छिन्दवाड़ा लोकसभा : मध्यप्रदेश की पांच सीटों के साथ छिन्दवाड़ा का भी फैसला, युवा प्रत्याशी आजमाने की रणनीति पर भाजपा
दौड़ में शामिल छिन्दवाड़ा के सीनियर और युवा नेता
Chhindwara politics लोकसभा चुनाव – 2024
मुकुन्द सोनी ♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश-
भाजपा छिन्दवाड़ा लोकसभा प्रत्याशी का नाम चुनाव आयोग के चुनाव कार्यक्रम घोषित होने से पहले कर देगी। छिन्दवाड़ा के प्रत्याशी का नाम मध्यप्रदेश की उन पांच लोकसभा सीट के साथ होगा जहां के सांसद अब विधायक बन गए हैं। इनमे जबलपुर, मुरैना, होशंगाबाद, सीधी, दमोह शामिल हैं। प्रत्याशी चयन को लेकर रायशुमारी के बाद अब पार्टी मंथन के दौर में है। प्रत्याशी की घोषणा केंद्रीय चुनाव समीति करेगी। प्रत्याशी घोषणा से पहले छिन्दवाड़ा को लेकर पार्टी किसी चेहरे के गणित में है ना ही वोटरों के गणित में केवल और केवल जीत के लक्ष्य के आधार पर नाम तय होगा। पार्टी की बदली रणनीति में युवा चेहरे पर ही खासा जोर दिया जा रहा है। माना जा रहा है कि केंद्रीय समीति मार्च माह के पहले सप्ताह में ही मध्यप्रदेश की इन छह सीटों के प्रत्याशी के नामो पर मोहर लगा देगी।
लोकसभा चुनाव को लेकर पार्टी की जो रणनीति है उसमें युवा चेहरों को मौका देने की बात कही जा रही है। पार्टी में दावा और दावेदार की कोई परम्परा है ना एप्रोच की ना ही तूती बोलने वालो का ही कोई वजन नजर आता है। ना ही सीनियर – जूनियर का कोई महत्व रह गया है। पार्टी के फैसले पर ही चुनाव लड़ा जाता है। पार्टी लोकसभा में किसे उम्मीदवार बनाने जा रही है यह अभी किसी को पता ही है ना ही कोई कह सकता है कि मेरा टिकट कन्फर्म है। विधानसभा चुनाव में परिणाम ना मिलने के कारण छिन्दवाड़ा सीधे पार्टी के केंद्रीय और प्रदेश नेतृत्व के कमांड में है।
विधानसभा चुनाव में भाजपा की करारी हार के बाद गुटबाजी की शिकायत पार्टी के प्रदेश से लेकर केंद्रीय संगठन तक पहुंची है। छिन्दवाड़ा में भाजपा विधानसभा की सात में से सात सीट हार गई एक सीट भी नही निकाल पाई जिससे लोकसभा कमलनाथ का और विधानसभा सीट भी कांग्रेस के स्थानीय नेताओं का गढ़ हो गई है।पार्टी ने गुटबाजी को ही हार का बड़ा कारण माना है। इस वजह से लोकसभा के लिए पार्टी स्थानीय या दिग्गज के फेर में भी उलझी है।साथ ही छिन्दवाड़ा से ऐसे चेहरों का भी फीडबैक लिया जा रहा है जो गुटबाजी से दूर जिले भर में समन्वय रखते हैं।
सीनियर और युवा नेता लगा रहे जोर…
छिन्दवाड़ा में लोकसभा चुनाव के लिए सीनियर लीडर ही नही युवा नेता भी जोर लगा रहे हैं। चौधरी चंद्रभान, संतोष जैन नत्थन शाह, कन्हई राम रघुवंशी ,रमेश दुबे,शेषराव यादव डॉ गगन कोल्हे विवेक साहू , योगेन्द्र प्रताप राणा इस दौड़ में है। चंद्रभान सिंह छिन्दवाड़ा से तीन बार और संतोष जैन , नत्थन शाह एक – एक बार लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। चंद्रभान सिंह छिन्दवाड़ा से चार बार के विधायक रह चुके हैं। प्रदेश शासन में मंन्त्री रहने के साथ ही छिन्दवाड़ा से तीन बार लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं। उन्होंने पहला लोकसभा चुनाव वर्ष 1991 में दूसरा 1996 में लड़ा था। इस चुनाव में कांग्रेस से अल्कानाथ सांसद चुनी गई थी। इसके बाद मोदी फेक्टर के साथ 2014 के चुनाव में भी पार्टी ने चौधरी चंद्रभान को ही उम्मीदवार बनाया था।
संतोष जैन ने वर्ष 1999 में पार्टी टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा था। इसके बाद वे बतौर सीनियर लीडर वस्त्र निगम, महाकौशल विकास प्राधिकरण और पर्यटन विकास निगम में उपाध्यक्ष भी रहे हैं। जुन्नारदेव के पूर्व विधायक नत्थन शाह को पार्टी ने पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में टिकट दिया था। तीनो नेता सीनियर लीडर की कैटेगरी में आते हैं किंतु लोकसभा में पार्टी को सफलता ना दिला पाने का तमगा इन पर लगा हुआ है। चौथे सीनियर लीडर कन्हई राम रघुवंशी है। वे तीन बार पार्टी के जिला अध्यक्ष रहे हैं। लगातार दो बार नगर पालिका छिन्दवाड़ा के अध्यक्ष भी चुने गए हैं। उन्हें अब तक विधानसभा चुनाव लड़ने का मौका मिला है ना ही लोकसभा चुनाव का। पांचवे सीनियर लीडर रमेश दुबे है जो इस बात के इंतजार में है कि पार्टी ने विधानसभा में टिकट नही दिया है तो अब लोकसभा का टिकट देगी। रमेश दुबे पार्टी के जिला अध्यक्ष भी रह चुके हैं।शेषराव यादव छिन्दवाड़ा लोकसभा के संयोजक है। कृषि उपज मंडी के अध्यक्ष भी रहे हैं। दावा नही करते हैं लेकिन पार्टी आदेश हो तो मैदान में आने को तैयार है। डॉ गगन कोल्हे संघ के प्रचारक है।
