ChindwaraMetro City Mediaछिन्दवाड़ाधार्मिकमध्यप्रदेश

छिन्दवाड़ा का कपूरधा धाम : 80 साल पहले कुएं से निकली थी माता की मूर्ति, खेत मे है माता का यह धाम

माता के सिद्ध स्थल मे बच्चो की मानता से लेकर शादी- विवाह और बुरी नजर की दूर होती है बाधा

Metro City Media

♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश-

जगद जननी माँ भगवती के 9 स्वरूप और 64 योगिनी शास्त्रों में वर्णित है। शक्ति रूप में इनकी आराधना मानव मनोकामना के लिए करता है। शक्तियां  भारत भूमि में  विद्यमान है और  प्रकट भी  होती है। जहां – जहां ये शक्तियां प्रकट हुई है वहां – वहां माता के पूजा धाम है।  माता के इन्ही स्वयं प्रकाट्य धाम में से एक है छिन्दवाड़ा जिले की चौरई तहसील के ग्राम कपूरधा का कपूरधा धाम। यह माँ भगवती के छठवें स्वरूप स्कन्द माता का धाम है। जिन्हें षष्ठी देवी के रूप में पूजा जाता है। षष्ठी  माता महादेवी है। भगवती का स्वरूप है। बच्चों के दाता और रक्षक के रूप में इनकी पूजा  की जाती है। माता षष्ठी वनस्पतियों की भी देवी हैं। माना जाता है कि प्रजनन और बच्चों को जन्म की अधिष्ठात्री है। 85 साल पहले इस गांव के श्री वास्तव परिवार को दाखिला देकर माता प्रकट हुई थी। श्रीवास्तव परिवार के पूर्वजों ने अपने  खेत के कुएं से  माता मूर्ति पाई थी।

80 साल पहले इस गांव में माता की माड़िया मात्र थी अब विशाल मंदिर के साथ यह जिले का प्रमुख देवि धाम है। शक्ति पूजा के महापर्व नवरात्र पर  कपुरधा धाम में भक्तों का मेला है। यहां तीन हजार से ज्यादा मनोकामना कलशों में 9 दिन की अखंड ज्योत जगमगा रही है। ये कलश श्रद्दालुओं ने अपनी मनोकामना से रखे हैं। इसकी स्थापना को लेकर कहा जाता है कि  गांव का नाम पहले से ही कपूरधा है।करीब 85  साल पहले माता का धाम बनने से इसका नाम ही कपूरधा देवी धाम हो गया है।

छिन्दवाड़ा जिले का शायद ही ऐसा कोई परिवार होगा जो माता के इस धाम पर ना आया हो  यहां बिना कपूर के माता की पूजा नही होती है। भक्त कपूर जलाकर ही माता के दरबार मे मत्था टेकते है।  मनोती  पूरी होने की खुशी में दरबार मे लौट – लौट कर आते हैं। ढोल- बाजे बजवाते है और बच्चे के वजन बराबर गुुुड चढ़ाते है।

यह प्रमाणित सत्य है कि माता के इस  धाम पर हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है। मन्दिर में मन्नत के बंधे लाखों धागे  इस बात की गवाही देते हैं। माता की पुजा यहां कुल देवी के रूप में ही होती है। सन्तान की इच्छा हो या फिर संतान होने के बाद मुंडन संस्कार या फिर और कोई मनोती माता सबकी सुनती है। इस मंदिर में केवल साल के दो नवरात्र नही बल्कि साल के 365 दिन ही भक्तों का तांता रहता है।

माता षष्ठी ने यहां स्वयं अपनी उपस्थिति का प्रमाण दिया था। भक्तों के कल्याण के लिए वे यहां विराजित है।  भक्त यहां अकेले नही बल्कि पूरे परिवार सहित आते हैं।  षष्ठी माता का यह धाम माता के आदेश से ही बना है। गांव में रहने वाले कमलेश  श्रीवास्तव के परिवार की कपुर्दा में लंबी-चौड़ी खेती है। खेत मे कुआं है। इस कुँए में ही प्रतिमा रूप में होने का दाखिला माता ने श्रीवास्तव परिवार को 85  साल पहले दिया था। श्रीवास्तव परिवार ने जब कुँए को खाली कराया तब माता की प्रतिमा मिली जिसे पहले मड़िया में स्थापित किया गया और आज इस स्थल में माता का विशाल मंदिर है। वर्ष 1940 में छिन्दवाड़ा की धरती पर माता षष्ठी का यह धाम माता के आदेश से ही अस्तित्व में आया है। अब छिन्दवाड़ा ही नही माता षष्ठी  हर भक्त की आस्था का केंद है

माता के धाम के लिए श्रीवास्तव परिवार ने कुआ सहित खेत की जमीन माता के धाम के नाम कर धाम को विस्तार दिया है। माता ने सबसे पहले इस परिवार की ही मनोती पूरी की थी इसके  बाद कपुर्दा मन्दिर की ख्याति दूर-दूर तक पहुंची है।

यहां रोज ही भक्तों का तांता लगता है। षष्ठी माता के इस दरबार से आज तक कोई खाली हाथ नही गया है यहां आकर हर भक्त की ना केवल मनोकामना पूरी होती है बल्कि दैवीय शक्ति का अहसास भक्तों को उस चेतना से भर देता है जो सर्वमान्य है। इस सृष्टि की सावभोमिक सत्ता है। जो दिखाई तो नही देती लेकिन जीवन के सारे संकट हर सफलता का मार्ग प्रशस्त करती है।

माता के धाम में अधिकतर श्रद्धालु संतान सुख और संतान सुरक्षा की मनोती लेकर आते हैं। मनोकामना की  पूर्ति होने पर परिवार सहित आकर माता के दरबार मे शीश नवाते है। इतना ही नही मन्दिर में बच्चों के वजन बराबर गुड़ सहित अन्य ,प्रसाद चढ़ाया जाता है। शादी के लिए भी यहां अर्जी श्रद्धालु लगाते हैं। फिर जोड़े सहित माता पूजन को  आते हैं। बच्चो की बधाइयां,शादी की बधाइयां के साथ ही कुटुम्बिक पूजा अर्चना का दौर माता के दरबार मे रोज होता है।

कपुर्दा मन्दिर मे माता षष्ठी मन्दिर के ठीक पीछे मैली माता का भी चमत्कारिक स्थल है। यहां बच्चो की बुरी नजर के अलावा अला-बला सब उतर जाती है। पंडित यहां माता के सामने खड़े होकर मैली उतारते हैं। इसके बाद श्रद्धालु मन्दिर परिसर के उस कुँए जिससे देवी माँ प्रतिमा रूप में प्रकट हुई है के पानी से स्नान कर अपने आपको अला-बला ,बुरी नजर, रोग बीमारियों मानसिक बाधा सहित अनेक परेशानियों से मुक्त महसूस करते हैं। यह माता के इस धाम का विशेष प्रताप है मन्दिर में चैत्र और शारदीय नवरात्र पर प्रतिदिन हजारों की संख्या में भक्त यहां पहुँचते है। इतना ही नही 9 दिन की अखंड ज्योत के लिए यहां हजारो की संख्या में मनोकामना कलश भी रखवाते है। वर्तमानमें यहां चैत्र नवरात्र का पर्व मनाया जा रहा है। मन्दिर पहुंच मार्ग के लिए ग्राम पंचायत ने यहां पुल –  पुलिया सड़क और मन्दिर परिसर में बाजार भी बनवा दिया है।


Metro City Media

Metro City Media

Chhindwara MP State Digital News Channel & Advertiser Editor-Mukund Soni Contact-9424637011

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker