छिन्दवाड़ा की प्राइम लोकेशन में नागपुर मार्ग पर बेच दी “ई एल सी चर्च” की जमीन, मसीह समाज ने जताया विरोध, विशप के घर किया “पथराव” “
विशप ने दिया इस्तीफा, कोर्ट के आदेशों की भी अवमानना

मुकुन्द सोनी ♦ छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश-
चर्च की जमीनो को बेचने को लेकर विवादित छिन्दवाड़ा के ” ई एल सी” चर्च के कर्ता- धर्ताओ ने अब छिन्दवाड़ा सिटी में नागपुर मार्ग पर प्राइम लोकेशन की पुराने चर्च की जमीन का भी सौदा कर दिया है। चर्च की इस जमीन पर गुरुवार की रात “हद” बांधने पहुंचे खरीददार के लोगो को चर्च कंपाउंड के लोगों ने विवाद कर भगा दिया। जमीन बेचे जाने के मामले में ” मसीह” समाज मे इतना आक्रोश है कि कल रात में ही करीब तीन सौ लोगों ने एकत्र होकर कोतवाली थाना में रिपोर्ट भी दर्ज कराई और ई एल सी हॉस्टल के पीछे स्थित ” विशप” के घर ” पथराव” भी कर दिया।
ई एल सी जमीन बेचने से लेकर संस्था के फण्ड में गबन और विदेशी फण्ड के मामले में विवादित है। इसको लेकर संस्था के पदाधिकारियों पर धोखाधड़ी के प्रकरण दर्ज है। भोपाल क्राइम ब्रांच की टीम इसकी जांच के लिए भी पिछले दिनों छिन्दवाड़ा आई थी। ई एल सी के जमीन के मामले कोर्ट में भी है जिसमे हाई कोर्ट जबलपुर के आदेश है कि “अब कोर्ट की अनुमति के बगैर ई एल सी अपनी कोई जमीन नही बेच सकती है।
नागपुर रोड पर ई एल सी के पुराने चर्च की जमीन को “शापिंग मॉल” बनाने के लिए खरीदा गया है। जब यह बात मसीह समाज के लोगो को पता चली तो लोग आक्रोशित हो गए। पहले तो लोगो ने जमीन की हद बंदी में जमीन के चारो ओर लगाई गई टीन को उखाड़ फेंका और फिर कोतवाली थाना में एकत्र होकर संस्था के साथ धोखाधड़ी करने वालो के विरुद्ध रिपोर्ट लिखाई है। इतना ही नही समाज के लोग “विशप” के घर भी गए और वे नही मिले तो उनके घर पथराव कर दिया था।
इस घटनाक्रम से घबराकर विशप “एस के सुक्का” ने ई एल सी के विशप सहित अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया है। उन्होंने अनिल मार्टिन को प्रभार दिया है। अनिल मार्टिन भी परासिया मार्ग के सोना पिपरी के जंगल मे हिरण शिकार केस में फंसे बताए गए हैं। फारेस्ट की टीम ने इनके घर से शिकार के हथियार बरामद किए थे। बताया गया कि जमीन बेचने के मामले में भले ही विशप ने त्यागपत्र दिया हो मगर यह कारनामा संस्था के अन्य पदाधिकारी का है।जमीन खरीदा किसने है यह भी एक बड़ा मुद्दा हो सकता है।
छिन्दवाड़ा में कोई ” मूल” ईसाई नही है धर्मान्तरित लोगो का ही डेरा है और वे लोग हैं जिन्हें अनाथ होने पर मिशनरी ने पाला है। ई एल सी की समीति में अब इन्ही लोगों का कब्जा है जो मिशनरी की जमीन बेचकर लखपति, करोड़पति और अरबपति बनने में लगे हैं। अब तक ई एल सी के जो जमीन बेचो कांड सामने आए हैं उनमें अमरवाड़ा , जुनारदेव, सागर , शहडोल, बैतूल सहित अन्य जिलों के करोड़ो के मामले है। संस्था का विदेशी फण्ड मामला भी सरकार की जांच में बताया गया है। मसीह समाज के लोगों का आरोप है कि जमीन को संस्था की “सीनेट” के समक्ष प्रस्ताव और स्वीकृति बिना ही बेच दिया जा रहा है। जमीनों के सौदे करोड़ो में हुए हैं। पुराने चर्च की जमीन का यह सौदा भी करीब 15 करोड़ का है। हैरानी इस बात की है कि जमीन का यह रुपया जाता कहा है। संस्था के खाते में इसे जमा नही कराया जाता है। आज हर समाज अपने आस्था के स्थलों को सहेजता है लेकिन मसीह समाज में उल्टा ही हो रहा है। यहां तथाकथित लोग कमेटी में बैठकर विरासत में मिली जमीनों को सालों से बेचते चले आ रहे हैं। संस्था में वित्तीय गड़बड़ी के हर मामले की रिपोर्ट सरकार तक पहुंची है किंतु प्रभावी कार्रवाई ना होने से ऐसे मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है। संस्था का भला चाहने वाले लोग सारे कागजात और सबूत लिए भटक रहे हैं तो भी करवाई नही हो पा रही है आखिर क्यों?