न्यायालय ने पुलिस महानिदेशक को दिया अमरवाड़ा एस डी ओ पी पर वैधानिक कार्रवाई का आदेश, पिता- पुत्र पर बनाया था हत्या का फर्जी मामला
जेल में थे पिता- पुत्र, पुत्री के वापस आने पर सुलझा मामला,
♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश-
जिंदा युवती के मर्डर के आरोप में उसके ही पिता और भाई को पुलिस ने जेल में ठूस दिया था। इस मामले में अमरवाड़ा अपर एवं जिला सत्र न्यायालय न्यायाधीश ने बड़ा फैसला सुनाया है। न्यायधीश ने मामले की लापरवाह पूर्वक विवेचना करने वाले दोषी एसडीओपी संतोष डेहरिया के खिलाफ पुलिस महानिदेशक को कार्रवाई के लिए निर्देशित किया है। इस बहुचर्चित मामले में पिता- पुत्र को दोषमुक्त कर रिहा किया गया है। अमरवाड़ा अपर एवं जिला सत्र न्यायालय न्यायाधीश संदीप कुमार पाटिल ने यह फैसला दिया है।
प्रकरण के संबंध में बताया गया कि अमरवाड़ा थाना की सिंगोडी चौकी के गांव जोपनाला निवासी कंचन उईके पिता सन्नू उईके 10 वर्ष पूर्व ग्राम के रामस्वरूप डेहरिया के झांसे में आकर बिना बताए भोपाल चली गई थी और वापस लौट कर नहीं आई युवती उस समय नाबालिग 14 साल की थी। लड़की के परिजनों ने सिंगोड़ी चौकी में गुमशुदा की रिपोर्ट दर्ज कराई थी 10 वर्षों तक युवती वापस सिंगोडी नहीं आई थी। इसी बीच उसे कोई परिचित वाले ने बताया कि तेरी हत्या के आरोप में पिता सुन्नू और भाई सोनू को पुलिस ने जेल भेज दिया है।
खबर पर कंचन उइके 13 जून 2021 को वापस अपने गांव आ गई और परिवारजनों को बताया कि वह गांव के ही एक युवक के साथ शादी कर इतने दिनों से उज्जैन में रह रही थी। अब उसके दो बच्चे भी है। कंचन ने सिंगोड़ी चौकी और न्यायालय पहुंचकर बयान दिया कि जिस युवती की हत्या के आरोप में पुलिस ने उसके पिता और भाई के खिलाफ हत्या का अपराध दर्ज कर जेल में डाला है वह मैं हूँ और जिंदा हूँ। कंचन के आवेदन पर उसके पिता और भाई को जमानत पर रिहा कर दिया गया था जो दस साल से जेल में थे। कंचन के वापस आने पर उस प्रकरण में अमरवाड़ा पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए थे कि कंचन जिंदा है तो पुलिस ने किसका कंकाल बरामद कर उसके पिता और भाई पर हत्या का अपराध दर्ज किया था।
इस मामले में अमरवाड़ा के तत्कालीन एसडीओपी संतोष डेहरिया सिंगोली चौकी प्रभारी अभिषेक प्यासी के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर न्यायालय में मामला चला जिस पर अमरवाड़ा अपर एवं जिला सत्र न्यायालय न्यायाधीश संदीप कुमार पाटिल ने फैसले में कहा कि एसडीओपी संतोष डेहरिया की लापरवाही पूर्वक विवेचना की वजह से पिता – पुत्र को जेल जाना पड़ा। इस पर न्यायालय ने आदेश दिया है कि पुलिस महानिदेशक दोषी एसडीओपी संतोष डेहरिया के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई करें। न्यायालय ने पिता पुत्र सुन्नू और सोनू को दोष मुक्त कर दिया है। मामले की पैरवी वरिष्ठ एडवोकेट सुबोध श्रीवास्तव, राजू उईके, एडवोकेट संतोषी ने की।
