माननीयों की राशि पर ग्रहण : नगर निगम के वार्डो में एक लाख तक के कार्यो का भौतिक सत्यापन, कमिश्नर राहुल सिंह ने मांगी रिपोर्ट
कार्यपालन यंत्री ईश्वर चंदेली और भूपेंद्र मनवारे को बनाया जांच अधिकारी

♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश-
नगर निगम में इन दिनों वार्डो के प्रभारी उपयन्त्रियो पर आफत के बादल मंडरा रहे हैं। निगम कमिश्नर राहुल सिंह ने वार्डो में एक लाख लागत तक के कार्यो की भौतिक सत्यापन रिपोर्ट मांगी है। ये वे कार्य है जो बिना टेंडर के केवल वर्क ऑर्डर पर कराए गए हैं। इन कार्यो में मुख्य रूप से सांसद , विधायक और नगर निगम निधि मद से कराए गए कार्य शामिल हैं। दरअसल निगम को सांसद और विधायक मद से करीब 80 लाख की राशि विविध कार्यो के लिए दी गई थी। इसके साथ ही वार्ड पार्षदों ने भी वार्ड में जरूरत के आधार पर छूट – पुट कार्यो में 20 लाख के कार्य कराए हैं।
निगम कमिश्नर राहुल सिंह तक यह शिकायत पहुंची थी कि अधिकांश कार्य हुए ही नही है और उपयंत्रियों ने उनके बिल तैयार कराकर ठेकेदारों को भुगतान भी करा दिए हैं। हालांकि इस मामले में इस बात की भी जांच हो सकती है कि इन कार्यो के ठेकेदार कौन है। निगम के कुछ उपयंत्री तो इस तरह के बिल बनवाने के मास्टर बताए गए हैं। शिकायत के बाद अब तक हो चुके भुगतान के बाद निगम कमिश्नर ने अब ऐसे कार्यो के अगले ही भुगतान ही रोक दिए हैं। इस मामले में जांच अधिकारी अब निर्माण कार्यो की फाइल खंगालकर सम्बंधित उपयंत्री और ठेकेदार को तलब कर रहे हैं। इन हालातों में निगम में उपयन्त्रियो और ठेकेदारों में हड़कंप मचा है। निगम कमिश्नर ने नई के वार्ड 1 से 24 तक के लिए कार्यपालन यंत्री ईश्वर चंदेली और वार्ड 24 से लेकर 48 तक के कार्यो की जांच और भौतिक सत्यापन के लिए दूसरे कार्यपालन यंत्री भूपेंद्र मनवारे को जांच अधिकारी नियुक्त किया है।
निगम का रिकार्ड बताता है कि सांसद नकुलनाथ ने निगम को वार्डो में कार्यो के लिए सांसद निधि से करीब 38 लाख और विधायक कमलनाथ की विधायक निधि से करीब 42 लाख की राशि विविध कार्यो के लिए दी गई थी। यह राशि केवल चालू नही बल्कि हर वित्तीय वर्ष में दी गई है। इनमे अधिकांशतः 1 से डेढ़ लाख रुपए लागत के छोटे – छोटे कार्य स्वीकृत किए गए थे। निगम ने माननीयों की राशि से होने वाले कार्यो का टेंडर नही कराया बल्कि डायरेक्ट केवल वर्क ऑर्डर पर इन कार्यो को कराया है। जो हुए या नही इसके सत्यापन के बिना ही भुगतान के मामलों ने यहां हावी नेतागिरी का चेहरा भी उजागर कर दिया है किंतु नियमो के दायरे में फंसे अधिकारियों के लिए यह मुद्दा बड़ी मुसीबत बम सकता है। फिलहाल जांच शुरू हुई है। देखना है आगे क्या होता है।