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तनाव से दूर रहना है, तो माफ करने की आदत डालें
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समय के साथ सीखा व्यवहार है चरित्र
व्यक्ति के जीवन का निर्माण नैतिक चरित्र और सिद्धांतों पर टिका होता है । चरित्र हमें जन्म से ही प्राप्त नहीं होता है। ये समय के साथ सीखा व्यवहार है। व्यक्ति मुसीबत के समय ही चरित्र-निर्माण नहीं करता बल्कि वह तो कहीं पहले से हो रहा होता है। मुसीबत के दौरान तो वो अपनी तैयारी का प्रदर्शन करता है।
माफ न करने से तनाव
आप सकारात्मक, आशावादी, उल्लासित तब हो सकते हैं जब माफ करना आपकी आदत बन जाता है। इसके विपरीत माफी से इंकार करने से नाकामी, नकारात्मकता, गुस्सा, तनाव, बेचैनी होती है। माफ न करके आप खुद को कैद करते हैं। माफी आपको आजाद करती है।
भविष्य के बारे में अच्छा सोचें
आप कामयाब होने की उम्मीद रखते हैं, तो कामयाब होंगे। आप अपनी उम्मीदों और भविष्य के बारे में अपने द्वारा इस्तेमाल शब्दों से ही जान सकते हैं। भविष्य के बारे में हमेशा सकारात्मक सोचें और बोलें। हर सुबह की शुरुआत इन शब्दों से करें कि मुझे यकीन है मेरे साथ आज अच्छा ही होगा।
अपने अंदर पैदा करें विनम्रता
विनम्रता या तो स्वाभाविक तौर पर आती है या धीरे-धीरे जतन करने से अपने अंदर पैदा की जा सकती है। जब व्यक्ति सोचता है कि जो कुछ उसे मिला है वो उसकी योग्यता से कहीं ज्यादा है, तो इस भावना को विनम्रता कहा जाता है। जब आप विनम्र होने का ढोंग करते हैं, तो आप इसे खो बैठते हैं।