पी आई यू की लेट -लतीफी से अब तक नही बना छिन्दवाड़ा में नेशनल म्यूजियम, सेंट्रल और स्टेट के अधिकारियों ने जताई नाराजी
चार साल में भी पूरा नही छिन्दवाड़ा में आदिवासी बादल भोई म्यूजियम का कार्य

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हाथों प्रस्तावित था लोकार्पण का कार्यक्रम
मुकुन्द सोनी छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश –
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के 19 मार्च के प्रस्तावित छिंदवाड़ा दौरे के साथ ही आदिवासी विकास विभाग के सेंट्रल और स्टेट के वरिष्ठ अधिकारियों की टीम भी छिन्दवाड़ा आ गई है छिन्दवाड़ा आदिवासी बाहुल्य जिला है स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बादल भोई की जन्म स्थली है औऱ यहां उनके नाम से राष्ट्रीय संग्रहालय बन रहा है इसके अलावा देवगढ़ और पातालकोट भी है जो आदिवासियों की पहचान माने जाते हैं केंद्र सरकार ने पातालकोट को धरोहर घोषित कर यहां के भारिया आदिवासियों को ही पातालकोट का मालिक बना दिया है इसके अलावा देवगढ़ किले को भी पर्यटन स्थल घोषित कर दिया है केंद्र सरकार ने ही छिन्दवाड़ा के बादल भोई आदिवासी संग्रहालय को राष्ट्रीय संग्राहालय का दर्जा दिया है यहां विकास के नाम पर सरकार ने करोड़ो का बजट दे रखा है कार्यक्रम तो था कि केंद्रीय मंत्री के छिन्दवाड़ा आगमन पर बड़े कार्यक्रम बतौर उनके हाथो इस राष्ट्रीय संग्रहालय का लोकार्पण होता किन्तु अभी तक भवन बनकर भी तैयार नही हो पाया है डेवलपमेंट के अनेक कार्य अधूरे है 6 माह पहले भी केंद्र सरकार के अधिकारी म्यूजियम के निरीक्षण पर आए थे और निर्देश दिए थे कि मार्च तक हर हाल में कार्य पूरा हो जाना चाहिए किन्तु अब भी हालात लोकार्पण लायक नही है केंद्रीय मंत्री अमित शाह छिन्दवाड़ा आकर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बादल भोई की जन्म स्थली परासिया के ग्राम तीतरा भी जाने वाले हैं
शुक्रवार को मध्यप्रदेश आदिवासी विकास विभाग की प्रमुख सचिव पल्लवी जैन, केंद्रीय विभाग के सँयुक्त सचिव डॉ नवल कपूर ,सचिव अनंत कुमार झा ,आदिवासी रिसर्च सेंटर की सोनिया मीणा , रीता सिंह छिन्दवाड़ा पहुँची थी उन्होंने कलेक्टर शीतला पटले के साथ म्यूजियम का दौरा किया यहा बन रहे भवन को देखकर कार्य की लेट -लतीफी पर नाराजगी जताई है अधिकारियों ने आदिवासी विकास विभाग की ही वन्या टीम को म्यूजियम डेवलपमेंट के कार्य शीघ्रता से पूरा करने कहा है अधिकारियों ने म्यूजियम भवन के कार्य को देखकर कहा कि पानी की तरह रुपया बहा दिया है फिर भी कार्य संतोष जनक नही है भवन में अब तक 18 करोड़ का मेगा बजट व्यय हो चुका है और करीब 15 करोड़ के कार्य और होना है संग्रहालय का यह प्रोजेक्ट करीब 34 करोड़ का है जिसमे अकेले 22 करोड़ केवल बिल्डिंग के लिए है इसमे म्यूजियम सामग्री प्रदर्शन के लिए आठ गैलरी ,सेंट्रल हाल ,आर्ट गैलरी ,ग्रन्थालय ,बगीचा, केम्पस सहित अनेक निर्माण संग्रहालय के तय मानक पर होना है
करीब 14 एकड़ भूमि में यह आदिवासी म्यूजियम है जो पहले राज्य स्तरीय संग्रहालय था चार साल पहले केंद्र सरकार ने इसे राष्ट्रीय संग्रहालय का दर्जा देकर डेवलपमेंट के लिए 34 करोड़ का प्रोजेक्ट दिया है किंतु कार्य की मंथर गति के चलते यह चार साल में भी बनकर तैयार नही हो पाया है अब तक इस म्यूजियम में मध्यप्रदेश के बेगा , सहरिया ,और भारिया आदिवासी की ही परम्परा ,रहन -सहन ,रीति -रिवाज का संग्रहण था नए प्रोजेक्ट में देश के प्रायः हर राज्य की आदिवासी संस्कृति का यहाँ संग्रहण होना है इसके अलावा देश के स्वंत्रता संग्राम में योगदान देने वाले आदिवासी योद्धाओं के स्टेचू भी बनना है इस अवसर पर आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त सत्येंद्र मरकाम ,सहायक संचालक उमेश सातनकर सहित निर्माण एजेंसी के अधिकारी उपस्थित थे सेंट्रल और स्टेट के छिन्दवाड़ा आए अधिकारी म्यूजियम के निरीक्षण के बाद देवगढ़ के लिए रवाना हुए है अधिकारी कल पातालकोट और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बादल भोई की जन्म स्थली तीतरा गांव भी जाएंगे