चालीस गांवो के किसानों ने कर दिया अमरवाड़ा शहर का ट्रैफिक जाम
माचागोरा बांध से ना मिली नहर ना ही लिफ्ट इरिगेशन योजना

नहर नही तो वोट नही होगा चुनाव का बहिष्कार
छिन्दवाड़ा – मंगलवार को अमरवाड़ा के 40 गांवो के किसानों ने अमरवाड़ा का ट्राफिक जाम कर दिया था किसान सिचाई और पीने के पानी की मांग को लेकर एस डी एम कार्यालय का घेराव करने पहुंचे थे किसानो में आक्रोश था कि अमरवाड़ा से जिले के सबसे बड़े बांध माचागोरा की दूरी कुछ खास नही फिर भी सरकार ने यहां के गांवों को बांध का पानी देने की योजना नही बनाई गांवो में अब तक ना माचागोरा बांध की नहर पहुंची है ना पाइप लाइन जबकि बांध को बने दस साल से ज्यादा का समय हो गया है किसानों ने नहर नही तो वोट नही होगा चुनाव का बहिष्कार के नारे लगाए
अमरवाड़ा आजादी के बाद से अब तक पिछड़ा का पिछड़ा ही है विकास के बड़े -बड़े दावे यहां कोई काम के नही है यहां ना उद्योग -धंधे है ना रेल रेल लाइन ना ही रोजगार के कोई साधन छिन्दवाड़ा से हर्रई तक के मार्ग को नेशनल हाइवे घोषित है किन्तु हाइवे भी ऐसा कि गांव की गलियों से कुछ ज्यादा नही है कृषि औऱ वनोपज यहां की अर्थ व्यवस्था का आधार है कृषि में भी सिचाई के लिए यहां बड़े जलाशय नही है ऐसे में एक -दो नही बल्कि सैकड़ो गांव की भूमि असिंचित है बरसाती फसल से ही किसान किसी तरह रोजी रोटी चलाते हैं माचागोरा बांध बनने से किसानों को उम्मीद जगी थी कि नहर उनके गांव तक भी आएगी लेकिन नही आई इसके बाद माइक्रो इरिगेशन योजना बनी तब भी पाइप लाइन गांवो तक नही गई योजना में अमरवाड़ा के केवल कुछ गांवो को ही जोड़ा गया है ऐसे में इंतजार करते – करते अब किसानों के सब्र का ही बांध फट पड़ा है
200 ट्रेक्टर ट्रालियो सहित पहुंचे किसान..
अमरवाड़ा के करीब 40 गांवो के किसान 200 से ज्यादा ट्रेक्टर ट्रलियो में बैठकर अमरवाड़ा तहसील मुख्यालय पहुंचे थे इस दौरान अमरवाड़ा के मुख्य मार्ग का ट्रैफिक जाम हो गया था किसान कांग्रेस ना भाजपा राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के बैनर तले अपना आंदोलन लेकर आए थे जिनका कहना था कि हमारी मांगे नही मानी गई तो चुनाव का बहिष्कार तो होगा ही 20 दिन बाद जिला मुख्यालय छिन्दवाड़ा में इससे 10 गुना बड़ा आंदोलन होगा
इन गांवो को रखी लिफ्ट इरिगेशन से जोड़ने की मांग
अमरवाड़ा एस डी एम कार्यालय के सामने प्रदर्शन कर किसानों ने एस डी एम मनोज प्रजापति के समक्ष अपनी मांगे रखी है इनमे सरकावडा परियाली मानी उमरिया, करेटी घाट सालीवाडा, पिपरिया बिरसा बिनेकी ,पौनार, हीरापानी, सालीवाडा शारदा, थावड़ी पिपरिया,सहित 40 गांव के किसान शामिल थे किसानों का कहना था कि गांवो की जमीन असिंचित है सिचाई तो क्या यहाँ पीने के पानी तक की व्यवस्था नही है ग्रामीण भगवान भरोसे है ना कृषि ना रोजगार के अन्य साधन तो फिर क्या गाँव छोड़ना और पलायन ही इन गांवो की किस्मत में लिख दिया गया है