निकायों में बजट का संकट : महापौर सहित निकायो के अध्यक्ष ने दफ्तर आना छोड़ा
फरवरी में भी नही मिला बजट तो बिना बजट ही बीत जाएगा वित्तीय वर्ष

♦छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश-
जिले के नगरीय निकायों के हाथ खाली है। करीब एक साल से वित्तीय संकट से जूझ रहे निकायों में नगर निगम छिन्दवाड़ा को कुछ मिला है ना ही जिले की अन्य नगर पालिका और नगर पंचायत को। पूरा वित्तीय वर्ष ही बिना बजट के बीते जा रहा है। निकायों के हालात अब ये है कि ना कर्मचारियों को हर माह वेतन मिल पा रहा है ना ही नगरों में कोई विकास कार्य हो पा रहे हैं। बजट के अभाव में निकायों में पेट्रोल – डीजल के लिए भी संकट खड़ा हो रहा है। स्ट्रीट लाइट तक का बिजली बिल भुगतान रुका पड़ा है। इन हालातों के चलते निकायों की परिषद के निवाचित महापौर, नगर पालिका और नगर पंचायतो के अध्यक्ष सहित सभापति और पार्षद मोर्चा संभालने की जगह कन्नी काटते नजर आ रहे हैं।
छिन्दवाड़ा जिले में नगर निगम छिन्दवाड़ा सहित 17 निकाय है। इनमे सात नगर पालिका चौरई, अमरवाड़ा, परासिया, जुनारदेव, दमुआ , सौसर, पांढुर्ना, नगर पंचायत न्यूटन, चांदामेटा, बड़कुही, मोहगांव, पिपला , लोधीखेड़ा, चांद, हर्रई, बिछुआ शामिल हैं। किसी भी निकाय के हाल जुदा नही है। निकाय बजट के अभाव में विषम हालातो से गुजर रहे हैं। इन हालातों के चलते निकाय की परिषदों के चुने हुए जनप्रतिनिधियों ने निकायों के दफ्तर जाना ही बंद कर दिया है। निगम में ना महापौर नियमित दफ्तर जाते ना ही नगर पालिका और नगर पंचायतो के अध्यक्ष। यही हाल परिषद के सभापतियों और पार्षदों का है। ऐसे में निकायों में जनता की समस्या की सुनवाई हो पा रही है ना ही कोई समाधान।
निकायों में क्या भाजपा क्या कांग्रेस सबके हालात एक से ही चल रहे हैं। जिले में ऐसा भी नही है कि बी जे पी की परिषद वाली निकाय बजट से लबालब हो और कांग्रेस की परिषद वाली अभाव में दरअसल निकायों को एक साल से कोई बजट ही नही मिला है। पहले विधानसभा चुनाव की आचार संहिता के चलते बजट नही मिला और अब लोकसभा चुनाव की तैयारी के चलते सरकार ने बजट रिलीज़ नही किया है। इस माह के अंत तक लगने वाली लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के चलते और तीन माह बजट नही मिलेगा तब निकायों के हाल क्या होंगे। इसके साथ ही इस खबर ने भी निकायों की हालत टाइट कर रखी है कि नए वित्तीय वर्ष से सरकार चुंगी क्षति पूर्ति की राशि भी निकायों को नही देगी। वेतन के लिए निकायों को स्थानीय सोर्स बनाने होंगे। अब तक तो चुंगी क्षति पूर्ति की राशि से कर्मियों का वेतन हो जाता था वर्तमान में निकायों को यह राशि भी नसीब नही हो रही है।