छिन्दवाड़ा में ऐसे लोगो का “राज” जिनके खुद के घर के तीन वोट भी नही- मोनिका बट्टी
अमरवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में शुरू हो गई चुनावी तैयारियां
भाजपा जिला कार्यालय में मोनिका बट्टी का अभिनंदन
♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश-
छिंदवाड़ा में वो लोग “राज” कर रहे हैं जिनके खुद के घर के तीन वोट नहीं हैं। अमरवाड़ा से भाजपा की प्रत्याशी मोनिका बट्टी ने भाजपा जिला कार्यालय पहुंचकर कांग्रेस पर यह “करारा” हमला किया है। बुधवार की शाम उनके पार्टी कार्यालय आगमन पर कार्यकर्ताओं ने उनका “आतिशबाजी” के साथ जमकर स्वागत किया। भाजपा जिला अध्यक्ष विवेक बंटी साहू ने उन्हें “पुष्प गुच्छ” भेंट कर कहा कि मोनिका बट्टी के चुनाव लड़ने से अमरवाड़ा से 10 साल का “वनवास” समाप्त हो जाएगा। उनके नेतृत्व में हम निश्चित अमरवाड़ा सीट जीतेंगे।भाजपा की सदस्यता लेने और टिकट मिलने के बाद मोनिका बट्टी पहली बार जिला भाजपा कार्यालय आई थी।
इस अवसर पर अपने पिता मनमोहन शाह बट्टी के छिन्दवाड़ा में खड़े किए गए “गोंडवाना” आंदोलन और आदिवासी समाज की एक जुटता को लेकर उन्होंने कहा कि मैं कभी धर्म की राजनीति नहीं करती। मेरे पिता मनमोहन शाह बट्टी के साथी कह रहे हैं कि मोनिका जिस भी पार्टी से लड़े हम साथ है। छिंदवाड़ा में बाहर के लोग आकर राज कर रहे हैं।
भाजपा कार्यालय में “भारिया विकास प्राधिकरण”के अध्यक्ष दिनेश अंगारिया सहित जिला पदाधिकारियों और अमरवाड़ा विधानसभा के मंडल अध्यक्षों ने उनका स्वागत किया। इस अवसर पर मंडल अध् के साथ चुनाव तैयारियों को लेकर चर्चा बैठक में जिला उपाध्यक्ष हाजरी साहू, जिला महामंत्री टीकाराम चंद्रवंशी, महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष गरिमा प्रतीक दामोदर, जिला सह मीडिया प्रभारी विक्रम सोनी, जिला आईटी प्रभारी दीपक कोल्हे सहित जिला पदाधिकारी एवं अमरवाड़ा विधानसभा के सभी मंडल अध्यक्ष उपस्थित थे।
गौरतलब है कि “गोंडवाना” के मनमोहन शाह बट्टी पिछले “लोकसभा” चुनाव में भाजपा की टिकट से छिन्दवाड़ा से चुनाव लड़ना चाहते थे। इसके लिए प्रदेश भाजपा के नेताओ से उनकी बात भी हो गई थी और वे भाजपा कार्यालय भोपाल भी पहुंच गए थे किंतु छिन्दवाड़ा के स्थानीय नेताओं के विरोध के चलते बात नही बनी थी। अब मोनिका बट्टी भी पिता की राह पर है। भाजपा में शामिल होकर वे अमरवाड़ा से विधायक का चुनाव लड़ेंगी। सच यह भी है कि “गोंडवाना” आंदोलन में आदिवासी एक जुटता दिखा सकती हैं लेकिन “सत्ता” तक नही पहुंच सकती है। आदिवासियों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने मोनिका बट्टी का यह कदम क्रांतिकारी माना जा रहा है। भाजपा की केंद्र सरकार हो या फिर राज्य सरकार जनजातीय वर्ग के हितों के फैसले से भरी पड़ी है। दूसरा सच यह भी है कि छिन्दवाड़ा की आदिवासी नेता “अनुसुइया उइके” को भाजपा ने कहा से कहा पहुंचा दिया है यदि वे अब भी कांग्रेस में होती तो शायद “राजनीति” से उनका “अस्तित्व” ही समाप्त कर दिया गया होता।