छिन्दवाड़ा के अब तक के लोकसभा चुनाव पर नजर डाली जाए तो छिन्दवाड़ा में ना एमरजेंसी का असर हुआ ना राम लहर का ना ही मोदी लहर का। छिन्दवाड़ा पार्टी के लिए बड़ी चुनोती बना हुआ है। लेकिन अब लगता है कि समीकरण बदल गए हैं। पार्टी की केंद्र और राज्य सरकार की नीति और योजनाओ ने घर – घर तक दस्तक दी है। ऐसे में पार्टी अब सफलता की पूरी गारंटी ही मानकर चल रही है। इस गारंटी में पार्टी युवाओ को मौका देकर आने वाली पीढ़ी तैयार करने की रणनीति पर है। जिसको लेकर पार्टी का जोर युवाओ पर है। युवा नामो में पार्टी के जिला अध्यक्ष विवेक साहू और भाजपा युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष योगेन्द्र प्रताप राणा के नामो की चर्चा है। इनमे विवेक साहू पार्टी के जिला अध्यक्ष है। पार्टी ने विवेक साहू को छिन्दवाड़ा विधानसभा में दो बार प्रत्याशी बनाया था किंतु तमाम दावों और केंद्र सहित प्रदेश का जबरदस्त सहयोग के बाद भी वे विधानसभा में ही सफल नही हो पाए। उनके रहते पार्टी में गुटबाजी का ग्राफ बढ़ते ही रहा और पार्टी साफ तौर पर सीनियर और जूनियर के बीच बट कर रह गई है। जिले में अभी भी भाजपा में ऐसा कोई नेता नहीं जो जिले का नेता हो और जिले भर में समन्वय रखता हो।
छिन्दवाड़ा में चल पड़ी है राणा के नाम की चर्चा..
योगेन्द्र प्रताप राणा भाजपा के युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष है। साफ सुथरी छवि है। गुटबाजी से कोसो दूर है। अपने युवाकाल से ही पार्टी का कार्य कर रहे हैं 15 साल पहले अपने रेसिडेंस क्षेत्र के पन्ना प्रभारी थे। अब युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष है।। अपने कार्यो से केंद्रीय और प्रदेश के नेताओ से लेकर पी एम ओ की नजर में भी है।पढ़े – लिखे हैं। बी सी ए और एल एल बी किया है।नई सोच के नए नेता हैं। केंद्र सरकार से छिन्दवाड़ा के लिए फोर लेन हाइवे, फोर लेन रेलवे के साथ ही छिन्दवाड़ा से सागर रेल लाइन मांगी है। छिन्दवाड़ा की युवा राजनीति में लोकप्रियता के साथ अलग स्थान बनाया है। व्यावहारिक और नेतृत्व क्षमता के धनी है। छिन्दवाड़ा में नई पीढ़ी के साथ ही सीनियर नेताओ से भी उनका अच्छा तालमेल है। छिन्दवाड़ा युवा मोर्चा को पार्टी कार्यक्रमो के माध्यम से मध्यप्रदेश में नंबर वन बनाया है। नमो एप के मामले में तो योगेन्द्र राणा मध्यप्रदेश स्टेट के लाखों कार्यकर्ताओ में अब भी नंबर वन पोजिशन पर बने हुए हैं।
दूसरी बड़ी बात यह है कि पार्टी की रणनीति कांग्रेस के युवा सांसद नकुलनाथ के मुकाबले युवा नेता को उतारने की है। इस रणनीति में योगेन्द्र प्रताप राणा फिट बैठते हैं। वे लगातार छिन्दवाड़ा के मुद्दे उठाते हैं और नकुलनाथ से मुकाबले में व्यक्तित्व और भाषा के साथ ही भाषण में लाख गुना बेहतर माने जाते है। यह युवा नेता मोदी विज़न में छिन्दवाड़ा को ढालने का लक्ष्य रखता है। जिसको लेकर बड़ी संख्या में युवाओ को पार्टी कार्यक्रम से जोड़कर कार्य करता है। पार्टी की रीति – नीति और अनुशासन में रहकर जिले में एक नई पहचान बनाने में कामयाब रहा है।
भाजपा छिन्दवाड़ा को लेकर इस बात से भी हैरान हैं कि अब तक कोई भी स्थानीय नेता सांसद नही बन पाया है। पहली लोकसभा से 17 वी लोकसभा तक केवल 1997 के उपचुनाव का ही वह मौका था जब पूर्व मुख्यमंत्री सुंदर लाल पटवा कांग्रेस के दिग्गज कमलनाथ को हराकर सांसद बने थे लेकिन इसके 11 माह बाद हुए लोकसभा चुनाव में पटवा जी भी यह सफलता दोहरा नही पाए। पार्टी ने अब 18 वी लोकसभा के लिए पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी छिन्दवाड़ा से चुनाव मैदान में उतारने पर विचार किया है। किंतु कहा जा रहा है कि यह पैंतरा उस समय के लिए है जब कमलनाथ लोकसभा के लिए मैदान में उतरे। फिलहाल तो कांग्रेस ने उनके पुत्र सांसद नकुलनाथ को ही दोबारा मैदान में उतारने का फैसला किया है और नकुलनाथ स्वयं यह घोषणा भी कर चुके हैं कि वे छिन्दवाड़ा से पुनः लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे।