छिन्दवाड़ामध्यप्रदेश

मोहगाँव जलाशय: डूब प्रभावितों की समस्या का कलेक्टर शीतला पटले ने निकाला प्रभावी समाधान

विस्थापन कार्य का गांव जाकर स्वयं करेंगी निरीक्षण , अधिकारी गांव में करेंगे केम्प

Metro City Media

प्रभावितों से  वन टू वन चर्चा कर किया जाएगा न्याय

♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश-

कलेक्टर शीतला पटले  ने  कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में  मोहगांव जलाशय डूब प्रभावित कृषकों की समस्याओ को सुना और  जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को समुचित कार्यवाही के लिए सख्त निर्देश दिए हैं। अब अधिकारी  गांव में जाकर कैंप करेंगे और प्रत्येक  ग्रामीण से वन  टू वन चर्चा कर  प्रभावित क्षेत्र का पैदल  निरीक्षण कर अंतिम प्रस्ताव बनाएंगे।

किसान दो दिनों से कलेक्ट्रेट के सामने मैदान में डेरा डालकर कलेक्टर का इंतजार कर रहे थे। प्रभावित ग्रामीण अब तक करीब 10 बार छिन्दवाड़ा आए लेकिन इसके बाद भी अधिकारी समस्या समझने उनके गांव तक  नही गए थे। कलेक्टर ने अधिकारियों को  समस्या जे प्रभावी समाधान के लिए आदेशित कर  अगस्त माह के प्रथम सप्ताह में दोबारा किसानों के साथ बैठक करने कहा है।

जिले  के सौंसर क्षेत्र में  मोहगांव जलाशय के डूब प्रभावित किसानों की शिकायतें काफी गंभीर थी। किसानों की डूब क्षेत्र की जमीन के मामले में उनको मिलने वाले मुआवजा के लिए मुआवजा प्रकरण परिसंपत्तियों के आकलन के बिना बना दिए गए थे। इतना ही नही गांव के विस्थापन स्थल पर  मूलभूत सुविधा के साथ ही अधोसरंचना विकास के कार्यो का भी अभाव है जिससे ग्रामीण परेशान हैं।

बैठक में कलेक्टर शीतला पटले ने प्रभावितों के साथ एक – एक बिंदु पर चर्चा की और कहा कि पुनर्स्थापना बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है, हम बेस्ट पॉसिबल करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को सभी समुचित कार्यवाहियां समय पर करने के आदेश दिए है । बैठक में अपर कलेक्टर  ओ पी सनोडिया,  एसडीएम अतुल सिंह , सौंसर  एस डी एम श्रेयांस कुमुट,  जल संसाधन विभाग की कार्यपालन यंत्री कुमकुम कौरव सहित  लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, एमपीईबी, पीडब्ल्यूडी, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग सहित अन्य संबंधित सभी विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।

बैठक में प्रभावित किसानों की छूटी हुई परिसंपत्तियों का पूरक अवार्ड बनाने, मुंगनापार से नंदेवानी, नंदेवनी से सरकीखापा एवं भुम्मा से घोड़कीढाना इन तीनों रास्तों का अधूरा कार्य पूरा कराने, विस्थापन स्थल पर पानी, बिजली, आंगनबाड़ी केंद्र, मंदिर, मोक्षधाम सहित अन्य सार्वजनिक सुविधाएं उपलब्ध कराने, सर्वे उपरांत विस्थापन में पुनः आवेदन देने वालों का नाम शामिल करने, विस्थापित परिवारों को भाड़ा राशि प्रदाय करने, मुद्रा शुल्क में छूट आदि से जुड़ी समस्याएं कलेक्टर के समक्ष रखीं गईं।

कलेक्टर श्रीमती पटले ने बताया कि कुछ किसानों द्वारा बैंक खाता उपलब्ध ना कराने की वजह से पूरक अवार्ड की राशि उन तक नहीं पहुंची है, 75 किसानों की बैंक खाता संख्या उपलब्ध होने पर अवार्ड राशि भेज दी गई है। शेष कृषक भी तत्काल अपने बैंक खाते की जानकारी एसडीएम सौंसर कार्यालय में जमा करा दें, आगामी 2-3 दिवसों में राशि उनके खाते में राशि पहुंचा दी जायेगी। उन्होंने मुंगनापार से नंदेवानी रोड का बचा हुआ 800 मीटर के हिस्से का कार्य एक सप्ताह के अंदर पूरा कराने के आदेश दिए है। नंदेवानी से सरकीखापा मार्ग की पुलिया जो जल स्तर अत्यधिक बढ़ने पर डूब जाती है, उसकी हाइट बढ़ाने का प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है। तब तक अतिरिक्त पानी या ओवर फ्लो जैसी स्थिति निर्मित होने के पूर्व ही सभी गेट्स व वेंट्स खोलने के निर्देश   भी दिए। पुल के दोनों ओर बोर्ड लगाने, गार्ड की व्यवस्था करने और एक कंट्रोल रूम बनाकर प्रभावित कृषकों से सतत संपर्क में रहने व लगातार सूचनाओं का आदान प्रदान करते रहते के लिए निर्देशित किया, जिससे किसान अपनी बोनी कर सकें।

