Big Political Below – सांसद नकुलनाथ को लेकर एंटोनी प्लान में कांग्रेस के दिग्गज कमलनाथ, पार्टी नही छोड़ेंगे बेटे को शिफ्ट करने की है उठा – पटक
भाजपा एक मात्र छिन्दवाड़ा सीट के लिए स्वीकार करेगी कितनी शर्ते, केंद्रीय नेतृत्व के फैसले पर टिका दारोमदार

छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश-
कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ को लेकर छिन्दवाड़ा से लेकर भोपाल और भोपाल से लेकर दिल्ली तक सियासत गरमाई हुई है कि अब उनका हाथ कमल के साथ होगा। अटकलें अब भी कायम है। दो दिनों से लगातार यह सुर्खियां भी बनी हुई है। छिन्दवाड़ा के कांग्रेसी भी अपने नेता कमलनाथ के साथ जाने को तैयार बैठे हैं।लेकिन स्वयं कमलनाथ कोई स्थिति स्पष्ट नही कर रहे हैं कि आखिर वे करने क्या जा रहे हैं। राजनीतिक सूत्रों की माने तो मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस आलाकमान राहुल गांधी से खटपट के चलते कमलनाथ को प्रदेश कॉंग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा है। इसके बाद वे अपने सांसद बेटे नकुलनाथ की छिन्दवाड़ा से एक बार फिर लोकसभा चुनाव में टिकट को लेकर आशंकित हो गए हैं। इसके चलते वे केरल के दिग्गज कांग्रेस नेता ए के एंटोनी प्लान पर कार्य कर रहे हैं। ए के एंटोनी ने अपने बेटे अनिल एंटोनी को भाजपा में शिफ्ट करा दिया है। केरल में जमीन तैयार कर रही भाजपा ने उन्हें हाथों – हाथ लिया है।
ए के एंटोनी यूपीए सरकार के समय देश के रक्षा मंत्री थे। तीन बार केरल के सीएम भी रहे हैं। वर्तमान में चुनावी राजनीति को छोड़ भारतीय कांग्रेस कमेटी के कोर ग्रुप के सदस्य हैं। इतना ही नहीं एंटनी पार्टी की अनुशासन समिति के अध्यक्ष भी हैं सोनिया गांधी से लेकर राहुल गांधी के नजदीक है।उनके बेटे अनिल एंटोनी केरल की राजनीति में भले ही खुद बड़े नेता न हों लेकिन कांग्रेस के बड़े नेता ए के एंटनी के बेटे होने से केरल में उनका सियासी महत्व बढ़ गया है। कांग्रेस से अनिल एंटोनी को इस बात की आशंका थी कि पार्टी उन्हें लोकसभा का टिकट नही देगी।क्योंकि कांग्रेस ने भाजपा के परिवार वाद के हमलों से परेशान होकर अपने अधिवेशन में यह प्रस्ताव पारित किया था कि अब कांग्रेस में एक परिवार एक टिकट का फार्मूला लागू होगा।
मध्यप्रदेश के दिग्गज नेता कमलनाथ भी इस बात से परेशान हैं कि पार्टी हाई कमान से उनकी नही बन रही है। तब उनके बेटे का भी सियासी महत्व बढ़ने से रहा। राहुल गांधी ने मध्यप्रदेश से एक मात्र सांसद होने के बाद भी सांसद नकुलनाथ को कोई तवज्जो नही दी है ना ही ए सी सी में ही कोई पद और जवाबदारी दी है। कमलनाथ भी यही चाहते है कि बढ़ती उम्र के चलते वे सक्रिय राजनीति का हिस्सा ना रहे बल्कि पार्टी की केंद्रीय समीति में मार्गदर्शक की भूमिका में रहे किन्तु मध्यप्रदेश में सक्रिय रहने के कारण वे पार्टी किसी भी केंद्रीय समीति का हिस्सा नही है। इस बीच पार्टी ने नकुलनाथ को भी किसी समीति में जगह नही दी है। अब जब कि कमलनाथ मध्यप्रदेश में सभी पदों से मुक्त है।। तब उन्हें पार्टी ने अगली कोई जवाबदारी नहीं दी है। ऐसे में कमलनाथ स्वयं और अपने बेटे नकुलनाथ के लिए उपेक्षा महसूस कर रहे हैं।
