Metro City Mediaधार्मिक

केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही चार धाम यात्रा का श्री गणेश, सात लाख से ज्यादा श्रद्धालुओ ने कराया आन लाइन पंजीयन

सरकार ने कायाकल्प कर आसान बना दी है केदारनाथ धाम की यात्रा

Metro City Media

 Kedarnath Dham

♦Metro City Media-

चार धाम और भगवान भोलेनाथ के द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक “केदारनाथ धाम”  के कपाट आज “अक्षय तृतीया”  पर खोल दिए गए हैं। 6 माह तक इस धाम के कपाट बंद रहते हैं। इस साल पूरे देश से सात लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने केदारनाथ की यात्रा के लिए अपना आन लाइन पंजीयन कराया है। हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु इस तीर्थ की यात्रा करते हैं। चार धाम यात्रा की यात्रा करने वाले  श्रद्धालुओं के लिए आज से यात्रा का शुभारंभ हो गया है। 10 मई 2024  अक्षय तृतीया के अवसर पर केदारनाथ धाम  के कपाट खोले गए हैं। इसके साथ ही  यमुनोत्री धाम , गंगोत्री धाम  मंदिर के कपाट भी खोल दिए गए हैं।

केदारनाथ धाम  के कपाट प्रतिदिन  13 से 15 घंटे तक खुले रहेंगे।  केदारनाथ धाम की यात्रा के लिएआन लाइन  रजिस्ट्रेशन 15 अप्रैल 2024 से  3 मई तक किए गए हैं। जिसमे सात लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने यात्रा के लिए पंजीयन कराया है।  8 मई से पुनः ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा भक्तों के लिए शुरू की गई है। जिसमे  चारधाम यात्रा के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन  हरिद्वार और ऋषिकेश पहुंचकर भी किए जा सकते हैं। हरिद्वार पहुंचने के बाद ऋषिकेश में यात्री रजिस्ट्रेशन ऑफिस व ट्रांजिट कैंप में चारों धामों की यात्रा के लिए अधिकतम तीन दिनों के लिए ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन भी  करा सकते हैं

केदारनाथ धाम की यात्रा के लिए श्रद्धालुओं को पैदल, सड़क मार्ग, और हेलीकाप्टर के साथ घोड़ा खच्चर, पालकी की सुविधा है। पैदल यात्रा  धार्मिक और अनुभव भरी यात्रा होती है। पैदल यात्रा गौरीकुंड या सोनप्रयाग से शुरू होती है। यह  यात्रा लगभग 14 किलोमीटर की है। यात्रियों के लिए राजमार्ग सेवा भी उपलब्ध है।  बसें और टैक्सियां केदारनाथ धाम तक जाती हैं। राजमार्ग सेवा के लिए गुप्तकाशी से या रुद्रप्रयाग से बस टेक्सी की सुविधा है।  केदारनाथ धाम पहुंचने के लिए हेलीकॉप्टर सेवा भी है।  हरिद्वार, देहरादून और गुप्तकाशी  से उड़ानें उपलब्ध होती हैं जो केदारनाथ धाम तक पहुंचती हैं।  भक्तों के लिए गौरीकुंड से  पालकी और घोड़ा खच्चर  की सवारी भी उपलब्ध होती है. जिस पर बैठ यात्री धाम तक जा सकते है।

केदारनाथ धाम का मन्दिर सदियो पुराना है। यह  मंदिर महाभारत के बाद पांडवो ने बनाया था।  हिमालय के केदार श्रृंग पर महातपस्वी नर और नारायण ऋषि तपस्या करते थे। उनकी आराधना से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी प्रार्थना पर ज्योतिर्लिंग के रूप में यहां सदा वास करने का वरदान प्रदान किया था। इस वरदान स्वरुप ही भगवान शिव का ये मंदिर केदारनाथ आज भी यहां मौजूद हैं और 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं।
भगवान शंकर के दर्शन के लिए पांडव काशी गए थे।काशी में भगवान के ना मिलने पर पांडव उन्हें  खोजते हुए हिमालय तक आ पहुंचे। भगवान शंकर पांडवों को दर्शन नहीं देना चाहते थे, इसलिए वे वहां से अंतध्र्यान हो कर केदार में जा बसे थे। पांडव भी लगन के पक्के थे। वे उनका पीछा करते-करते केदार पहुंच ही गए थे।

ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव ने यहां अपनी।लीला की और अलग – अलग स्थानों पर प्रकट हुए थे। इनमें कहा जाता है कि केदारनाथ में  भगवान शिव का कूबड़ , मदनहेश्वर में उनकी नाभि, तुंगनाथ में  भुजाएं, रुद्रनाथ  चेहरा और  कल्पेश्वर में उनकी जटा है। हिमालय में उनके इन प्रकट स्थलों को पंच केदार कहा जाता है। बहुत कम श्रदालु पांचों केदार की यात्रा कर पाते हैं। केदारनाथ ही ऐसा धाम है जहां हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु हर साल पहुंचते हैं। पहले की तुलना में केदारनाथ धाम की यात्रा अब आसान हो गई है और इस धाम का तो सरकार ने कायाकल्प ही केRआ दिया है। इस धाम की खोज करने वाले आदि शंकराचार्य की प्रतिमा भी धाम में स्थापित की गई है। आवागमन के लिए मार्गो के साथ ही सविधाओं का व्यापक विस्तार धाम की यात्रा के लिए है जबकि पहले केवल पैदल ही केदारनाथ धाम तक पहुंचा जा सकता था।


Metro City Media

Metro City Media

Chhindwara MP State Digital News Channel & Advertiser Editor-Mukund Soni Contact-9424637011

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker