अदाणी कम्पनी को छिन्दवाड़ा में करना है 8 हजार करोड़ का निवेश
माचागोरा में बनाना है 610-610 मेगावाट के दो पावर प्लांट

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मध्यप्रदेश सरकार और कम्पनी के बीच अनुबंध को हो चुके 15 साल
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सरकार ने छिन्दवाड़ा में कम्पनी को दे रखी है 750 एकड़ जमीन
मुकुन्द सोनी छिन्दवाड़ा- भारत के पावर सेक्टर की सबसे बड़ी गुजरात की अदाणी कम्पनी के पास छिन्दवाड़ा में 750 एकड़ जमीन है यह जमीन छिन्दवाड़ा में अमरवाड़ा और चौरई तहसील के गांव चौखड़ा से हिवरखेड़ी तक है जो मध्यप्रदेश सरकार ने कम्पनी को विद्युत पावर प्लांट बनाने के लिए दी है पावर प्लांट माचागोरा बांध से लगे चौखड़ा गांव में बनना है सरकार औऱ कम्पनी के बीच यहां 610-610 मेगावाट के दो पावर प्लांट बनाने का अनुबंध है इस अनुबंध को करीब 15 साल हो गए हैं लेकिन अब तक पावर प्लांट बना नही है
अदाणी अब इतना बड़ा नाम है कि मध्यप्रदेश सरकार की भी हिम्मत नही हो रही है कि कम्पनी को नोटिस देकर पूछ सके कि अब तक छिन्दवाड़ा में पावर प्लांट बना क्यो नही है खास बात यह है कि यह अनुबंध उस समय का है जब माचागोरा बांध बना नही था तब कम्पनी का तर्क था कि पानी की उपलब्धता ना होने से प्रोजेक्ट में विलंब हो रहा है अब तो माचागोरा बांध को बने ही करीब सात साल हो चुके हैं बांध बनाने वाला जल संसाधन विभाग भी पानी सप्लाय को लेकर कम्पनी से अनुबंध कर चुका है अनुबंध के अनुसार जल संसाधन विभाग कम्पनी को माचागोरा बांध से हर साल 33.29 मिलियन घन मीटर पानी देगा जिसका उपयोग बिजली बनाने के लिए किया जाएगा इतना ही नही पावर प्लांट बनाने कम्पनी को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की एन ओ सी भी काफी पहले मिल चुकी है फिर भी कम्पनी पावर प्लांट को लेकर कोई पावर दिखा रही है ना ही मध्यप्रदेश की सरकार कोई पावर दिखा पा रही है परिणाम स्वरूप छिन्दवाड़ा में विकास का पावर नजर नही आता है यहां पावर प्लांट बनेगा या नही इस पर अब भी स्थिति जस की तस है
8 हजार करोड़ का है निवेश..
छिन्दवाड़ा का यह प्रोजेक्ट मामूली नही बल्कि छिन्दवाड़ा के विकास का अब तक का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है भारत मे बिजली उत्पादन के अधिकांश बड़े प्रोजेक्ट निजी कम्पनियो के पास है कम्पनी प्रोजेक्ट बनाती है और सरकार को ही बिजली बेचती है ऐसे में यह घाटे का सौदा भी नही है कम्पनी और मध्यप्रदेश सरकार के बीच मात्र 610-610 मेगावाट के दो पावर पावर प्लांट बनाने का ही अनुबंध नही बल्कि बिजली खरीदने का भी अनुबंध है यह अनुबंध कम्पनी और सरकार के लिए भले ही छोटी सी बात हो पर छिन्दवाड़ा के लिए यह छोटी नही बल्कि छिन्दवाड़ा के विकास की सबसे बड़ी बात है बिजली -पानी की उपलब्धता ही कृषि और उद्योगों के विकास की नींव है अदाणी कम्पनी का यह पावर प्रोजेक्ट 8 हजार करोड़ का बताया गया है कम्पनी को प्लांट बनाने छिन्दवाड़ा में 8 हजार करोड़ का निवेश करना है अब तक प्लांट नही बना है तो क्या माना जाए कि कम्पनी निवेश से पीछे हट गई है या फिर छिन्दवाड़ा में बिजली बनाना कम्पनी को घाटे का सौदा लग रहा है कम्पनी भी अब तक अपनी स्थिति स्पष्ट करने की तैयार नही दिखती है छिन्दवाड़ा में अब तक पावर प्रोजेक्ट को लेकर जो काम चल रहा है वो यही है कि जमीन पर किसान खेती करने के लिए कब्जा करते हैं और प्रशासन कम्पनी की जमीन को खाली कराने के लिए खेतो में खड़ी फसल पर जेसीबी चलवा देता है
स्थिति स्पष्ट करे कम्पनी और सरकार
छिन्दवाड़ा में पावर प्लांट को लेकर कम्पनी और सरकार को स्थिति स्पष्ट करना चाहिए यही समय की मांग है अब तो विलम्ब होते – होते यह स्थिति आ गई है कि सरकार ने जिन गांवो के किसानो की जमीन का अधिग्रहण कर कम्पनी को दिया है वे किसान अपनी जमीन भू – अधिग्रहण कानून के अनुसार वापस चाहते हैं ताकि वे जमीन पर फिर से खेती-किसानी कर सके इसकी वजह भी है कि जब शासन ने किसानों की जमीन ली थी तब माचागोरा बांध नही बना था किसान खेतो में सिचाई के लिए आसमान के भरोसे थे लेकिन अब तो यहाँ पानी ही पानी है और दूसरी बात यह भी है कि कम्पनी को प्लांट में जमीन देने वाले किसानों के परिवार के एक सदस्य को नोकरी भी देना है जमीन देने के बाद से गांवो के किसान बेरोजगार और बेजार है इसलिए वे खाली पड़ी जमीन पर कब्जा कर खेती करते हैं भू-अधिग्रहण कानून यह बात कहता है कि किसी कम्पनी या उद्योग समूह को यदि किसानों की जमीन का अधिग्रहण कर दिया गया है और एक साल की अवधि में वहां उद्योग नही लगता है तो किसानों को जमीन वापस की जा सकती है
छिन्दवाड़ा के विकास का है मुद्दा..
पावर प्लांट छिन्दवाड़ा के विकास का सबसे बड़ा मुद्दा है छिन्दवाड़ा में कोयला है पानी है लेकिन उसका उपयोग नही है छिन्दवाड़ा के कोयला अंचल से कोयला अंग्रेजो के जमाने से बाहर जा रहा है और नदियों का पानी सदियों से महाराष्ट्र वो तो भला हो भाजपा सरकार का कि पेंच नदी पर माचा गोरा में बांध बनवा दिया वरना छिन्दवाड़ा की तीन नदियों पेंच, जाम और कन्हान का पानी महाराष्ट्र की कन्हान नदी में चला जाता है माचागोरा बांध बनने से छिन्दवाड़ा में थमा पेंच नदी का पानी जिले में कृषि की नई क्रांति का नायक बन गया है और जल जीवन मिशन के बड़े आधार के साथ ही औद्योगिक विकास के नए रास्ते भी खोलेगा किन्तु अब भी जाम और कन्हान नदी का पानी महाराष्ट्र ही जा रहा है कन्हान महाराष्ट्र का बड़ा और उन्नत जिला है यहां कन्हान नदी पर महाराष्ट्र सरकार दो दशक पहले पावर प्लांट बना चुकी है जिससे कन्हान सहित महाराष्ट्र के बड़े उद्योगों को बिजली की आपूर्ति होती है विकास के मुद्दे पर राजनीति नही …