माता- पिता के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचकर भाजपा प्रत्याशी विवेक बंटी साहू ने दाखिल किया नामांकन, छिन्दवाड़ा में मध्यप्रदेश का सबसे प्रतिष्ठापूर्ण चुनाव
30 अक्टूम्बर को "केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया" के साथ "नामंकन रैली और जनसभा प्रस्तावित

♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश-
छिन्दवाड़ा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के घोषित प्रत्याशी “विवेक बंटी साहू” ने सोमवार को मुहूर्त समय मे अपने “माता- पिता” के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचकर “नामांकन” दाखिल किया है। इस अवसर पर उनके साथ पिता नरेंद्र साहू, माता श्रीमती शशि साहू, विधानसभा संयोजक अलकेश लांबा सहित पदाधिकारी और कार्यकर्ता उपस्थित थे। 30 अक्टूम्बर को “केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की उपस्थिति में छिन्दवाड़ा जिला मुख्यालय में प्रस्तावित “नांमाकन रैली” में वे एक बार फिर “नामांकन” भरेंगे। विवेक बंटी साहू मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा प्रतिष्ठा वाला चुनाव लड़ेंगे। कांग्रेस के दिग्गज पूर्व मुख्यमंत्री सहित छिन्दवाड़ा से लगातार 9 बार सांसद रह कर 40 साल से भी ज्यादा का राजनीतिक अनुभव रखने वाले “कमलनाथ” के खिलाफ भाजपा ने उन्हें दूसरी बार मैंदान में उतारा है।
विवेक बंटी साहू ने “कमलनाथ” का मुकाबला साढ़े चार साल पहले हुए छिन्दवाड़ा विधानसभा के उपचुनाव में उस समय किया था जब “कमलनाथ” ने मुख्यमंत्री रहते हुए विधायक “दीपक सक्सेना” से इस्तीफा दिलाकर यहां से पहली बार ” विधायक” का चुनाव लड़ा था। यह वह मुकाबला था जिसमे “कमलनाथ” भी 9 बार “सांसद” रहने के बाद पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ने मैदान में उतरे थे और युवा विवेक साहू भी पहली बार विधानसभा के लिए चुनाव मैदान में आए थे। इस चुनाव में विवेक बंटी साहू को 88 हजार 622 और मुख्यमंत्री रहते हुए “कमलनाथ” को 1 लाख 14 हजार 459 वोट मिले थे। विवेक बंटी साहू यह उप चुनाव 25 हजार 837 वोट से हार गए थे। विवेक बंटी साहू यह चुनाव हार तो गए लेकिन छिन्दवाड़ा में एक “कार्यकर्ता” और एक “दिग्गज” के बीच का यह चुनाव पूरे प्रदेश में चर्चित रहा था।
चुनाव हारने के बाद “विवेक बंटी साहू” ने हार नही मानी बल्कि एक जनसेवक बनकर लगातार जनता के बीच सेवाओ में जुट रहे। इस दौरान कांग्रेस सरकार की विफलताओं को लेकर अनेक धरना- प्रदर्शन आंदोलन किए जनहित के अनेक मुद्दे उठाए। पार्टी की “आंतरिक गुटबाजी” का भी सामना किया और कांग्रेस की चुमौतियो का भी। इन्ही अनुभवों ने उन्हें “परिपक्व” नेता बतौर छिन्दवाड़ा में खड़ा कर दिया है। अब विरोधी चाहे कांग्रेस के हो या भाजपा के उनका “कद” देखकर दांतो तले उंगलियां दबाने को मजबूर है।
जनता की सेवा सहित अपना तन- मन – धन ,समय श्रम ,नीति – रणनीति से पार्टी का उन्होंने छिन्दवाड़ा में “कलेवर” ही बदलकर रख दिया है। भाजपा की राजनीति में वे अब छिन्दवाड़ा के “क्षत्रप” है और जनता के बीच खासे “लोकप्रिय” है। अपना राजनीतिक सफर उन्होंने भारतीय जनता युवा मोर्चा का “जिला अध्यक्ष” बनकर किया था। वे युवा मोर्चा के ऐसे पहले अध्यक्ष भी है जिन्हें पार्टी ने पार्टी का “जिला अध्यक्ष” भी बनाया। जिला अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने हजारो युवाओ को पार्टी से जोड़कर पार्टी को विस्तार दिया है। पार्टी के “जिला कार्यालय” का भी “हाईटेक” बनाया है। कोरोना काल में उनकी सेवाओ को हर कोई याद करता है। जरूरतमंदों तक “राशन” भेजना हो या दवाइया या बंन्द “ऑक्सीजन प्लांट” को शुरू कराना उनकी राजनीतिक साख और कद में बड़ा इजाफा करने वाले साबित हुए हैं।
दूसरी बड़ी बात यह है कि भाजपा छिन्दवाड़ा में कांग्रेस के दिग्गज “कमलनाथ” के खिलाफ “मुखर नही थी। भाजपा जिला अध्यक्ष बतौर उन्होंने छिन्दवाड़ा में कमलनाथ को विकास, परिवारवाद,रोजगार, उद्योग, रेलवे, कोयला खदान शिक्षा, स्वास्थ्य, सिंचाई ,आदिवासी हित, महिला हित से लेकर जनकल्याण के अनेक मुद्दों पर घेरकर सीधे टक्कर ली है। जिसका परिणाम है कि पार्टी ने उन्हें छिन्दवाड़ा में भरोसे के साथ एक बार फिर कांग्रेस के दिग्गज “कमलनाथ” के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा है। पार्टी चाहती तो दिग्गज के खिलाफ दिग्गज भी मैदान में उतार सकती थी किन्तु भाजपा कार्यकर्ता आधारित पार्टी है और केवल कार्यकर्ताओ पर भरोसा रखती हैं। यह बात भी ” विवेक बंटी साहू” ने अपने कार्यो से प्रमाणित की है।
इसमे कोई दो मत नही है कि मध्यप्रदेश की 230 विधानसभा सीट में सबसे प्रतिष्ठा का चुनाव छिन्दवाड़ा सीट में ही होने जा रहा है। कांग्रेस भले ही विवेक बंटी साहू को “कमलनाथ” के मुकाबले में हल्का माने मगर भाजपा के लिए वे किसी “दिग्गज” और “क्षत्रप” से कम नही है। पार्टी के छिन्दवाड़ा में सात सीटो पर लिए गए फैसलों को देखा जाए तो इस बात को समझा जा सकता है कि भाजपा छिन्दवाड़ा में “हाई रिस्क” में नई रणनीति के साथ नये सफर पर है।