लोकसभा के बाद विधानसभा में भी छिन्दवाड़ा को मिला प्रतिनिधित्व, भाजपा को दूसरी बड़ी सफलता, कमलेश शाह ही अमरवाड़ा के “बॉस”
कांग्रेस को फिर बड़ा झटका, कड़ी टक्कर में नजदीक से पलटी बाजी

मुकुन्द सोनी♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश –
लोकसभा में विवेक साहू सांसद और मध्यप्रदेश विधानसभा में अमरवाड़ा से कमलेश शाह विधायक। भाजपा ने छिन्दवाड़ा का लोकसभा और विधानसभा में प्रतिनिधित्व कायम कर दिया है। मात्र सवा महीने में ही भाजपा को यह ड्योढ़ी सफलता मिल गई है। 4 जून को विवेक साहू सांसद बने और 13 जुलाई को कमलेश शाह भाजपा के विधायक। जबकि इन चुनावों के पहले छिन्दवाड़ा से भाजपा का सांसद था ना ही सात सीटों में कोई विधायक। यह परिवर्तन बता रहा है कि छिन्दवाड़ा का जनमानस अपने क्षेत्र के विकास के लिए संवेदनशील हो चला है। वह यह बात समझ गया है कि सरकार के बिना विकास संभव नही है। भाजपा के लिए यह बड़ी सफलता और कांग्रेस के लिए डाउनफाल है। कांग्रेस को छिन्दवाड़ा लोकसभा के बड़े झटके के बाद अमरवाड़ा विधानसभा का हाथ से निकलना बता रहा है कि नव निर्वाचित सांसद विवेक साहू और विधायक कमलेश शाह के साथ ही सरकार की जवाबदारियां छिन्दवाड़ा के प्रति बढ़ गई है।
चुनाव से पहले छिन्दवाड़ा में सांसद से लेकर सातों सीट के विधायक कांग्रेस के थे। लेकिन स्थिति ऐसी थी कि छिन्दवाड़ा के लिए सांसद कुछ कर पा रहे थे ना ही विधायक। कमलनाथ का सी एम होना छिन्दवाड़ा के लिए एक बड़ा फेक्टर बना था। लेकिन जल्द ही वह इतिहास के पन्नो में चला गया कांग्रेस केवल लकीर पीटते ही रह गई है। चुनाव से पहले छिन्दवाड़ा में भाजपा के हाथ खाली थे। उसके पास छिन्दवाड़ा में ना सांसद था ना ही विधायक लेकिन अपनी कुशल रणनीति से भाजपा ने ना केवल संसदीय सीट के चुनाव में ना केवल सातों सीट जीती बल्कि उप चुनाव में अमरवाड़ा सीट भी अपने नाम कर छिन्दवाड़ा की राजनीति में अपने नए सूत्रपात की श्रंखला को बढ़ाया है।
अमरवाड़ा छिन्दवाड़ा जिले का बड़ा विधानसभा क्षेत्र है। आदिवासी बाहुल्य होने से आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है। लेकिन वर्षों से पिछड़ा ही है। ठेठ ग्रामीण अंचल वाला यह विधानसभा क्षेत्र केवल कृषि और वनोपज आधारित अर्थ व्यवस्था पर टिका है। अब तक यहां विकास के नाम पर कोई बड़े उद्योग धंधे, फेक्ट्री बाजार ,कृषि आधारित उद्योग, सड़को का जाल तो क्या रेलवे लाइन तक नही है। कृषि भी केवल वर्षा पर आधारित है। अमरवाड़ा के गांवो के हालात इतने बुरे है कि अब भी दर्जनों दूरस्थ गांवो में बिजली तक नही है।
