Chhindwada Politics – मतदान के दिन महापौर ने भाजपा से किया धोखा, स्वामी भक्ति का वीडियो किया वाइरल
विक्रम अहके ने पूर्व सी एम कमलनाथ और सांसद नकुलनाथ के प्रति जताई निष्ठा
♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश –
छिन्दवाड़ा में मतदान के दिन नगर निगम महापौर विक्रम अहके पलटी मार गए हैं। उन्होंने एक अप्रैल को ही कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामा था किंतु मतदान के दिन पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और सांसद नकुलनाथ के प्रति निष्ठा जताते हुए कांग्रेस को मतदान करने का वीडियो जारी किया है। दरअसल नगर निगम के दर्जन भर कांग्रेस पार्षद भी भाजपा में शामिल हुए हैं।। इसके बाद नगर निगम में कांग्रेस अल्पमत में है। ऐसे में महापौर की कुर्सी को भी खतरा है। अपनी कुर्सी बचाने वे भाजपा में शामिल हुए थे लेकिन अब कुर्सी की चिंता छोड़ते हुए उन्होंने कहा है कि मैं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की वजह से ही इस मुकाम पर हूँ। आज उनके प्रति निष्ठा नही दिखाई तो जिंदगी भर मन में घुटन रहेगी।
मतदान के दिन पलटी मार राजनीति क्या प्लांटेड थी। इसको लेकर राजनीतिक गलियारों में तरह – तरह की चर्चाएं है कि कांग्रेस में जा रहे नेताओ की भाजपा के प्रति निष्ठा को चुनाव में मतदान से पहले इस कदम से अचानक अविशवास के दायरे में लाने कांग्रेस ने ” “महापौर” को यूज किया है। लगता है कि पहले उन्हें भाजपा में भेजा गया और फिर मतदान के दिन कांग्रेस से भाजपा में गए नेताओ के प्रति अविशवास पैदा करने यह वीडियो जारी कराया गया है। महापौर विक्रम अहके भले ही कितनी ही सफाई दी लेकिन कांग्रेस में कठपुतली से ज्यादा कुछ नही है। वे खुद कह रहे हैं कि पूर्व सी एम कमलनाथ ने उन्हें वेटर से मेयर बनाया है तो उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए था कि लोकतंत्र है। चुनाव में किसी न किसी को प्रत्याशी बनाना पार्टी का काम है। उन्हें मेयर छिन्दवाड़ा नगर की जनता ने चुना है ना कि पूर्व सी एम कमलनाथ ने । पूर्व सी एम ने तो केवल मेयर पद का प्रत्याशी चुना था। मेयर बनने के बाद वे नगर की जनता के प्रति जवाबदार है ना कि पूर्व सी एम कमलनाथ की स्वामी भक्ति के।
उनके रूलिंग पार्टी का दामन थामने से नगर वासियो को लगा था कि कांग्रेस की सरकार नही है तो नगर का विकास कैसे होगा। उनका भाजपा में ही जाना ठीक है। लेकिन इस कदम से अब तो महापौर की स्थिति घर के ना घाट के वाली हो गई है।
हालाकि उनके इस कदम का कांग्रेस ने अभी स्वागत किया है ना भाजपा ने विरोध। संसदीय क्षेत्र में मतदान में दोनो दलों के नेता व्यस्त हैं। इस बारे में स्वयं विक्रम अहके ने “मेट्रो सिटी मीडिया” से चर्चा में कहा कि मेरा यह कदम पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और सांसद नकुलनाथ के प्रति निष्ठा है। उन्होंने ही मुझे इस मुकाम तक पहुंचाया है। भाजपा में शामिल होने के बाद असहज महसूस कर रहा था।
उन्होंने कहा कि मैं नही जानता कि आगे मेरे साथ क्या होगा। हो सकता है मुझे महापौर पद से हटा भी दिया जाए किन्तु आज का ही दिन था निष्ठा दिखाने का नही तो मैं जिंदगी भर घुटन में रहता। मुझे कुर्सी की चिंता नही है।
गौरतलब है कि करीब दो साल पहले हुए नगर निगम चुनाव में कांग्रेस ने आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित महापौर पद के लिए विक्रम अहके को उम्मीदवार बनाया था।। भाजपा के अनंत धुर्वे को पराजित कर वे महापौर बने थे। भाजपा की सरकार के रहते नगर निगम के हालात बिना बजट खस्ता हाल है। अब तक नगर के लिए वे कुछ कर भी नही पाए है। कांग्रेस पार्षदो के भाजपा में शामिल होने के बाद वे भी एक अप्रैल को भोपाल में भाजपा में शामिल हो गए थे कि उनकी कुर्सी पर आया खतरा टल जाएगा औरर नगर निगम को नगर विकास के लिए चुनाव के बाद बजट भी मिल सकेगा। मगर समस्या का समाधान निकालने के बाद वे फिर समस्या में ही फस गए हैं।