37 हजार का बिल निकालने मांगी थी 17 हजार की रिश्वत
नगर पंचायत हर्रई में चल रहा फिफ्टी- फिफ्टी का खेल
नगर पंचायत कार्यालय में लोकायुक्त ने ट्रेप किया इंजीनियर
छिन्दवाड़ा-विकास की दरकार वाली नगर पंचायत हर्रई को सरकार करोड़ो का बजट देती है लेकिन सरकार का यह बजट विकास की जगह भ्र्ष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है नगर पंचायत में भ्र्ष्टाचार के बोलबाले का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां पदस्थ एक उपयंत्री सतीश डेहरिया ने मात्र 37 हजार के बिल लिए 17 हजार की रिश्वत मांगी थी इस उपयंत्री को जबलपुर की लोकायुक्त पुलिस ने 15 हजार की रिश्वत लेते रँगे हाथो ट्रेप किया है लोकायुक्त ने यह कार्रवाई हर्रई में ही हार्डवेयर की दुकान और छोटी – मोटी ठेकेदारी करने वाले नगर परिषद के उपाध्यक्ष अभिषेक साहू की शिकायत पर की है अभिषेक ने अपनी फर्म साधना हार्डवेयर के माध्यम से नगर परिषद के टचिंग ग्राउंड ग्राउंड में गेट का निर्माण करीब 8 माह पूर्व किया था जिसका करीब 37 हजार का बिल था और इसके भुगतान के एवज में उपयंत्री सतीश डेहरिया ने 17 हजार की रिश्वत मांगी थी जिसे मंगलवार को नगर परिषद के कार्यालय में ही अभिषेक से 15 हजार रुपये नगद लेते पकड़ा गया है उपयंत्री को लोकायुक्त के निरीक्षक कमल सिंह उईके, भूपेंद्र कुमार दीवान सहित स्टाफ ने ट्रेप किया
बाकी सब महाजन तो नही ..?
रिश्वत में मांगी गई रकम से अंदाजा लगाया जा सकता है कि हर्रई नगर पंचायत में चल क्या रहा है नगर पंचायत में इस भ्रष्ट उपयंत्री को छोड़ सब महाजन तो नही ..? इस रिश्वत कांड का सीधा सा अर्थ है कि नगर पंचायत में सरकारी बजट का खेला फिफ्टी -फिफ्टी में चल रहा है और इस खेल में यह अकेला नही पूरी नगर पंचायत भ्र्ष्टाचार में डूबी लगती है उपयंत्री ने मात्र एक छोटे से मामले में फिफ्टी परसेंट मांग लिया तो यह अब तक हर्रई नगर में कितने कार्यो का बिल बनवाकर निकलवा चुका होगा नगर पंचायत है तो रोज ही कम से कम लाख रुपए के बिल तो निकलते ही होंगे औऱ बिल पेमेंट की राशि सरकारी बजट का ही हिस्सा है जिससे जनता के लिए शहर के विकास के लिए कार्य होने हैं किंतु हर्रई में भ्र्ष्टाचार की दीमक बजट चट कर रही है तो विकास कार्य क्या खाक होंगे बड़ी बात यह भी है कि यह परिषद के उपाध्यक्ष को ही रिश्वत देना पड़ रहा है तो फिर आम जनता का क्या ?
हर्रई नगर पंचायत में पहले भी हो चुके हैं कई कांड ..
हर्रई नगर पंचायत पहले से ही घपलों – घोटालों के दल- दल में धंसी है यहाँ रहे अध्यक्ष और सी एम ओ के कर्मकांड भी कम नही है जांच और कार्रवाई का अभाव नगर पंचायत को विकसित नही होने देता है अलबत्ता यहाँ नेता और अधिकारी मालामाल जरूर हो रहे हैं एक साल पहले तो एक सी एम ओ ने यहाँ बिना टेंडर एक करोड़ की सामग्री खरीद डाली थी जिसकी जांच की गई है ना रिकवरी तबादले के बाद मामला ही रफा – दफा हो जाता है यही हाल अध्यक्ष का भी होता है जब तक वे अध्यक्ष है तब तक आंच नही और दूसरा अध्यक्ष बनने के बाद जांच नही यहां एक बार नही शासन कम से कम 6 बार एक -एक करोड़ अधोसरंचना विकास के कार्यो के लिए दे चुका है इतना ही नही बात शासन की योजनाओं में जन कल्याण की हो तो पात्रों को छोड़ अपात्रों का अंबार जांच में खुल जाएगा पी एम आवास के लिए यहाँ सैकड़ो पात्र हितग्राही तरस रहे हैं औऱ अपात्रों को तो एक नही तीन -तीन मकान के लिए राशि दे दी जा रही है कारण साफ है फिफ्टी – फिफ्टी .. आखिर कब तक .?
अब तक -10
छिन्दवाड़ा के प्रशासन में रिश्वत खोरो की जमात बढ़ते जा रही है 10 माह में ट्रैपिंग का यह 10 वां मामला है इसके पहले लोकायुक्त जुन्नारदेव में स्वास्थ्य विभाग के बी एम ओ , जनपद के सी ई ओ , एस डी एम के रीडर ,हाउसिंग बोर्ड के कार्यपालन यंत्री, लोकनिर्माण के कर्मी ,आदिवासी विकास की लिपिक , पंचायत के रोजगार सहायक , होमगार्ड के एस आई और अब नगर पंचायत के उपयंत्री को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया है जो बता रहा है कि छिन्दवाड़ा के प्रशासन में भी भ्र्ष्टाचार अपनी जड़ें जमाए बैठा है