हत्या के प्रकरण की कहानी कुछ ऐसी है कि सिंगोड़ी चौकी के ग्राम जोपनाला में रहने वाले सन्नू उइके की उस समय की नाबालिग पुत्री कंचन उइके सन 20 14 में 14 साल की उम्र में घर से लापता हो गई थी। परिजनों ने उसे खोजा था लेकिन वह नही मिली और उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज कराई गई थी। इसके बाद सिंगोड़ी पुलिस को लड़की की गुमशुदगी के सात साल बाद 12 जून 2021 को खबर मिलती है कि जोपनाला गांव से जो नाबालिग लापता थी उसकी हत्या उसके पिता सन्नू उइके और भाई सोनू ने की है और नाबालिग का शव खेत मे दफन है।
इस दौरान अमरवाड़ा पुलिस अनुभाग में संतोष डेहरिया एस डी ओ पी और एस आई अभिषेक प्यासी सिंगोड़ी चौकी के प्रभारी थे। दोनो अधिकारी खबर पर अमरवाड़ा एस डी एम से परमीशन लेकर जोपनाला गांव के पास ही राहीवाड़ा में धरम उइके के खेत की मेड में आम के झाड़ के पास जे सी बी मशीन से खुदाई कराते हैं और एक कंकाल बरामद करते हैं। जिसका तहसीलदार की उपस्थिति में पंचनामा किया जाता है और कंकाल जांच के लिए फॉरेन्सिक लैब भोपाल भेज दिया जाता है लैब की रिपोर्ट आए बिना ही पुलिस लड़की की हत्या के आरोप में कंचन के पिता सन्नू उइके और भाई सोनू उइके पर हत्या का प्रकरण दर्ज कर गिरफ्तार कर लेती है। न्यायालय से दोनो जेल चले जाते हैं जबकि कंकाल की रिपोर्ट अब तक भी नही आई थी कि वह कंचन का है या नही ..?
खुदाई के दौरान पुलिस ने बरामद एक कंगन दिखाकर सन्नू उइके की पत्नी और कंचन की माँ से पुछा था कि यह कंगन कंचन का है क्या .? तब कंचन की माँ का जवाब था कि कंगन कंचन का नही है फिर भी पिता -पुत्र और हत्या जैसा जघन्य अपराध दर्ज कर दिया जाता है। 12 जून 2021 के दो साल बाद कंचन 29 मार्च 2023 को सिंगोड़ी चौकी पहुंचकर कहती है कि मैं जिंदा हूँ मेरे पिता और भाई को मेरी ही हत्या के आरोप में गलत फंसाया गया है। कंचन के पिता सन्नू उइके ने वीडियो में बयान दिया है कि दरोगा ने मुझसे दो लाख रुपया मांगा था नही दिया तो मुझे मेरी लापता बेटी की हत्या के आरोप में ही फंसा दिया।
इस मामले में पुलिस ने पिता – पुत्र से कंचन की हत्या का जुर्म भी कबूल करवा लिया था। जांच डायरी में लिखा था कि सन्नू उइके – सोनू उइके ने अपने मकान के पीछे छपरी में कंचन के सिर पर डंडा मारा जिससे उसकी मौत हो गई थी। दोनो ने अपना अपराध छिपाने के लिए शव खेत मे गाड़ दिया था। खास बात यह भी है कि पुलिस ने कंकाल में 206 की जगह 210 हड्डी बरामद होना बताया था। मतलब कंकाल में चार हड्डी टूटी मिली जब दोनों ने डंडे से कंचन को मारा तो क्या हड्डी उससे ही टूटी थी। इस मामले में पुलिस जांच और कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगे थे। मामला इतना गम्भीर है कि इंस्पेक्टर जनरल लेबल नही बल्कि डायरेक्टर जनरल आफ पुलिस के लेबल पर इसकी जांच होना चाहिए था। जो अब न्यायलय ने डी जी पी को ही कार्रवाई का आदेश दिया है। इस मामले में दोनो पिता पुत्र बेवजह हत्या के आरोपी बने और जेल में रहे।