हजारो छात्र – छात्राओं के भविष्य पर छिन्दवाड़ा यूनिवर्सिटी ने लगाया ग्रहण.?
गर्ल्स कॉलेज की सैकड़ो छात्राओं को समान अंक देकर कर दिया फेल ,आक्रोश जताने यूनिवर्सिटी पहुंची छात्राएं

छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश –
छिन्दवाड़ा यूनिवर्सिटी ने हजारो छात्र -छात्राओं के भविष्य पर ग्रहण लगा दिया है यूनिवर्सिटी से अटैच कालेज के छात्र -छात्राएं ग्रेजुएट हो पाते हैं ना ही पोस्ट ग्रेजुएट जब भी रिजल्ट आता है नाम मात्र के छात्र – छात्राएं ही पास हो पाते है इसी कार्यप्रणाली के चलते बैतूल जिले ने छिन्दवाड़ा यूनिवर्सिटी से नाता तोड़कर अपने आपको बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से अटैच करवा लिया है वही सिवनी और बालाघाट के कॉलेज वापस रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी जबलपुर से जुड़ने की मांग पर हैं
छिन्दवाड़ा में गुरुवार को शहर के गर्ल्स कॉलेज की सैकड़ों छात्राएं परिणाम आते ही परेशान हो गई छात्राएं यूनिवर्सिटी पहुंची और जो बताया वह यूनिवर्सिटी के लिए नया नही है बल्कि हर परीक्षा परिणाम के बाद आने वाली सच्चाई है जिसे छात्र – छात्राओं के हो – हल्ले के नाम पर टालने की कोशिश की जाती है गर्ल्स कॉलेज की प्रतिनिधि रेशमा खान ने बताया कि बी.एससी. प्रथम वर्ष सत्र 2021-22 भौतिक शास्त्र, वनस्पति शास्त्र विषय की परीक्षा में का परिणाम 15 मार्च को ऑनलाईन ओपन घोषित किया गया है जिसमें भौतिक शास्त्र और वनस्पति शास्त्र विषयों में समस्त छात्राओं को एक समान 12 व 14 नंबर देकर फेल कर दिया गया है ऐसा कैसे हो सकता है कि सभी छात्राओं को समान अंक मिले और सभी छात्राएं फेल हो जाए यह मूल्यांकन में बड़ी गड़बड़ी है जिससे छात्राओं का रिजल्ट बिगड़ा और उनका एक साल का समय बर्बाद हो रहा है परीक्षा का परिणाम भी परीक्षा के आठ महीने बाद घोषित किया गया है इस मामले में कुल सचिव गोल – मोल जवाब देते नजर आए लेकिन सवाल विद्यार्थियों के भविष्य का है
पिछले चार साल से यूनिवर्सिटी में यही खेल चल रहा है और इन वर्षो में यूनिवर्सिटी से नाम मात्र के ही छात्र – छात्राएं ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट हुए हैं जबकि इसके पहले जब छिन्दवाड़ा सागर और जबलपुर यूनिवर्सिटी से सम्बद्ध था परीक्षा परिणाम इतना खराब ना था आखिर हजारो छात्र – छात्राओं के भविष्य से खिलवाड़ का जवाबदार कौन है .?
यूनिवर्सिटी में कुलपति और कुल सचिव के मातहत परीक्षा नियंत्रक विभाग परीक्षा समय ,प्रश्न पत्र ,परीक्षा व्यवस्था ,मूल्यांकन ,और परिणाम तय करता है किंतु छिन्दवाड़ा यूनिवर्सिटी में इसके लिए कोई बेहतर स्टाफ ही नही है ना ही शिक्षाविद है और ना ही बेहतर अधिकारी ना ही मूल्यांकनकर्ता यूनिवर्सिटी केवल कागजो में है जिसने छिन्दवाड़ा में उच्च शिक्षा प्रबंधन को ही अंधेरे की गर्त में धकेल दिया है यूनिवर्सिटी की कार्यप्रणाली के चलते हजारो छात्र -छात्राओं के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है
सच्चाई यही है कि यूनिवर्सिटी से अटैच सरकारी महाविद्यालयों में पढ़ाई होती नही है हर कालेज में प्रध्यापको की कमी है निजी महाविद्यलय भी केवल मोटी फीस वसूलने के ऑफिस से ज्यादा कुछ नही है सरकारी कालेज के प्रबंधन भी निर्माण और खरीदी के घपलों -घोटालों में लिप्त नजर आते हैं बेहतर कालेज का विकल्प ना होने से इन्ही कालेज में एडमिशन लेना छात्र – छात्राओं की मजबूरी है जो सक्षम है वे जिले के बाहर महानगरों में पलायन कर जाते हैं सवाल यह भी है कि जब यूनिवर्सिटी है तो फिर छिन्दवाड़ा से हर साल हजारो की संख्या में उच्च शिक्षा के लिए युवाओ का महानगरों में पलायन क्यो है ..?
यूनिवर्सिटी ने ना कभी समय पर परीक्षा कराई ना रिजल्ट दिए हैं कायदे से परीक्षा के 45 दिन बाद रिजल्ट आ जाना चाहिए किन्तु यहां एक – एक साल बाद रिजल्ट दिया जाता है और जब आता है तो छात्र – छात्राओं में हा हा कार मच जाता है कारण नाम मात्र के ही छात्र – छात्राएं पास हो पाते है रिजल्ट 20 प्रतिशत से ज्यादा नही रहता है 80 प्रतिशत छात्र – छात्राएं तो फेल है या फिर पूरक में अटके बैठे हैं आखिर कब सुधरेगी यूनिवर्सिटी की व्यवस्था या फिर छिन्दवाड़ा में उच्व शिक्षा के नाम पर यू ही खिलवाड़ होता रहेगा बड़ी बात यह भी है कि यूनिवर्सिटी अपने अटैच कालेज तक का भी मूल्यांकन नही करती ना कभी यूनिवर्सिटी के अधिकारी किसी कालेज के निरीक्षण पर जाते हैं
मैं बालाघाट के मलाजखंड कॉलेज बी एस सी प्रथम वर्ष का स्टूडेंट हु यहां के सभी स्टूडेंट को प्राणिशास्त्र में 17 व 18 नंबर दिए गए है,छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी हमारे लाइफ से खेल रही है।