परासिया में सात दिन में एक बार पेयजल आपूर्ति, 150 करोड़ की पेंचव्हेली जल आवर्धन योजना फेल
चांदामेटा , बड़कुही सहित 6 पंचायतो के भी हाल - बेहाल
बरसात में भी पानी खरीदने को मजबूर हैं कोयला अंचल के वाशिन्दे
♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश-
जिले के कोयला अंचल परासिया में पेंचव्हेली जल आवर्धन योजना फेल हो गई है या फिर पेयजल आपूर्ति के नाम पर कोई घोटाला चल रहा है। जिला ओरशासन को इसकी जांच कराने होगा।पेयजल आपूर्ति को लेकर आलम यह है कि पेंचव्हेली जल आवर्धन योजना से जुड़ी परासिया नगर पालिका सहित नगर पंचायत चांदामेटा , बड़कुही सहित आधा दर्जन ग्राम पंचायतो में से सात दिन में एक बार पेयजल आपूर्ति हो पा रही है। गर्मी में तो यह संकट था ही लेकिन बरसात के आ जाने पर भी टला नही है। आखिर कब कोयला अंचल में पेयजल संकट का हा- हा कार थमेगा।
हर घर तक नल और जल केन्द्र और राज्य सरकार का सर्वोच्च लक्ष्य है। इसके लिए पेंचव्हेली जल आवर्धन योजना पर 150 करोड़ से ज्यादा का बजट खर्च किया जा चुका है। परियोजना में पेंच नदी के मन्धान में अकेले डेम बनाने लिए ही 70 करोड़ की राशि खर्च की गई है वही डेम से जल आपूर्ति के लिए ग्रहेवटी लाइन पर 22 करोड़ के अलावा पाइप लाइन सहित पानी टंकियों के निर्माण में भी करोड़ो का बजट फूंका गया है। इसके बावजूद कोयला अंचल हर साल गर्मी के समय पेयजल संकट का शिकार होता है और फिर यहाँ पेयजल परिवहन के नाम और भी हर साल करोड़ो का बजट व्यय होता आ रहा है। इतनी बड़ी परियोजना के बाद भी आखिर कोयला अंचल को पेयजल संकट और पेयजल परिवहन से मुक्ति क्यो नही मिली है।
पेंचव्हेली जल आवर्धन योजना में नगर पालिका परासिया सहित नगर पंचायत चांदामेटा ,बड़कुही के साथ ही ग्राम पंचायत भाजीपानी, पनारा, भमौडी, जाटाछापर, अंबाडा, पालाचौराई को शामिल किया गया है। करीब एक लाख की आबादी के लिए यह सामूहिक योजना बनाई गई थी।
इनमे परासिया में जल आवर्धन विस्तार के लिए 30 करोड़ 30 लाख, बड़कुही में 12 करोड़ 11 लाख, चांदामेटा में 14 करोड़ 32 लाख और ग्राम पंचायतो में करीब 6 करोड़ का बडा बजट जल आवर्धन योजना के नाम पर व्यय किया गया है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग सहित नगरीय निकायों ने एजेंसी के माध्यम से योजना के कार्य कराए हैं।क्या इतने बड़े बजट के कार्य जनता को ये दिन दिखाने के लिए ही खर्च किया गया है।
यदि इतनी बड़ी योजना फेल होती है तो जिला प्रशासन को हाई लेवल कमेटी बनाकर इसकी जांच कराने चाहिए क्योंकि यहां के वाशिन्दे पानी खरीदने के लिए मजबूर हैं और पूरा सिस्टम हाथ खडेकर तमाशबीन बना हुआ है।