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सौसर से”नाना मोहोड़” और पांढुर्ना से “प्रकाश उइके” को विधानसभा का टिकट

छिन्दवाड़ा की सात में से दो सीट का फैसला, पांच सीट के लिए मंथन

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♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश-

विधानसभा चुनाव की तैयारी में भाजपा ने गुरुवार को प्रदेश की 39 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। इनमे छिन्दवाड़ा जिले की ” सात” सीट में से दो “सौसर”  में नाना मोहोड़ और “पांढुर्ना” में प्रकाश उइके उम्मीदवार बनाए गए हैं। इसके साथ ही पांच सीट छिन्दवाड़ा, चौरई, अमरवाड़ा, परासिया और जुन्नारदेव के लिए मंथन चल रहा है। माना जा रहा है कि केंद्रीय समीति की अगली बैठक में जिले की इन पांच सीट के लिए भी नाम तय होंगे।

भाजपा में ऐसा पहली बार हुआ है कि चुनाव से पहले ही पार्टी ने “उम्मीदवार” के नाम की घोषणा की है। यह सब कुछ चुनाव की रणनीति का बड़ा हिस्सा है। दरअसल पार्टी ऐसी सीट के उम्मीदवार पहले घोषित कर रही है जहां पिछले चुनाव में वह सफल नही हो पाई थी। ऐसी सीटो पर तैयारी का फोकस कुछ ज्यादा है।

जहां तक घोषित उम्मीदवारों की बात की जाए तो ” नाना मोहोड़” सौसर के लिए नया नाम नही बल्कि सौसर की राजनीति का बड़ा चेहरा है।”नाना” सौसर से दो बार विधायक रह चुके हैं। शिवराज मंत्रिमंडल में वे शिक्षा राज्य मंत्री भी रहे हैं।पिछला चुनाव वे कांग्रेस के विजय चौरे से हार गए थे। उन्हें मात्र 66 हजार 228 वोट मिले थे जबकि विजय चौरे को 86 हजार 228 वोट मिले थे। चूनाव में दोनों दलों के अलावा 20 प्रत्याशी मैदान में थे। अब “नाना” एक बाए फिर भाजपा की पहली पसंद है। उन्होंने सौसर विधानसभा क्षेत्र में नगरीय निकाय और पंचायत के चुनाव में इतना बेहतर परफार्म किया कि सौसर नगर पालिका में कांग्रेस का एक भी पार्षद नही है। पंचायत चुनाव में जिला पंचायत के तीन सदस्यो की जीत के साथ ही सौसर और मोहखेड जनपद में भी बहुमत के साथ उन्होंने भाजपा का अध्यक्ष बनवाया है।

पांढुर्ना विधानसभा क्षेत्र से भाजपा ने “प्रकाश उइके”को उम्मीदवार बनाया है। प्रकाश उइके दमोह जिले में “न्यायाधीश” थे। पिछले दिनों ही सर्विस छोड़कर उन्होंने भाजपा की सदस्यता ली है। समाजसेवा के क्षेत्र में वे लंबे समय से सक्रिय हैं। उनके चयन के पीछे एक बड़ा कारण यह भी है कि पांढुर्ना में भाजपा के पास “मारोत्त राव खवसे” के बाद से कोई चमकदार चेहरा नही था। पांढुर्ना सीट के आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित होने के बाद से वे चुनाव  नही लड़ सके लेकिन पार्टी में अब भी सक्रिय हैं। यह सीट उनकी दम पर पार्टी के पास ही थी। जब राम राव कवडेती यहां के प्रथम आदिवासी  विधायक बने थे।

इसके बाद पांढुर्ना में गोंडवाना का प्रभाव भी  बढ़ा  था तब कांग्रेस नेता  कमलनाथ ने तोड़ – फोड़ कर गोंडवाना के जतन उइके को पार्टी में लाया  था और चुनाव मैदान में उतारकर भाजपा से यह सीट छींन ली। इसके बाद जतन उइके को भी कांन्ग्रेस ने  साइड लाइन कर दिया था।  तीसरे चुनाव में  कांग्रेस ने पांढुर्ना को छोड़ मोहखेड क्षेत्र के कार्यकर्ता  नीलेश उइके को टिकिट दी थी। इस चुनाव में  भाजपा के  पूर्व विधायक राम राव के बागी होने से पार्टी केअधिकृत  उम्मीदवार   टीकाराम कोराची  चुनाव हार गए थे । चुनाव हारने के बाद कोराची पांढुर्ना की राजनीति में सर्क्रिय नही रहे। पांढुर्ना में  नेतृत्व के लिए भाजपा को नए चेहरे की तलाश थी। जिसके लिए भाजपा ने पढ़े- लिखे ,न्यायधीश रह चुके समाजसेवी प्रकाश उइके का चयन किया है।  अब वे पांढुर्ना में जमकर सक्रिय हैं।


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