काफी चिंतन – मनन के बाद उन्होंने भाजपा में जाने का मन बनाया जरूर है मगर पांच दशकों से वे कांग्रेस की राजनीति में है। संजय गांधी, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी , सोनिया गांधी से लेकर राहुल गांधी तक के साथ कार्य किया है। उनकी विरासत और बड़ी संख्या में समर्थकों का लाव -लश्कर उन्हें भाजपा में जाने की इजाजत नही देता हैं। देश की राजनीति की दशा और दिशा का आकलन उन्हें भलीभांति है। इसके लिए वे अपने सांसद बेटे नकुलनाथ को भाजपा में शामिल करा सकते हैं। कमलनाथ को लेकर एक सच यह भी है कि कांग्रेस अकेले मध्यप्रदेश नही बल्कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ का भी चुनाव हारी है। इसके पहले लगातार मध्यप्रदेश में कांग्रेस विधानसभा के तीन चुनाव हारी थी। जब कमलनाथ को मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष बनाया गया तब उनके नेतृत्व में कांग्रेस का 15 साल का वनवास दूर हुआ था किंतु सिंधिया प्रकरण के चलते कांग्रेस फिर वनवास में चली गई और कमलनाथ की लगातार तीन साल की मेहनत के बाद भी सत्ता में वापस नही लौट सकी क्योंकि कांग्रेस मोदी फेक्टर को अब भी कम आंक रही है जबकि यह फेक्टर प्रदेश नही बल्कि देश मे हावी नजर आता है। मध्यप्रदेश में हार के बाद केवल कमलनाथ कांग्रेस आलाकमान के टारगेट में है और टार्चर का शिकार हुए हैं जबकि राजस्थान और छत्तीसगढ़ में प्रदेश अध्यक्ष जो थे अब भी वही है। दोनो राज्यो में कांग्रेस आलाकमान ने ऐसा कुछ नही किया है। इससे कमलनाथ को अहसास हो गया है कि पार्टी उन्हें उपेक्षित कर रही है। उन्होंने राज्यसभा में जाने के लिए सोनिया गांधी से भी मुलाकात की थी किन्तु इसके बाद मध्यप्रदेश में प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने प्रस्ताव पारित किया कि स्वयं सोनिया गांधी मध्यप्रदेश से राज्यसभा का पर्चा भरेंगी जबकि उन्होंने राजस्थान से पर्चा भरा है।
सूत्रों का कहना है कि राजनीति के दिग्गज कमलनाथ को कुछ भी भांपने में समय नही लगता है ऐसे में उन्होंने अपने बेटे नकुलनाथ सहित भाजपा में जाने के लिए भाजपा के दिग्गजों से चर्चा की है। इस चर्चा में उन्होंने कुछ शर्त रखी है। इन शर्तो को लेकर ही उनकी भाजपा में प्रवेश फिलहाल अटका हुआ बताया गया है। भाजपा मध्यप्रदेश में सत्ता में है। विधानसभा की 220 में से 166 सीट जीत चुकी है। लोकसभा की 29 में से 28 सीट पर भी भाजपा के सांसद हैं। अब मध्यप्रदेश में केवल एक मात्र सीट छिन्दवाड़ा के लिए भाजपा कितनी शर्त स्वीकार करेगी मामला यही अटका हुआ बताया गया है। राज्यसभा में जाने का मेटर तो 15 फरवरी को नामांकन की अंतिम तिथि के साथ ही समाप्त हो चुका है। खबर आ रही है कि कमलनाथ नही उनके बेटे नकुलनाथ और बहू प्रियानाथ भाजपा ज्वाइन करेंगे और कमलनाथ राजनीतिक सन्यास पर होंगे। अब देखना है कि इसमें कितनी सच्चाई है क्योंकि इस मामले में कमलनाथ ही कुछ कह रहे हैं ना ही नकुलनाथ लेकिन एक बड़ी बात यह है कि नकुलनाथ स्वयं कोई बड़ा स्टैंड नही ले रहे हैं जबकि उनके पिता कमलनाथ उन्हें सांसद बनाने के साथ ही राजनीति में बड़ा बना चुके हैं। वे अब भी पिता के पीछे ही घूमते नजर आते हैं जबकि सांसद बनने के बाद अपने लोकसभा क्षेत्र छिन्दवाड़ा और पार्टी के लिए उन्हें बड़े स्टैंड लेना था और पिता जब एम पी स्टेट का कार्य देख रहे थे तो उन्हें सेंट्रल कमेटी में भी जगह बनाना था। अब तो यही कहा जा रहा है कमलनाथ का यह कदम अपने बेटे को सेट करने के लिए ही है। भाजपा ने कमलनाथ के पीछे कोई ई डी , सी बी आई नही लगाई है। लेकिन यदि कमलनाथ – नकुलनाथ दोनो ही भाजपा में जाते हैं तो यह मध्यप्रदेश ही नही कांग्रेस के लिए बिग पोलिटिकल लॉस होगा।