छिन्दवाड़ा नगर निगम ने प्रधानमंत्री आवास योजना में किया धोखा, गरीबो की जगह बना दिए अमीरों के मकान
22 लाख से लेकर 34 लाख में बेचे एक - एक मकान
मुकुन्द सोनी ♦ छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश –
भ्र्ष्टाचार में आकंठ डूबे छिन्दवाड़ा नगर निगम ने प्रधानमंत्री आवास योजना को भी नही छोड़ा है। योजना के नाम पर निगम ने सोनपुर इमलीखेड़ा और परतला में आवासीय प्रोजेक्ट बनाया है। यहां एक – एक मकान 22 लाख से 34 लाख में बेचा है। प्रधानमंत्री तो गरीबो को आवास उपलब्ध कराने ढाई लाख रुपया देते हैं। ताकि गरीब का मकान बन सके। ऐसा तो उन्होंने कभी कहा नही कि 22 से 34 लाख में मकान बनाकर बेचो। प्रधानमंत्री आवास योजना में ऐसा कोई उल्लेख और प्रावधान भी नही है कि रिच वर्ग के लिए मकान बनाए जाए। फिर पी एम के नाम पर छिन्दवाड़ा नगर निगम ने यह यह कैसा आवासीय प्रोजेक्ट बनाया है। जिसमे गरीबो की जगह अमीरों का भला किया जा रहा है। जो 22 से 34 लाख में मकान खरीद रहे हैं वे तो प्लाट लेकर भी मकान बना सकते हैं।तो फिर गरीबो के नाम पर प्रधानमंत्री आवास योजना में छिन्दवाड़ा में यह कैसा तमाशा मचा हुआ है। लंबे समय से यह खेल चल रहा है और जिला प्रशासन भी ध्यान देने को तैयार नही कि पी एम आवास के नाम पर नगर निगम में क्या खेला हो रहा है।
यहाँ तो नगर निगम ने शहर के गरीबो की जगह अमीरों के लिए कालोनी बना दी है। जबकि नगर निगम को यह जमीन गरीबो का घर बनाने के लिए दी गई थी। जहां गरीबो के लिए सस्ती दर के मकान बनाए जाने थे। यहां यदि गरीबो के आवास बनते तो गरीबो के आवास का सपना पूरा होता और प्रधानमंत्री आवास योजना की सार्थकता भी पूरी होती किन्तु नगर निगम के तत्कालीन पदाधिकारियों और अधिकारियों ने मिलकर जमीन का ऐसा उपयोग किया कि गरीबो की जगह रईसों के मकान बना डाले है। हितग्राहियों को प्रधानमंत्री आवास योजना के ढाई लाख के लाभ का भी दिया गया है। नगर निगम के अधिकारी ही बताए कि कोई गरीब भला 22 लाख ,31 लाख और 34 लाख में मकान खरीद सकता है क्या? यदि पी एम आवास योजना के नाम पर यही सब होता रहा तो गरीब का कल्याण कब होगा जिसके लिए राज्य और केंद्र की सरकार योजनाएं बनाती हैं।
प्रधानमंत्री आवास के नाम पर बने सोनपुर के आनंदम में बने मकान की कीमत 22 लाख, इमलीखेड़ा में 32 लाख और परतला में 34 लाख है। सोनपुर में 228, इमलीखेड़ा में 78 और परतला में 23 मकान बनाए गए हैं। खास बात यह है कि नगर निगम को इन मकानों के खरीददार भी आसानी से मिल गए और मकान बनकर भी तैयार हो गए लेकिन निर्माण लागत बढ़ने से निगम ने खरीददारों से 3-3 लाख रुपए और मांग लिए जिसके बाद से निगम और खरीददारों के बीच तना – तनी चल रही है। खास बात यह है कि मकानों के खरीददारों की लिस्ट भी चेक की जाए तो अधिकांश नगर निगम के नेता, अधिकारी और कर्मचारी ही इन मकानों के हितग्राही बताए गए हैं।
नगर निगम ने प्रोजेक्ट में जो सपने दिखाए थे कि कालोनी में पार्किंग,शॉपिंग काम्प्लेक्स,गार्डन,चौड़ी सड़क, स्ट्रीट लाइट,सहित अन्य महानगरीय सुविधा होगी वे भी पूरे नही किए हैं। इन कार्यो में करोड़ो का खर्चा बताया गया है। करीब सात साल से प्रोजेक्ट में निर्माण चल रहा है जबकि निर्माण अनुबंध मात्र 18 महीने का था। नगर निगम ने निर्माण एजेंसी भी बाहर की लगाई है ताकि बाद में होने वाले विवाद के लिए कोई जवाबदार ही ना रहे।
यह एजेंसी अब तक भी आवास प्रोजेक्ट के निर्माण पूरा नही कर पाई है। नगर निगम ने इमलीखेड़ा और परतला में तो हितग्राहियों को मकान हैंडओवर भी नही किया है। लेकिन हितग्राही यहां मकानों में जबरन घुसकर रहने भी लगे हैं। अब नगर निगम को मकान के बाहर के काम कराना पड़ रहा है। जिसको लेकर भी रोज विवाद हो रहे हैं। नगर निगम के सभी आवासीय प्रोजेक्ट विवादों में है। सवाल है कि नगर निगम को कॉलोनाइजर किसने बनाया है। दरअसल आवासीय प्रोजेक्ट के निर्माण में करोड़ो का भ्र्ष्टाचार है। इसकी हायर एजेंसी से जांच होनी चाहिए।
सांसद विवेक साहू ने किया निरीक्षण ..
हितग्राहियों की शिकायत पर सांसद विवेक साहू आज इमलीखेड़ा पहुंचे थे। यहां उन्होंने हितग्राहियों की समस्या सुनी और निर्माण कार्यो का निरीक्षण भी किया।। सासंद विवेक साहू ने कहा कि नगर निगम प्रोजेक्ट में हितग्राहियों के मकानों के निर्माण को पूरा कराए और उन्हें एक माह के अंदर मकान उपलब्ध करा दे। निर्माण में लापरवाही करने वाली एजेंसी को ब्लैक लिस्ट करने के साथ ही हितग्राहियों से अतिरिक्त रुपया मांगने के मामले की जांच के आदेश भी उन्होंने कमिश्नर सी पी राय को दिए हैं। कमिश्नर राय ने सभी पहलुओं का अध्ययन और परीक्षण के बाद एक सप्ताह में रिपोर्ट तैयार कर पेश करने कहा है।