कलेक्टर शीतला पटले ने  घोड़कीढाना मार्ग  स्वयं जाकर देखने और नीचे वाले रास्ते की आखिरी पुलिया का काम तीन दिन में पूरा कराने और ऊपर के रास्ते के निर्माण में जो समस्याएं सामने आ रही हैं, संबंधित सभी विभागों से समन्वय करते हुए उनका निराकरण कराने के निर्देश दिए है।

विस्थापन स्थल पर पानी की व्यवस्था के लिए कृषकों के सुझाव अनुवाद लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारी को कार्यवाही कर एक सप्ताह के अंदर निराकरण कराने  निर्देशित कियाहै।  चोरी हुई स्ट्रीट लाइट 3 दिन के अंदर पुनः लगाने और खेतों से लाइट पहुंचाने वाले प्रकरण में मौसम के दृष्टिगत अभी जो भी कार्यवाहियां की जा सकती हैं, उन्हें करने के निर्देश दिएहै।  साथ ही ग्रामीणों से एक समिति बनाकर विद्युत उपकरणों की चोरी की मॉनिटरिंग कराने का आग्रह किया है। आंगनवाड़ी केंद्र के निर्माण का कार्य तत्काल प्रारंभ कराने , मंदिर का निर्माण ग्रामीणों द्वारा चयनित स्थल पर ही करने और उसके समीप एक सामुदायिक भवन का निर्माण कराने के निर्देश भी उन्होंने दिए है।

कलेक्टर ने जल भराव को रोकें नालियों की लगातार साफ सफाई सुनिश्चित करने, आवंटन उपलब्ध हो तो विस्थापन की भाड़ा राशि एक सप्ताह के अंदर प्रदाय करने, उपलब्ध ना हो तो वरिष्ठ कार्यालय से पत्राचार करने और मोक्षधाम के लिए जमीन का चयन करने के लिए कृषकों के प्रतिनिधि मंडल के साथ अधिकारियों को निरीक्षण करने के निर्देश दिए। साथ ही जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को गांव में जाकर कैंप करने, प्रत्येक ग्रामीण से वन टू वन चर्चा कर उनकी समस्या सुनने और ग्रामीणों के प्रभावित पूरे मार्ग का स्वयं पैदल निरीक्षण कर अंतिम प्रस्ताव तैयार करने के लिए निर्देशित किया।

कई बार कलेक्ट्रेट आकर किसान कर चुके धरना – प्रदर्शन..

मोहगाँव जलाशय के प्रभावित किसान मुआवजा की मांग को लेकर छिन्दवाड़ा के कलेक्ट्रेट में कई बार  धरना –  प्रदर्शन कर चुके है। जलाशय का कार्य 90 प्रतिशत पूरा हो चुका है जलाशय का जल भराव क्षेत्र बरसात में तेजी से बढ़ रहा है जब प्रभावित डूब क्षेत्र डूब  जाएगा तब मुआवजा आंकलन की स्थितियां ही समाप्त हो जाएंगी इस वजह से किसान आक्रोशित थे और विभाग के अधिकारी इसी बात का इंतजार कर रहे थे ।प्रभावितों की  परिसम्पत्ति में  मकान, कुंआ, फलदार वृक्ष, सहित अन्य संपत्ति नही जोड़ी गई है।  जल संसाधन विभाग  वर्ष 2014 से मोहगाँव जलाशय बना रहा है ओर 8 साल में भी प्रभावितों की समस्या का निदान नही किया था।

विभाग की रिपोर्ट के अनुसार  जलाशय के प्रभावित 75  किसानों को उनकी डूब क्षेत्र की जमीन का तीन करोड़ से ज्यादा का  मुआवजा दिया जा चुका है। उन्हें डूब क्षेत्र से हटाकर अन्यत्र शिफ्ट कर दिया गया है और नया मकान बनाने के लिए मुआवजा के अतिरिक्त 1 लाख 20 हजार की राशि की प्रथम किश्त में 70 हजार रुपए भी दिए जा चुके हैं।

नए भू- अर्जन कानून से मांगा मुआवजा..

किसानों की मांग थी कि  उन्हें 2014 में लागू हुए भू- अर्जन नियम के मुताबिक डूब क्षेत्र में आई जमीन के अलावा जमीन में लगे  संतरा  बागान सहित अन्य फलदार वृक्ष ,मकान, कुंआ ,टांका आदि परीसंपत्ति का भी मुआवजा दिया जाए। साथ ही विस्थापन स्थल पर सड़क , बिजली ,पानी ,स्कूल, आंगनबाड़ी, की व्यवस्था की जावे।

मोहगाँव जलाशय की लागत करीब 35 करोड़ है। जलाशय बनने पर  दस गांवो मोहगाँव सहित नंदेपानी ,चिखली, भूमम्मा, मुगनापार, सिंहपुर, खैरेपिका, बाना बकोडा, घोघरीखापा, और कोपरबाड़ी की 2 हजार 950 हेक्टेयर असिंचित जमीन को सिंचित बनाया जा सकेगा। इसके अलावा मोहगाँव नगर पंचायत सहित गांवो की पेयजल समस्या का भी स्थाई समाधान होगा।

 


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