पातालकोट की भारिया जनजाति के प्रतिनिधि मण्डल को मिला महामहिम से राष्ट्रपति भवन में मिलने का मौका
पातालकोट के 12 गांवो के चयनित 21 भारिया प्रतिनिधि पहुंचे दिल्ली

राष्ट्रपति भवन के साथ ही देश के नए संसद भवन का भी करेंगे दीदार ..
♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश-
छिन्दवाड़ा का पातालकोट आदिकाल से अस्तित्व में है और आदिकाल से यहां के 12 गांवो में भारिया जंन जाति निवास कर रही है। भारिया उत्थान के लिए केंद्र सरकार ने भारिया जाति को विशेष अनुसूची में रखा है और प्रदेश की सरकार ने भारिया जंन जाति विकास प्राधिकरण बनाया है। पातालकोट के गांवो तक बिजली ,पानी , स्कूल , छात्रावास ,राशन ,स्वास्थ्य केंद्र जैसी सुविधाएं पहुंच चुकी है । केंद्र की सरकार ने 88 वर्ग किलोमीटर का पूरा पातालकोट ही भारिया जंन जाति को समर्पित कर दिया है। अब यहां रहने वाली भारिया जंन जाति को सीधे देश की महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से से राष्ट्रपति भवन में मिलने का मौका भी मिल रहा है। भारिया जंन जाति के लिए आजाद भारत मे यह पहला मौका है कि वे देश की सर्वोच्च सत्ता से मुलाकात करेंगे।
देश की पहली जनजातीय महिला राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से मुलाकात के लिए छिन्दवाड़ा के पातालकोट के 21 भारिया प्रतिनिधियों को मध्यप्रदेश की विशिष्ट पिछड़ी जनजाति के प्रतिनिधि मण्डल के साथ दिल्ली ले जाया गया है। उनके साथ जनजातीय विभाग के अधिकारी भी है जिन्हें भी महामहिम राष्ट्रपति से मिलने का मौका मिलेगा। इस प्रतिनिधि मंडल में भारिया जनजाति की चयनित 13 महिलाए और 8 पुरुष शामिल हैं।भरियाओ के लिए भी यह पहला मौका है कि वे तीन हजार फीट की गहराई में बसे पातालकोट से बाहर निकलकर देश की राजधानी दिल्ली में राष्ट्रपति भवन सहित नई संसद का दीदार करेंगे।
जनजातीय विभाग के असिटेंट कमिश्नर सत्येंद्र मरकाम ने बताया कि देश की महामहिम राष्ट्रपति से मुलाकात के लिए मध्यप्रदेश की विशिष्ट पिछड़ी जनजाति की 13 महिलाओं सहित 65 प्रतिनिधियो का समूह दिल्ली पहुंच चुका है।
इनमे मध्यप्रदेश की विशिष्ट पिछड़ी जनजाति पी.वी.टी.जी.के 65 प्रतिनिधि सोमवार 12 जून 2023 को राष्ट्रपति भवन, नवनिर्मित संसद भवन और अमृत उद्यान के भ्रमण करेंगे । राष्ट्रपति भवन में आयोजित होने वाले विशिष्ट पिछड़ी जनजाति सम्मेलन में शामिल होंगे। इसमें मध्यप्रदेश की बैगा जनजाति के 24, सहरिया के 20 और भारिया के 21 प्रतिनिधि हैं जिनमें 13 महिलाएं भी शामिल हैं। इन प्रतिनिधियों को देश की पहली महिला जनजातीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के मिलने का मौका मिलेगा। यह कार्यक्रम कर्तव्य पथ स्थित डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित होगा। देशभर से आए लगभग 1456 जनजातीय बंधुओं के लिए यहां भोज भी आयोजित किया गया है।
कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के बैगा समुदाय की परधौनी नृत्य प्रस्तुति होगी। साथ ही बिहार, गुजरात, केरल, राजस्थान और ओड़िशा के जनजातीय बंधु भी अपनी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देंगे। इस विशेष प्रवास कार्यक्रम का आयोजन भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय ने आयोजित किया है। मध्यप्रदेश के लिए यह प्रवास जनजातीय कार्य विभाग के विशिष्ट पिछड़ी जनजाति प्रभाग के समन्वय से संभव हो पाया है। प्रमुख सचिव जनजातीय कार्य, मध्यप्रदेश शासन डॉ. पल्लवी जैन गोविल ने कहा कि यह आयोजन देश व मध्यप्रदेश के जनजातीय गौरव और सांस्कृतिक पहचान को आगे बढ़ाने की दिशा में स्वर्णिम पहल है।
राष्ट्रपति को भेंट करेंगे छिन्दवाड़ा के छींद का मुकुट …
मध्यप्रदेश के छिन्दवाड़ा जिले का नाम छिन्दवाड़ा यहां छींद के वृक्षो की बाहुल्यता के कारण पड़ा है। पातालकोट के विशिष्ट पिछड़ी जनजाति भारिया के निवासियों ने राष्ट्रपति के लिए यहां की विशिष्टता में राष्ट्रपति के लिए छींद के वृक्ष की पत्तियों का विशेष मोर-मुकुट बनाया है जो उन्हें राष्ट्रपति भवन में भेंट किया जाएगा साथ ही वे पातालकोट की कंदराओं में पाए जाने वाली 24 तरह की दुर्लभ व विशिष्ट जड़ी-बूटी एवं खाद्य सामग्री भी राष्ट्रपति को उपहार में देंगे। इसमें पातालकोट का प्राकृतिक शहद, अचार, चिरौंजी, गुल्ली, महुआ, बल्हर बीज, हर्रा, सवॉ, कुटकी और गुठली आम शामिल है।
दिल्ली में गूंजेगा भरिया गीत ‘पातालकोट वासी है ..
छिंदवाड़ा के पातालकोट की विशिष्ट पिछड़ी जनजाति भारिया के बंधुओं ने इस कार्यक्रम के लिए ‘पातालकोटवासी है आदिवासी. है , ‘बारह गांव घूमना गारे…’ और ‘धीरे-धीरे जाइस दूधी नदी…’ गीत भी तैयार किया है जिसे वे महामहिम राष्ट्रपति को सुनाएंगे। राष्ट्रपति भवन के सेंट्रल लॉन में राष्ट्रपति महोदया के साथ प्रदेश के इन जनजातीय बंधुओं को भोज एवं फोटो खिंचवाने का अवसर भी मिलेगा।
इस विशिष्ट जनजातीय सम्मेलन के दो दिवसीय प्रवास में मध्यप्रदेश के 14 विशिष्ट जनजाति बाहुल्य जिले छिन्दवाड़ा, ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, दतिया, अशोकनगर, मुरैना, श्योपुर, बालाघाट, अनूपपुर, शहडोल, उमरिया, डिंडौरी और मंडला के जनजातीय बंधु शामिल हैं।