छिन्दवाड़ा के नर्सिंग महाविद्यालयों में फर्जीवाड़ा, सी बी आई की टीम कर रही जांच
हाई कोर्ट के आदेश पर आई टीम, खंगाले रिकॉर्ड, किया भौतिक सत्यापन, कोर्ट में पेश होगी रिपोर्ट
♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश-
निजी नर्सिंग महाविद्यालयों में जमकर फर्जीवाड़ा महाविद्यालयों की ना स्वयं की बिल्डिंग है ना ही और ना ही छात्रावास। प्रयोगशाला से लेकर जरूरी संसाधन भी कालेज में नही है। इसके बावजूद नर्सिंग सहित लैब टेक्नीशियन और अन्य पाठ्यक्रमो में छात्र- छात्राओं को प्रवेश देकर उनसे फीस के नाम पर लाखों रुपए लिए जा रहे हैं। इसके अलावा मान्यता और छात्रवृत्ति में भी बड़ा घोटाला बताया गया है। हजारो की संख्या में स्टूडेंट इन फर्जी कालेज के फर्जीवाड़े में उलझे है। उनका समय और रुपया के साथ ही भविष्य भी बर्बाद हो रहा है।
अब हाई कोर्ट के आदेश पर मध्यप्रदेश में ऐसे 55 कालेज की जांच हो रही है। जाँच के आदेश सी बी आई को दिए गए हैं। पिछले तीन दिन से सी बी आई की टीम छिन्दवाड़ा जिले में संचालित निजी नर्सिंग महाविद्यालयों की जांच कर रही है। अब तक सी बी आई की टीम छिन्दवाड़ा में एस के कालेज काराबोह ,एन आई, ओरियंटल सहित अन्य कालेज में पहुँचकर जांच कर चुकी है। टीम अभी छिन्दवाड़ा में ही है और जिले में संचालित अन्य कालेज में भी जाएगी।
दरअसल यह जांच हाई कोर्ट जबलपुर के आदेश से हो रही है। मामला यह है कि मध्यप्रदेश नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल ने प्रदेश में 55 निजी नर्सिंग कालेज को मान्यता देने में बड़ा फर्जीवाड़ा किया है। इसको लेकर कोर्ट के आदेश पर सरकार ने रजिस्टार को निलंबित भी किया है और सत्र 2021-22 के बाद से काउंसिल ने परीक्षा का आयोजन भी नही किया है। नर्सिंग कालेज में फर्जीवाड़ा को लेकर हाई कोर्ट में दायर याचिका में लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन ने फर्जी तरीके से नर्सिंग कालेज संचालित होने को चुनौती दी है। . याचिका में कहा गया है कि शैक्षणिक सत्र 2020-21 में प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में 55 नर्सिंग कॉलेज को मान्यता दी गई है। इन कालेज की वास्तविकता यह है कि ये कॉलेज सिर्फ कागज में संचालित हैं. अधिकांश कॉलेज की निर्धारित स्थल में बिल्डिंग तक नहीं है। कुछ कॉलेज सिर्फ चार-पांच कमरों में संचालित हो रहे हैं। कॉलेज में प्रयोगशाला सहित अन्य आवश्यक संसाधन उपलब्ध नहीं है। बिना छात्रावास ही कॉलेज का संचालन किया जा रहा है।
याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया था कि एक ही व्यक्ति कई नर्सिंग कॉलेज के प्रिंसिपल और मालिक हैं। फैक्टली भी अगल-अलग कॉलेज में कार्यरत है। इसके अलावा माइग्रेट और डुप्लीकेट फैक्लटी के मामले भी है। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने मप्र नर्सिंग राजिस्ट्रेशन काउंसिल के रजिस्टार को तत्काल निलंबित कर प्रशासक नियुक्त करने के आदेश सरकार को दिए थे। जिस पर सरकार ने रजिस्ट्रार और प्रशासक को हटा दिया था।
तीन माह पहले हाई कोर्ट जबलपुर के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने प्रदेश के सभी नर्सिंग कॉलेज की सीबीआई जांच कराने के आदेश के साथ तीन माह का समय दिया था। सी बी आई को अब हाई कोर्ट में 55 नर्सिंग कालेज की जांच रिपोर्ट पेश करना है। इसको लेकर सी बी आई टीम कालेज का रिकार्ड सहित भैतिक सत्यापन कर रिपोर्ट तैयार कर रही है।
जहा तक सवाल छिन्दवाड़ा का है तो निजी क्या मेडिकल कालेज तक भी नर्सिंग की परीक्षा नही करा पाया है। बड़ी संख्या में छात्राओं ने मेडिकल कालेज में प्रवेश ले रखा है लेकिन क्या निजी क्या सरकारी नर्सिंग के नाम पर तीन साल से केवल फीस उगाही चल रही है। यहां बिना वार्षिक परीक्षा के ही छात्राओं को फर्स्ट, सेकेण्ड और थर्ड ईयर में बताया जा रहा है।