चैत्र नवरात्र : पाकिस्तान के बाद छिन्दवाड़ा के अंबाडा में है माता हिंगलाज का दूसरा शक्ति पीठ
पाकिस्तान में कहते हैं नानी माँ का मंदिर ,स्थापना को हो चुके हैं 100 साल से ज्यादा

मुकुन्द सोनी छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश-
पाकिस्तान में हिन्दू मन्दिर के हालात क्या होंगे सहज ही अंदाजा हो जाता है यहां बलूचिस्तान में हिंगोल नदी किनारे है माता हिंगलाज का वह मुख्य मंदिर जहाँ माता सती का ब्रम्हारिन्ध्र सिर का हिस्सा गिरा था यह माता के 51 शक्ति पीठ में से एक है पाकिस्तान में इस मन्दिर को नानी माँ का मंदिर कहा जाता है
आप माता हिंगलाज के दर्शन करने पाकिस्तान तो नही जा सकते लेकिन मध्यप्रदेश के छिन्दवाड़ा जिले के अंबाडा जरूर आ सकते हैं पाकिस्तान के बाद माता हिंगलाज का दूसरा शक्ति पीठ यहां है जो स्वयं माता हिंगलाज की प्रेरणा से करीब सौ साल पहले बना था पहले यह केवल मड़िया रूप में था अब विशाल मंदिर है और इसके बनने की कहानी भी अजब – गजब है
अंबाडा छिन्दवाड़ा के परासिया कोयला अंचल में है एक सदी पहले अंग्रेजो की शा – वैलेस कम्पनी यहां कोयला खदान चलाती थी जिसमे तैनात अंग्रेज अफसर को माता ने दाखिला देकर बताया था कि वे इस स्थान पर है और पूजा चाहती है यहां उनकी मड़िया बनाई जाए अंग्रेज हिन्दू धर्म समझते थे ना पूजा पद्धति ऐसे में वह अंग्रेज अफसर दाखिला की उपेक्षा कर गया बस फिर क्या था अंबाडा की कोयला खदान में इस घटना के बाद से कुछ ऐसा होने लगा कि ब्रिटिश सरकार भी परेशान हो गई थी अंबाडा की कोयला खदान में चाहे जहां अग्नि प्रकट हो जाती थी और खदान में ज्योत जलती दिखाई देती थी अंग्रेज अफसर इसे खदान से निकलने वाली ज्वलनशील गैस के कारण होना मानते थे
खदान में काम करने वाले हिन्दू मजदूर अंबाडा को मां अम्बा का बाड़ा मानते थे अंग्रेज अफसर खदान में लगी ज्वाला रूपी आग को बुझाने का प्रयास करते थे किंतु खदान में जहा एक स्थान की आग बुझाने का प्रयास होता था तो दूसरे स्थान पर आग की लौ निकल आती थी
इन घटनाओं से परेशान खदान के मैनेजर अंग्रेज अफसर को माता हिंगलाज ने सपने बताया था कि कि मेरी मूर्ति खदान में दबी है मूर्ति को निकालकर मेरी मड़िया बना दे अंग्रेज ईसाई धर्म का था उसे स्वप्न की इस बात पर विश्वास नही था किंतु जब उसने यह बात खदान में कार्य करने वाले हिन्दू मजदूरों को बताई तब इन मजदूरों को बात समझते देर ना लगी उसने सपने में देखे गए उस स्थान को भी बताया जहां जमीन की खुदाई करने करने पर माता हिंगलाज की वह मूर्ति मिली जो अंबाडा हिंगलाज पीठ में विराजमान है
अंग्रेज अफसर को माता ने सपने में अपना नाम हिंगलाज बताया था तब से इसे हिंगलाज देवी की मड़िया कहा जाने लगा। और फिर कभी खदान में ज्वाला प्रकट होने की घटना नही हुई इसके बाद क्षेत्र में अनेक चमत्कार भी हुए और माता की इस मड़िया की ख्याति दूर-दूर तक फैलने लगी लोग यहाँ माता के दर्शन और पूजन को आने लगे आज यही मड़िया हिंगलाज शक्ति पीठ का विशाल रूप ले चुकी है
अंग्रेजो के जाने के बाद 1971में कोयला खदानों का केंद्र की सरकार ने राष्ट्रीयकरण किया तब यहाँ क्षेत्र वासियो ने माता हिंगलाज की मड़िया के स्थान पर माता हिंगलाज का विशाल मंदिर बनवाया है शक्तिपीठ के रूप में स्थापित जिले का यह सबसे बड़ा मन्दिर है
रखे जाते हैं 11 हजार से ज्यादा मनोकामना कलश ..
