पेंच एरिया में विलय करने जा रहा वेकोलि..
कहानी छिन्दवाड़ा के कोयलाअंचल की
– छिन्दवाड़ा जिले के जुनारदेव और परासिया की अर्थ व्यवस्था कोयला पर टिकी है लेकिन लगातार बंद होती कोयला खदानों से दोनों क्षेत्रों के हालात ठीक नही है कोयला खदानों के अलावा यहाँ कोई बड़े उद्योग-धंधे भी नही है परिणाम व्यापार-व्यवसाय टूट रहे हैं बेरोजगारी बढ़ रही है और साथ मे बढ़ रहा बन्द खदानों से कोयला का अवैध खनन..यहां की राजनीति भी बढ़ी गजब है जो नई खदाने खुलवाने के प्रयासों की जगह कोयले के अवैध कारोबार के इर्द-गिर्द घूमते नजर आती है पिछले 20 सालों में यहां एक भी नई कोयला खदान नही खुली है वेकोलि कन्हान एरिया को बंद कर पेंच एरिया में विलय करने जा रहा है यही हाल रहे तो कुछ समय बाद पेंच एरिया का अस्तित्व भी ऐसे ही प्रश्न चिन्ह लग सकता है जैसे कन्हान पर लगने वाला है..?
छिन्दवाड़ा-
वेकोलि घाटे में होने के बाद भी छिन्दवाड़ा में कोयला खदाने चला रहा है लेकिन अब घाटा इतना बढ़ गया है कि वेकोलि ने छिन्दवाड़ा जिले के दो कोयला अंचल पेंच और कन्हान में से कन्हान को बंद करने का फैसला ले लिया है 31 मार्च कन्हान कोयला अंचल का आखिरी दिन होगा इसके बाद केवल एक पेंच एरिया ही रहेगा कन्हान से वेकोलि का जी एम आफिस उठ जाएगा कन्हान एरिया का विलय पेंच एरिया में होगा और ने वित्तीय वर्ष से जिले में केवल एक कोयला अंचल पेंच ही रहेगा वेकोलि के डायरेक्टर मण्डल में यह फैसला हो चुका है वेकोलि का मुख्यालय महाराष्ट्र के नागपुर में है यह कोयला मंत्रालय के अधीन है
करीब एक सदी से छिन्दवाड़ा जिले में कोयला का दोहन हो रहा है सतपुड़ा में यदि कहीं सबसे ज्यादा कोयला है तो वह छिन्दवाड़ा ही है पहले अंग्रेजो की शा-वेलेस कम्पनी कोयला निकालती थी और सन 1972 में कोयला खदानों के राष्ट्रीय करण के बाद केंद्र सरकार के कोयला मंत्रालय की कम्पनी वेकोलि…
वेकोलि ने जिले में दो कोयला अंचल बनाए थे परासिया में पेंच और जुनारदेव में कन्हान दोनों क्षेत्रों में किसी जमाने मे 70 कोयला खदान थी जो बन्द होते-होते अब गिनती की आठ बची है इनमे से भी पांच को बंद किया जाना है मामला सीधे साफ है कि पहले कन्हान जुनारदेव बन्द होगा और अगले कुछ सालों में पेंच औऱ फिर छिन्दवाड़ा से कोयला खदानों का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा जब दोनों क्षेत्रों से कोयला खदान बन्द तो फिर यहाँ की अर्थ व्यवस्था भी चौपट हो जाएगी अब तक दोनो क्षेत्र कोयला आधारित अर्थ व्यवस्था पर ही टिके है आलम यह है कि वेकोलि की बन्द खदानों से कोल माफिया कोयला अब तक कोयला निकाल रहा है कोयला का अवैध कारोबार अब यहाँ राजनीति का बड़ा विषय है ना कि नई कोयला खदाने खुलावकर कोयला अंचल को नया जीवन दान देना..
20 साल में एक भी नई खदान नही..
कन्हान कोयला अंचल में पिछले 20 सालों में एक भी नई कोयला खदाने नही खुली है जबकि क्षेत्र में शारदा कोयला खदान के साथ ही धनकसा के लिए भूमिपूजन हुए लम्बा समय हो चुका है इसके अलावा नारायणी, कल्याणी भाकरा, हर्राडोल, धाउ,टेडी इमली, झरना खदान के लिए भी शिलान्यास हुए दो दशक बीत चुके हैं वेकोलि ने पांच साल पहले पेंच क्षेत्र की चालू खदान में गणपति,विष्णुपुरी-1,विष्णुपुरी-2 सहित कन्हान की मुआरी और भवानी को भी बंद करने की अधिसूचना जारी कर दी थी किन्तु क्षेत्र के अस्तित्व के सवाल पर इन्हें घाटे के बाद भी चलाया जा रहा है अब कन्हान एरिया का विलय पेंच एरिया में करने के फैसले ने क्षेत्र में राजनीतिक उठापटक में नई सरगर्मियां ला दी है