट करोड़ो की बिल्डिंग कोई काम की नही जब डॉक्टर ही सेवा ना करना चाहे। कहने को छिंदवाड़ा के जिला अस्पताल में डेढ़ सौ से ज्यादा डॉक्टर्स है। लेकिन हर डाक्टर अपने निजी अस्पताल और क्लीनिक खोले बैठा है। डॉक्टर्स मरीज फंसाकर ग्राहकी बनाने के लिए जिला अस्पताल आता है। काम अपने व्यवसाय के लिए करता है और सरकारी वेतन भी पाता है। जब सरकार ने जनता की सुविधा के लिए डॉक्टर्स अपॉइंट किए हैं तो फिर उनके निजी क्लीनिक और अस्पताल क्यो ? इसके चक्कर मे ही जिला अस्पताल में भर्ती मजबूर मरीज को इलाज और सुविधा के नाम पर केवल लापरवाही नसीब होती है। जो उसे मौत के मुंह तक पहुंचा देती है। कुछ ऐसा ही छिंदवाड़ा सिटी के मोहन नगर निवासी कमलेश साहू की पत्नी शीतल साहू के साथ हुआ है। जिसकी जिला अस्पताल के गायनिक वार्ड में सीजर से डिलेवरी के बाद मौत हो गई है। मौत के परिजनों ने वार्ड में ही हंगामा कर दिया लेकिन सिविल सर्जन ने ड्यूटी डाक्टर को नोटिस देना तक मुनासिब नही समझा।
मृतका के पति कमलेश साहू का कहना था कि शीतल ने 29 अगसत को बेटी को जन्म दिया था। डाक्टर ने सीजर किया था। इसके बाद अचानक शीतल की हालत बिगड़ गई और उसकी मौत हो गई।कमलेश का कहना था कि सीजर के लिए डॉक्टर और स्टाफ ने रुपयों की मांग की थी। दवाएं और सीजर सामग्री हमे स्वयं बाहर मेडिकल से खरीदकर देना पड़ा। सीजर के बाद डॉक्टर और ड्यूटी स्टाफ ने लापरवाही बरती जिससे शीतल की मौत हो गई।
जिला अस्पताल में अकेले शीतल की यह कहानी नही है। जिले भर से महिलाए डिलेवरी के लिए जिला अस्पताल आती है। सबके साथ यही होता है। डिलेवरी के नाम पर सीजर कर डॉक्टर यहां प्रैक्टिस में हाथ साफ करने से ज्यादा कुछ नही करते हैं। डाक्टर की तो कोशिश होती है कि महिला जिला अस्पताल में डिलेवरी ना कराकर उसके निजी अस्पताल में डिलेवरी कराए ताकि टेस्ट, कमरा ,सीजर और ट्रीटमेंट सेवा के नाम पर लंबा चौड़ा बिल बने और डिलेवरी हो गई तो फिर बच्चे में फाल्ट बताकर नवजात का भी 15 – 15 दिन भर्ती रखकर जचकी का खर्चा लाखो में पहुंचा देते हैं। मजबूर परिवार मरता क्या ना करता कि तरह यहां भुगतान भुगतने के जाल में फंसा रह जाता है।जिला अस्पताल में नार्मल डिलेवरी और जच्चा – बच्चा स्वस्थ के मामले कभी कभार ही होते हैं। जबकि सबसे ज्यादा डिलेवरी जिला अस्पताल में ही होती है। वार्ड में 200 से ज्यादा महिलाए भर्ती रहती है। रोज कम से कम दस डिलेवरी यहां होती है। गायनिक सेवा का यह बड़ा सेंटर है लेकिन लापरवाही भी बड़ी – बड़ी है।