हिंगलाज शक्तिपीठ पूरे जिले की आस्था का केंद्र है ना केवल छिन्दवाड़ा बल्कि मध्यप्रदेश और देश के अनेक हिस्सो से माँ हिंगलाज के भक्त यहां माता के दर्शन के लिए आते हैं यहां अब मन्दिर ट्रस्ट मन्दिर की व्यवस्था का संचालन करता है मन्दिर में साल में दो बार नवरात्र का पर्व मनाया जाता है जिसमे 11 हजार से ज्यादा मनोकामना कलश रखे जाते हैं मन्दिर में व्यापक प्रबंधों के साथ यह पर्व मनाया जाता है मन्दिर की कलश यात्रा भी ना केवल जिले की बल्कि मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी कलश यात्रा है खास बात यह भी है कि परासिया क्षेत्र की कई कोयला खदाने बन्द हो गई किन्तु अंबाडा की कोयला खदान से आज भी कोयला का उत्पादन होता है ..
पाकिस्तान में हिंगलाज ही है नानी माता का मंदिर..
पाकिस्तान में हिंगलाज देवी के मंदिर को नानी माता का मंदिर कहा जाता है यह माता के 51 शक्तिपीठों में से एक है हिंगलाज माता मन्दिर, पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त के हिंगलाज में हिंगोल नदी के तट पर स्थित है । यह हिन्दू देवी सती को समर्पित इक्यावन शक्तिपीठों में से एक है यहाँ इस देवी को हिंगलाज देवी या हिंगुला देवी कहते हैं। इस मन्दिर को नानी मन्दिर के नाम से भी जाना जाता है ।
पुराणों में वर्णित है कि सातो द्वीप शक्ति सब रात को रचात रास.. प्रात:आप तिहु मात हिंगलाज गिर मे..
अर्थात सातो द्वीपों में सब शक्तियां रात्रि में रास रचाती है और प्रात:काल सब शक्तियां भगवती हिंगलाज के गिर में आ जाती है।
माता हिंगलाज की उतपत्ति की कथा भी पुराणों में है कि जब सती के वियोग मे क्षुब्ध शिव सती के पार्थिव देह को लेकर तीनों लोको में भटकने लगे तब भगवान विष्णु ने सपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 खंडों मे विभक्त कर दिया था जहाँ- जहाँ सती के अंग- प्रत्यंग गिरे वह स्थान शक्तिपीठ बन गए पुराणों में देवी के 51 शक्ति पीठो का पूरा वर्णन है केश गिरने से महाकाली,नैन गिरने से नैना देवी, कुरूक्षेत्र मे गुल्फ गिरने से भद्रकाली,सहारनपुर के पास शिवालिक पर्वत पर शीश गिरने से शाकम्भरी देवी आदशक्तिपीठ बने है इसी तरह हिंगलाज में सती माता का ब्रम्हारिन्ध्र सिर का हिस्सा गिरा था
हिंगलाज माता को एक शक्तिशाली देवी माना जाता है जो अपने सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती है। हिंगलाज उनका मुख्य मंदिर है, शास्त्रों में हिंगुला, हिंगलाजा, और हिंगुलता के नाम से भी देवी को जाना जाता है
पाकिस्तान में एक प्राचीन परंपरा का पालन करते हुए स्थानीय मुस्लिम जनजातियां, तीर्थयात्रा समूह में शामिल होती हैं और तीर्थयात्रा को “नानी का हज” भी कहते है