
अब भी है नागा साधुओं की समाधि
छिंदवाड़ा-
शहर में एक शिवालय है इसका इतिहास शहर के बसने से भी पहले का है यहां स्थित शिवलिंग तप से पाताल से प्रकट हुआ था जो पातालेश्वर कहलाया हम बात कर रहे है हिन्दू मोक्षधाम से कुछ दूरी पर स्थित पातालेश्वर धाम की
जी वही पातालेश्वर जहां हर साल केवल महाशिवरात्रि पर विशाल मेला लगता है जो पचमढ़ी चौडागड़ महादेव मेले की याद ताजा कर देता है पातालेश्वर आज शहर का एक बड़ी वसीकत और आबादी वाला क्षेत्र है इस क्षेत्र में शहर के तीन-तीन वार्ड बसे हैं जिनके नाम राजेन्द्र नगर,अम्बेडकर वार्ड और पातालेश्वर वार्ड है
शहर बसने से पहले यहां आबादी नही थी घना जंगल था इस जंगल को कुछ नागा साधुओं ने अपने जप-तप के लिए चुना था
नागा साधु बस्ती या आश्रम में नहीं रहते हैं वे आबादी से दूर जंगल सुनसान में रहना पसन्द करते हैं नागा भगवान शिव को पाने कठिन तपस्या करने वाले विशेष साधुओं की विधा है जिसे अपनाने के बाद साधु शिव समर्पित हो जाता है उनके जप-तप से ही यहां एक शिवलिंग जमीन से प्रकट हुआ था जिसकी वे पातालेश्वर महादेव के रूप में आराधना करते थे जब धीरे-धीरे शहर बसना शुरू हुआ तब लोगो का यहां आना -जाना शुरू हुआ तब लोगो ने उन नागा साधुओं से ही जाना था कि यह शिवलिंग पातालेश्वर है तब इस जगह का नाम ही पातालेश्वर हो गया और अब पूरा क्षेत्र ही पातालेश्वर कहलाता है
समय के साथ यहां मन्दिर ,बावली और धर्मशाला बनी और नागा साधुओं की परंपरा भी कायम रही मन्दिर के सेवक नागा साधु धर्म गिरी गोस्वामी,गंगा गिरी गोस्वामी भी रहे है उनके प्रयासों से ही पातालेशर की महिमा को शहरवासी समझ पाए और महाशिवरात्रि पर मेला लगने की शुरुआत हुई थी मेला की परंपरा भी करीब एक सदी का सफर देख चुकी है वर्तमान में पातालेश्वर शिवलिंग भव्य मंदिर में उसी स्थल पर है जिस स्थल पर वह प्रकट हुआ था साथ ही परिसर में हनुमान जी का मंदिर भी है मन्दिर परिसर में दोनों नागा साधुओं की समाधि भी है और अब पातालेश्वर धाम प्रबंध कार्य कारिणी समीति इस मंदिर की व्यवस्था को संभालती है समय के बढ़ते कदमों के साथ पातालेश्वर
मन्दिर सहित क्षेत्र के विकास के लिए यहां काफी कार्य हो चुका है मन्दिर पहुचने के मार्ग भी बेहतर ढंग से बने हैं और अब तो मन्दिर के आस-पास ही दर्जनों रिहायशी कालोनिया बन चुकी है वर्तमान में पातालेशर धाम शहर की धार्मिक आस्था का बड़ा केंद्र बिंदु है अब केवल महा शिवरात्रि पर ही नही बल्कि श्रद्धालु रोज ही बड़ी संख्या में पातालेश्वर दर्शन को पहुचते है श्रावण मास में यहां प्रतिदिन शिवलिंग का नियमित अभिषेक विधान होता है ढोल, मंजीरों और नगाड़ो की थाप पर पातालेश्वर की रोज महाआरती होती है
नागा साधुओं के तप से शहर में भगवान भोले नाथ का यह तीर्थ बना है जिसकी महिमा दूर-दूर तक है श्रद्धालुओं की आस्था ने इस स्थल को श्रद्धा -भक्ति से भर दिया है मन्दिर पहुचते ही असीम शांति का अनुभव स्थल के प्रति आपकी आस्था को प्रगाढ़ कर देता है ..