छिन्दवाड़ा के सौसर में गजब कारनामा:मात्र 4 घण्टे में 400 एकड़ जमीन का अधिग्रहण
सौसर के पूर्व एस डी एम, तहसीलदार और जलसंसाधन विभाग की कार्यवाही पर सवाल
![](https://metrocitymedia.in/wp-content/uploads/2022/12/IMG_20221220_210442.webp)
महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश की सरकार का है मामला .
मुकुन्द सोनी छिन्दवाड़ा- एक दिन और दिन के चार घण्टे में सौसर के 6 गांवो के 173 किसानों की करीब 400 एकड़ जमीन की नपाई कर दी गई और मूल्यांकन के बाद मुआवजा का अवार्ड भी पारित कर दिया गया यह कारनामा किसी औऱ ने नही छिन्दवाड़ा जिले की सौसर तहसील के तत्कालीन एस डी एम ,तहसीलदार औऱ जल संसाधन विभाग के अफसरों ने किया है यह जमीन महाराष्ट्र सरकार के नागपुर जल आवर्धन प्रकल्प को दे भी दी गई है महाराष्ट्र के नागपुर शहर की पेयजल आपूर्ति के लिए मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा से लगे सावनेर के पास कोच्छी गाँव मे महाराष्ट्र की सरकार ने कन्हान नदी पर एक बड़ा बांध बनवाया है इस बांध से पाइप लाइन बिछाकर नागपुर तक कन्हान नदी का पानी भेजा जा रहा है बांध के डूब क्षेत्र में महाराष्ट्र की सीमा से लगे छिन्दवाड़ा जिले की सौंसर तहसील के आधा दर्जन गांवो के करीब 173 किसानो की करीब 400 एकड़ जमीन ली गई है जहाँ धीरे-धीरे बांध का जल भराव क्षेत्र बढ़ रहा है
खास बात यह है कि दोनो राज्यों के बीच इस योजना के लिए ना पानी का अनुबंध है ना ही जमीन का फिर भी सौसर के तत्कालीन एस डी एम और तहसीलदार ने भू-अर्जन कर जमीन महाराष्ट्र को दे दी है नियम के अनुसार दो राज्यों के बीच यदि कोई योजना है तो पहले दोनों राज्यो के बीच सहमति और शर्तों का अनुबंध होता है फिर योजना के लिए आवश्यक कार्रवाई होती है इसके बाद ही योजना फ्लोर पर आती है किंतु यहाँ बिना अनुबंध के ही छिन्दवाड़ा की ही कन्हान नदी पर ही बांध भी बन गया है और छिन्दवाड़ा के ही सौसर के आधा दर्जन गांवों की 400 एकड़ जमीन भी चली गईं हैं
महाराष्ट्र प्रकल्प को हैंडओवर भी कर दी जमीन
महाराष्ट्र सरकार के इस प्रकल्प के लिए 400 एकड़ जमीन के अधिग्रहण की कार्रवाई मात्र 4 घण्टे में कर दी गई थी मुआवजा का अवार्ड भी पारित कर दिया गया था जमीन महाराष्ट्र सरकार के इस प्रकल्प बनाने वाले विभाग को हैंडओवर भी कर दी गई थी यह सब कैसे हुआ जमीन अधिग्रहण वो भी मात्र चार घण्टे में शायद यह भारत देश की पहली सबसे फ़ास्ट कारवाई है जो सरकार के रिकार्ड में दर्ज नही है वरना सरकार तो इतने अनुभवी अफसरों को अपने मंत्रालय में रखती
छिन्दवाड़ा आकर पीड़ितों ने कलेक्टर से लगाई गुहार..
सौसर के पीड़ित आधा दर्जन गावो के किसानों ने छिन्दवाड़ा आकर पूरा मामला कलेक्टर शीतला पटले के समक्ष रखा है और न्याय की गुहार लगाई है किसानों ने इसके लिए तैयार किए गए भू-अर्जन के कागजात भी पेश किए और पुनः आकलन कर किसानों को नए सिरे से प्रावधान अनुसार जमीन के साथ ही मकान, कुआँ, संतरा बगीचा ,अन्य फलदार वृक्ष,सहित अन्य परिसम्पत्तियों का भी मुआवजा मांगा है भू -अर्जन के इस प्रस्ताव और पारित अवार्ड के रिकार्ड की जांच की मांग भी किसानों ने रखी है
सौसर के ये गांव है शामिल ..
