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गांधी गंज नई आबादी में मनाया जा रहा पार्श्वनाथ जिनालय स्थापना का  20 वां वार्षिक महोत्सव, 14 जनवरी को श्री जी का भव्य चल समारोह

मुमुक्षु मण्डल और जैन युवा फेडरेशन के सौजन्य में चार दिनों तक चलेंगे विविध अनुष्ठान

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♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश –

छिन्दवाड़ा सिटी की नई आबादी  गांधी गंज स्थित पार्श्वनाथ जिनालय की स्थापना का  20 वां वार्षिक महोत्सव मनाया जा रहा है। इस अवसर पर जिलालय में  चार दिनों तक  विविध अनुष्ठान चल रहे हैं। वर्तमान शासन नायक 1008 तीर्थंकर महावीर स्वामी के शासन काल में आध्यात्मिक सत् पुरुष गुरुदेव श्री कानजी स्वामी के तत्व प्रभावना योग में दिगम्बर जैन मुमुक्षु मंडल और  अखिल भारतीय जैन युवा फेडरेशन ने   वर्ष 2004 में इस  भव्य  जिनालय का निर्माण कराया था। यहां महोत्सव में 14 जनवरी को श्री जी का भव्य चल  समारोह भी  निकाला  जाएगा।

फेडरेशन के सचिब दीपक राज जैन ने बताया कि जिनालय के  20 वांं वार्षिक महोत्सव में  श्री नेमीनाथ पंचकल्याणक विधान सहित विविध अनुष्ठान चल रहे हैं। जिसमे बड़ी संख्या में श्रावक-  श्राविकाएं शामिल हो रहे हैं। महोत्सव का श्री गणेश  11 जनवरी  जिनबिंब प्रक्षालन के साथ हुआ।  ध्वजारोहण, मंगल कलश स्थापना,  जिनेन्द्र पूजन कर  यहां श्री नेमीनाथ पंचकल्याणक विधान किया जा रहा है।  बाल ब्रह्मचारणी जीनल बहन  देवलाली के मंगल प्रवचन दे रही है।  रात्रि  में  बच्चों की पाठशाला  बाल ब्रह्मचारणी प्रज्ञा दीदी दिल्ली के प्रवचन,  बाल ब्रह्मचारणी जीनल बहन देवलाली के प्रवचन  के साथ ही ए विविध साहित्यिक कार्यक्रमों का संचालन प्रतिदिन हो रहा है।
रविवार 14 जनवरी को जिनालय से  प्रातः 9 बजे  श्रीजी का भव्य चल समारोह निकाला जाएगा

मंडल के  अध्यक्ष शांतिकुमार पाटनी, कोषाध्यक्ष विजयकुमार कौशल, मंत्री अशोक जैन सहित नेहरूलाल जैन, सुरेंद्र जैन, प्रमोद पाटनी, प्रकाश अहिंसा, सुबोध जैन, जिनेन्द्र जैन, ऋषभ शास्त्री, दीपक राज जैन, पंकज जैन, प्रत्यूष जैन, वीरेंद्र जैन, ज्ञानानंद जैन, वर्धमान जैन, सचिन जैन, विवेक जैन, आशीष कौशल, आदेश जैन, सिद्धांत जैन सहित समस्त जिनशासन सेवक महोत्सव में सेवादार की भूमिका में है। यह पार्श्वनाथ जिनालय जिले का प्रथम जिनालय है जहां वीतरागी अरिहंत भगवान के मनोहारी जिनबिंब, दिगंबर जैनाचार्य मुनिराजों के पावन चरण एवं आचार्य भगवन कुंदकुंद देव से आचार्य तारण स्वामी द्वारा विरचित मां जिनवाणी वेदी पर विराजमान है। जहां श्रावकगणों द्वारा 20 वर्षों से नियमित पूजा आराधना की जा रही  हैं। जिनालय में प्रतिदिन शास्त्र स्वाध्याय सहित बच्चों की पाठशाला का संचालन कर उन्हे भक्त से भगवान बनने की प्रेरणा देकर जिनशासन की मंगल प्रभावना की जाती है।

चार दिवसीय महोत्सव में जिनालय जैन शासन  नायक महावीर भगवान, दिगम्बर महामुनिराजों सहित जिनवाणी माता के मंगलगान एवं जयघोष से गुंजायमान है।  दिगम्बर जैन मुमुक्षु मंडल, अखिल भारतीय जैन युवा फेडरेशन के साथ सकल समाज  विविध अनुष्ठानों के साथ भक्ति भाव पूर्वक जिनालय का स्थापना दिवस समारोह मना रहा है। यहां  श्रावक   वेदी पर विराजमान श्री पार्श्वप्रभु एवं अन्य जिनबिंबो के साथ आचार्य भगवंतों के पावन चरणों का प्रक्षालन कर उनका गुणगान कर रहे हैं। जिनालय में ध्वजारोहण का सौभाग्य  सौभाग्य बाल ब्रह्मचारणी जिनल दीदी देवलाली, प्रज्ञा दीदी दिल्ली, छिंदवाड़ा से आरती दीदी, अंतिमा दीदी, वैशाली दीदी, अंजली दीदी के साथ अशोक जैन, सुरेंद्र जैन, जिनेन्द्र जैन, दीपक राज जैन, पंकज जैन, निखिल जैन सहित अन्य जिनशासन सेवक भाई बहनों को मिला।

श्री नेमीनाथ पंचकल्याणक विधान में  पंडित ऋषभ शास्त्री, प्रत्यूष जैन, सचिन जैन, डॉ. विवेक जैन, रूपेंद्र शास्त्री, आशीष कौशल ने अंतर्राष्ट्रीय पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव की यादें ताजा कर दी। प्रवचनों में  देवलाली नासिक की  ब्रह्मचारणी जीनल दीदी ने ग्रंथराज समयसार के आधार पर स्वाध्याय कराया उन्होंने कहा की निज शुद्धत्मा ही तीन लोक में सार है। हमने अनंत जन्मों में अनंतानंत कार्य किए सबको जाना, सबको पहिचाना सिर्फ मैं कौन हूं यह बात का ख्याल नहीं किया। अब उत्तम कुल प्राप्त कर यह कार्य अवश्य करना है कि मैं कौन हूं, आया कहां से और मुझे जाना कहां है। यह जरूर जानना है। उन्होंने कहा की गुरुदेव ने कहा है कि  एक बार नक्की कर कि मैं ज्ञायक हूं ऐसी हुंकार भरते ही अपना ज्ञायक भगवान आत्मा जानने में आ जावेगा, जिसका मुख्य मार्ग स्वाध्याय है।  पाठशाला में जैन दर्शन में मुख्य सिद्धांतों के साथ भगवान बनने की कला सिखाई गई। प्रज्ञा दीदी के प्रवचनों में भगवान आत्मा की महिमा गाई।


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