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छिन्दवाड़ा के कलेक्ट्रेट में दिल्ली किसान आंदोलन की तरह डेरा डालने पर अड़े मोहगाँव के किसान

दिन भर से चल रहा प्रदर्शन , अधिकारियो की बात भी मानने तैयार नही

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लगातार बात कर रहे ए डी एम ,एस डी एम और टी आई

 ♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश-

मोहगाँव जलाशय के प्रभावित किसान मुआवजा की मांग को लेकर छिन्दवाड़ा के कलेक्ट्रेट में  धरना –  प्रदर्शन  पर है । उनकी योजना दिल्ली के किसान आंदोलन की तरह डेरा डालकर बैठने की है।

सौसर से छिन्दवाड़ा आकर शुक्रवार की  दोपहर से किसान कलेक्ट्रेट में बैठे हैं और रात के 9 बजे तक भी गेट से उठने तैयार नही थे । वे अपने साथ खाना पकाने का सामान भी लाए थे । किसानों का कहना है कि वे यही कलेक्ट्रेट में ही खाना पकाकर खाएंगे और यही सोएंगे जब तक कि उनकी समस्या का समाधान नही हो जाता है।

किसान मोहगाँव जलाशय में  डूब क्षेत्र की जमीन और उसकी परिसम्पत्ति मकान, कुंआ, वृक्ष, संतरा बागान का मुआवजा मांग रहे हैं। किसानों की मांग थी कि उन्हें कलेक्टर से मिलना है लेकिन कलेक्टर दोपहर बाद से पांच दिनों के अवकाश पर चली गई है।ए डी एम ओ पी सनोडिया, एस डी एम अतुल सिंह, टी आई सुमेर सिंह जगेत मौके पर किसानों से मुआवजा मुद्दे पर बात कर चुके हैं किन्तु किसान रट लगाए बैठे हैं कि कोई हमारी सुन नही रहा है।

दरअसल सौसर के मोहगाँव में जल संसाधन विभाग  वर्ष 2014 से मोहगाँव जलाशय बना रहा है। जलाशय का कार्य करीब 90 प्रतिशत पूरा हो चुका है। इस बरसात से जलाशय का जल ग्रहण क्षेत्र तेजी से बढ़ना शुरू हो जाएगा ऐसे में प्रभावित किसानों की जमीन डूब जाएगी फिर उन्हें मुआवजा नही मिल पाएगा। जमीन डूबने से आकलन की स्थितियां ही समाप्त हो जाएंगी।

विभाग के आकलन के आधार पर जलाशय के प्रभावित 70 किसानों को उनकी डूब क्षेत्र की जमीन का तीन करोड़ से ज्यादा का  मुआवजा दिया जा चुका है। उन्हें डूब क्षेत्र से हटाकर अन्यत्र शिफ्ट कर दिया गया है और नया मकान बनाने के लिए मुआवजा के अतिरिक्त 1 लाख 20 हजार की राशि की प्रथम किश्त में 70 हजार रुपए भी दिए जा चुके हैं किंतु किसान अब इस बात पर अड़े है कि उन्हें 2014 में लागू हुए भू- अर्जन नियम के मुताबिक डूब क्षेत्र में आई जमीन के अलावा जमीन में रहे संतरा सहित अन्य फलदार वृक्ष ,मकान, कुंआ ,टांका आदि परीसंपत्ति का भी मुआवजा दिया जाए। साथ ही विस्थापन स्थल पर सड़क , बिजली ,पानी ,स्कूल, आंगनबाड़ी, की व्यवस्था की जावे।

प्रभावित किसानों का आरोप है कि विभाग ने डूब क्षेत्र की परीसम्पत्ति का आंकलन नही किया है।इस मुद्दे ओर पहले भी धरना प्रदर्शन हो चुके हैं किन्तु समाधान ना निकल पाने पर किसान अब कमर कस कर कलेक्ट्रेट आ गए हैं कि जब तक समाधान ना होगा हटेंगे नही।

मोहगाँव जलाशय की लागत करीब 35 करोड़ है। जलाशय बनने पर  दस गांवो मोहगाँव सहित नंदेपानी ,चिखली, भूमम्मा, मुगनापार, सिंहपुर, खैरेपिका, बाना बकोडा, घोघरीखापा, और कोपरबाड़ी की 2 हजार 950 हेक्टेयर असिंचित जमीन को सिंचित बनाया जा सकेगा।इसके अलावा मोहगाँव नगर पंचायत सहित गांवो की पेयजल समस्या का भी स्थाई समाधान हो सकेगा।

किसान पहले मुआवजा ले चुके हैं और अब परीसंपत्ति के मुआवजे पर अड़े है। कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन के लिए प्रभावित गांवों से करीब डेढ़ सौ किसानों का जत्था आया हुआ है जिनमे महिलाए भी शामिल हैं। किसानों के अड़ियल रवैये के चलते अधिकारियों ने बातचीत के बाद अब फ़ोर्स बुला ली है।

 


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