सौसर तहसील के जिन गांवों की जमीन बांध के डूब क्षेत्र में गई है उनमें कन्हान नदी किनारे बसे मालेगांव, सावंगा, पाड़रीखापा ,लोहांगी चीजघाट और परेघाट शामिल हैं ये गांव अब मामूली नही है यहां रेत के साथ ही चुना और छुई मिट्टी का खजाना भी है रेत ने यहां कई नेताओं और माफिया को अरबपति बना दिया है पर नेताओ के जहन में भी नही आया कि वे किसानों को न्याय दिला सके किसान पढ़े-लिखे नही है इसका जमकर फायदा उठाया गया है यह मामला तब का है जब गावो में सड़क भी ना थी मामला भले ही पुराना हो किन्तु जब जागे तब सवेरा में यहां 6 गांव के किसान लामबंद है अब तो यहां रेत के डंपरों की 24 घण्टे कतार लगी रहती है ग्रामीणों ने बताया कि जिस समय भू -अर्जन किया गया था उस समय राजेश कुमरे एस डी एम और शिव कुमार भोजने तहसीलदार थे किसान यहां रेत माफिया की करतूतों से भी आक्रोशित है
किसानों ने बताया कि …..
- एक दिन के मात्र चार घण्टे में 6 गांव के 173 किसानों की जमीन कैसे नापी जा सकती है
- सभी 6 गांव कन्हान नदी के किनारे बसे हैं महाराष्ट्र की सीमा से लगे हैं किंतु मुआवजा असिंचित जमीन का बनाया गया है नदी किनारे की जमीन सबसे कीमती ,सिंचित और उपजाऊ होती है ना कि असिंचित
- भू-अर्जन की सूचना का ना प्रकाशन किया गया ना ही किसानों को सूचित किया गया था ना ही ग्राम सभा ली गई और ना ही ग्राम पंचायत में कोई प्रस्ताव पारित है और तो और इतने बड़ी भू-अर्जन की कार्यवाही के किए विभागों ने कोई लोक सुनवाई का आयोजन भी नही किया था बिना नियमो के पालन के अफसरों ने इतनी बड़ी कार्रवाई कर दी है
- अफसरों ने बिना स्थल निरीक्षण के ही कागजात तैयार किए हैं भू;अर्जन में किसानों के खेत के मकान,कुए संतरा बगीचा के अलावा वृक्षों सहित अन्य परिसम्पत्तियों को शामिल ही नही किया गया है
- क्या इसके लिए मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र सरकार के बीच सहमति थी यह दो राज्यो का मामला है दोनों राज्यो के बीच जमीन और पानी के लेनदेन को लेकर अब तक भी कोई सहमति नही है
- महाराष्ट्र की सरकार ने अपनी सीमा में बांध के डूब क्षेत्र में आए गांवो के किसानो को 11 लाख रुपया एकड़ की दर से मुआवजा दिया है औऱ मध्यप्रदेश के किसानों को मात्र 1 लाख 60 हजार की दर से मुआवजा देकर किसानों के साथ अन्याय किया गया है किसानों की जमीन जाने के बाद यहां गांव बर्बाद हो गए हैं बेरोजगारी चरम पर है कृषि ही यहां किसानों का एक मात्र आसरा है
- किसानों की मांग हैं कि नागपुर जल आवर्धन योजना के लिए बनाए गए बांध में डूब क्षेत्र में आए मध्यप्रदेश के सौसर तहसील के 173 किसानों की करीब 400 जमीन के भू-अर्जन प्रस्ताव पारित अवार्ड की जांच कर उसका रिव्यूह किया जाना चाहिए ताकि किसानों को न्याय मिल सके इसके लिए गांव के किसान जबलपुर हाई कोर्ट में याचिका भी दायर करने की तैयारी में है प्रभावित ग्रामीण नरेश कुमार दयानी के साथ छिन्दवाड़ा आकर कलेक्टर से मिले नरेश कुमार दयानी की भी जमीन चूना फैक्ट्री सहित डूब में चली गई है इसके लिए उन्हें भी कोई नोटिस मिला था ना ही सूचना अफसरों ने फैक्ट्री सहित जमीन डूब में निकाल दी है उनका कहना था कि किसानो के साथ यह सीधे धोखाधड़ी का मामला है अफसर कुछ कहने तैयार नही पर लाखों रुपया खर्च कर भू-अर्जन के सभी कागजात एकत्र करने में ही वक्त लग गया है पुरे कागजात मय प्रमाण के एकत्र होने के बाद ही कलेक्टर के समक्ष न्याय की गुहार लेकर पेश हुए थे कलेक्टर ने हमे जांच का आश्वासन दिया है जरूरत पड़ने पर हम हाई कोर्ट भी जाएंगे