कमलेश शाह कांग्रेस से तीन बार लगातार विधायक चुने गए थे। किन्तु वे भी कांग्रेस से विधायक रहते हुए अपने क्षेत्र के लिए कुछ खास नही कर पाए थे। हर्रई जागीर राजवंश के राजा होने के नाते ही वे जनकल्याण से लगातार जुड़े रहे और यही कांग्रेस से तीन बार और अब भाजपा से पहली बार विधायक बनने का बड़ा कारण कहा जा सकता है। यहां असली राजा नकली राजा के चक्कर मे फंसा हुआ था। उनकी अनुमति – सहमति के बिना कुछ हो जाए संभव नही लग रहा था। लगातार अमरवाड़ा की उपेक्षा से त्रस्त होकर ही कमलेश शाह ने लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस छोड़ी थी। अब चौथी बार भाजपा से विधायक बनकर उन्होंने अमरवाड़ा के विकास के लिए नया रास्ता बना लिया है। जिसमे क्षेत्र की जनता ने उन्हें एक बार अपना बॉस चुना है।
एक माह पहले ही सांसद विवेक साहू को अमरवाड़ा ने 15 हजार वोट की लीड दी थी लेकिन कमलेश शाह मात्र 3 हजार 25 वोट से ही यह चुनाव जीते हैं। चुनाव में तो एक – एक वोट की कीमत है। प्रत्याशी एक वोट से भी जीत और हार सकता है। छिन्दवाड़ा की परासिया सीट में तो कांग्रेस के विधायक सोहन वाल्मीकि एक बार 92 वोट से और दूसरी बार 18 सौ वोट से विधायक चुने गए थे। जहाँ तक कमलेश शाह को क्षेत्र में गोंडवाना फैक्टर के चलते मिले वोट का आकलन किया जाए तो 2013 में उन्हें 55 हजार 684, 2018 में 71 हजार 662 और 2023 के चुनाव में 1 लाख 9 हजार 765 वोट मिले थे। पिछला विधानसभा का चुनाव उन्होंने 25 हजार से ज्यादा वोटों से जीता था।
इस उप चुनाव में कांग्रेस के नए प्रत्याशी आचलकुण्ड दरबार के वंशज धीरेन शाह की टक्कर में उन्हें 83 हजार 105 वोट मिले हैं। कांग्रेस के धीरेन शाह को 80 हजार 8 और गोंडवाना के देवरावन भलावी को 28 हजार 23 वोट मिले हैं। कांग्रेस ने क्षेत्र के आदिवासी आस्था के केंद्र आचलकुण्ड को कैश कराने की रणनीति पर कार्य किया लेकिन सफलता बहुत नजदीक से उसके हाथ से निकल गई है। यदि कांग्रेस यहां सफल हो जाती तो छिन्दवाड़ा की राजनीति में सांसद ना सही किन्तु एक बार फिर प्रदेश की राजनीति में सात विधायको के साथ उसका दबदबा कायम रहता। किन्तु बाजी पलटकर भाजपा ने एक माह पहले ना केवल संसद में बल्कि अब उपचुनाव में मध्यप्रदेश की विधानसभा में भी छिन्दवाड़ा का प्रतिनिधित्व कायम करने में बड़ी सफलता हासिल की है।
छिन्दवाड़ा पर कांग्रेस गढ़ होने की छाप थी। लेकिन इस छाप पर अब भाजपा छापा मार रही है। कांग्रेस ने जहां लोकसभा चुनाव में छिंदवाड़ा की सीट गंवाई थी। वहीं अब जिले की अमरवाड़ा विधानसभा सीट भी उसके हाथ से निकल गई है। दरअसल यहां कांग्रेस के विधायक रहे कमलेश शाह ने बड़ी रिस्क ली थी। उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान अपना विधायक पद से इस्तीफ़ा देकर कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे। उनके त्यागपत्र से ही रिक्त अमरवाड़ा सीट में उप चुनाव हुए है। जिसमे भाजपा ने उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया था। और अब वे भाजपा के निर्वाचित विधायक बन गए हैं। प्रदेश में भाजपा की डॉ मोहन यादव सरकार में उनके मंत्री बनने की भी संभावना है।