साहित्यकार केशरी चंद चंदेल “अक्षत” की गजलों से महकेगा छिन्दवाड़ा, समारोह में गायन के लिए आ रहे प्रसिद्ध गजल गायक उस्ताद अहमद मोहम्मद हुसैन
15 जनवरी को हिंदी प्रचारिणी प्रांगण में "अक्षत"सम्मान समारोह, मुम्बई की म्यूजिक कंपनी ने बनाया "अक्षत" की गजलों का एलबम
♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश-
छिन्दवाड़ा के साहित्य गौरव स्वर्गीय केशरी चंद चंदेल “अक्षत” की स्मृति में हर वर्ष होने वाले “अक्षत सम्मान समारोह” में इस बार पद्मश्री से सम्मानित विश्व विख्यात भजन और गजल गायक “उस्ताद अहमद हुसैन और उस्ताद मोहम्मद हुसैन ” अपने सुरों का जादू बिखेरेंगे। यह समारोह 15 जनवरी को हिंदी प्रचारिणी समीति के प्रांगण में होगा।
सन 2008 को उनकी स्मृति में पहला सम्मान समारोह आयोजित किया गया था। समारोह में छिन्दवाड़ा की साहित्य और सांस्कृतिक जगत में उत्कृष्ठता के लिए चयनित प्रतिभाओ को “अक्षत” सम्मान से नवाजा जाता है। अक्षत सम्मान समारोह का यह 15 वां वर्ष होगा। समारोह में साहित्यिक, कला, रंग कर्म और शिक्षा के क्षेत्र की विभूतियों स्वर्गीय केशरी चंद चंदेल “अक्षत” की रचनाओं के प्रति सम्मान प्रकट करने जुटती है और साहित्य के प्रति उनके योगदान को याद करती हैं।
स्वर्गीय केशरी चंद चंदेल “अक्षत” की लिखी आठ “गजलों” को उस्ताद अहमद मौहम्मद हुसैन बंधुओं अपनी आवाज में ढाला है। जिसमे से पांच गजलें मुंबई की म्यूजिक कंपनी रेड रिबन ने रिलीज किया है। कंपनी ने उनकी गजलो का एलबम ” अशआर -ए -अक्षत” तैयार किया है। इस एलबम का विमोचन समारोह में किया जाएगा। साथ ही स्वर्गीय केसरी चंदेल “अक्षत” के प्रथम काव्य संग्रह “उजालों का कारवां” के द्वितीय संस्करण का भी विमोचन किया जाएगा।
अक्षत सम्मान समारोह समीति के संयोजक विश्वेश चंदेल ने बताया कि समारोह में उस्ताद अहमद मौहम्मद हुसैन बंधुओ का छिन्दवाड़ा आगमन हो रहा है। वे अपनी आवाज से साहित्यकार स्वर्गीय केशरी चन्देल अक्षत की गजलों की प्रस्तुति देंगे। यह संगीतमय आयोजन हिंदी प्रचारिणी समिति प्रांगण में 15 जनवरी को शाम 6:30 बजे से होगा। कार्यक्रम को व्यवस्थित बनाने के लिए समय से 15 मिनिट पूर्व अपना स्थान ग्रहण करें और अपने वाहनों की पार्किंग दशहरा मैदान में की गई है।
अक्षत सम्मान समारोह समीति के जयेश चंदेल ने बताया कि छिन्दवाड़ा के साहित्य जगत के लिए यह बड़ा गौरव है कि साहित्यकार स्वर्गीय केसरी चंद चंदेल अक्षत की गजलों का संग्रह अब म्यूजिक एलबम के रूप में है। गजलो के गायक छिन्दवाड़ा आ रहे हुसैन बंधुओं ने अपनी आवाज में उसे संजोया है। हुसैन बंधुओ ने अपनी गायकी की सफ़र 1958 में शुरू किया था। 1959 में चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में आकाशवाणी, जयपुर में प्रस्तुति देकर नाम कमाया इसके बाद क्लासिकी ठुमरी फनकारों के तौर पर उनका पहला एलबम ‘गुलदस्ता’ 1980 में रिलीज़ हुआ था जो बेहद कामयाब रहा। गजल और कव्वाली गायकी में मशहूर हुसैन बंधु उस्ताद अहमद हुसैन और उस्ताद मोहम्मद हुसैन को भारत सरकार ने पद्मश्री से नवाजा है। हुसैन बंधु राजस्थान के जयपुर से हैं। वे खुदको उस्ताद नहीं विद्यार्थी मानते हैं। जब इन दोनों ने संगीत सीखने का मन बनाया, तो इनके पिता ने मां से कहा था कि दोनों बच्चों को मेरे पास बेटों के तौर पर नहीं शिष्य के तौर पर ही भेजना, तभी असली गायकी का बारीक ज्ञान हासिल कर पाएंगे। पिता ने सीख दी कि बेटा तुम दोनों हमेशा साथ रहना। उन्होंने ही यह जोड़ी बनाई, इसलिए दोनो का रिश्ता एक खून, एक खयालात और एक सुर का है। ‘उस्ताद अहमद हुसैन’ और ‘मुहम्मद हुसैन’ क्लासिकी, गज़ल गायकी, भजन और कव्वाली गाया करते हैं। इनके पिता ‘उस्ताद अफज़ल हुसैन’ भी ग़ज़ल और ठुमरी के उस्ताद थे।